Dussehra 2021: रावण के 10 सिर की कहानी, जानें क्यों करना पड़ा था भगवान राम के लिए यज्ञ?

Dussehra 2021: दशहरा आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज सनातनियों द्वारा शस्त्रों का पूजन किया गया, तो वहीं शाम को रावण के पुतले का दहन होगा. ऐसे में रावण से जुड़ी कुछ ऐसी बातें हैं, जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं. रावण के 10 सिर थे, जिसकी वजह से रावण को दशानन कहा जाता था. वहीं रावण नाम कैसे पड़ा इसके पीछे की भी बड़ी रौचक कथा है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 2:09 PM IST
  • रावण को संगीत से भी था अत्यंत प्रेम
  • रावण ने भगवान राम के लिए किया था यज्ञ

Dussehra 2021: बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में दशहरा का पर्व मनाया जाता है. पौराणिक कथा रामायण के अनुसार भगवान राम ने दशहरे के दिन ही लंकापति रावण का वध किया था और लंका पर विजय प्राप्त की थी. अस्त्र-शस्त्रों का पारंगत बलशाली सोने की लंका के सम्राट रावण के बारे में वैसे तो कई सारी कथाओं में बहुत कुछ पढ़ा होगा, लेकिन आपको आज हम दशानन की कुछ और दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं-

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रावण से जुड़ीं कुछ अहम बातें 


1. दशानन रावण के थे 10 सिर: रावण की कोई मामूली सत्ता नहीं थी. रावण के 10 सिर थे. धर्म कहता है 10 दिशाएं होती हैं, जो रावण 10 दिशाओं पर नियंत्रण कर सकता था. लेकिन यहां 10 सिर से तात्पर्य कुछ और ही है. दरअसल रावण के गले में 9 मणियों की एक माला थी. ये माला रावण के 10 सिर होने का भ्रम पैदा करती थी. रावण को मणियों की यह माला उनकी मां कैकसी ने दी थी. 

2. शिवजी के सबसे बड़े भक्त: रावण को शिवजी का सबसे बड़ा भक्त बताया जाता है. शिवजी ने ही उन्हें रावण नाम दिया था. रावण शिवजी को अपने साथ कैलाश पर्वत से लंका ले जाना चाहता था जिसके लिए भगवान शिव तैयार नहीं थे. रावण ने जब कैलाश पर्वत उठाने का प्रयास किया तो शिव की ताकत से उनकी उंगली दब गई और वो दर्द से तड़पने लगा. 

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3. इस तरह नाम पड़ा रावण: दर्द में तड़पते हुए भी रावण शिवजी के सामने तांडव करने लगा, जिससे भगवान शिव आश्चर्य में पड़ गए. बाद में उन्होंने प्रसन्न होकर दशानन को रावण नाम दिया, जिसका अर्थ होता है तेज आवाज में दहाड़ना. 

4. राम के लिए किया था यज्ञ: रावण ने भगवान राम के लिए एक बार यज्ञ भी किया था. भगवान राम की सेना को समुद्र पर सेतु बनाने के लिए शिवजी का आशीर्वाद चाहिए था और इसके लिए एक यज्ञ करना था जो सिर्फ ज्ञानी ब्राह्मण द्वारा ही संभव था. इसके लिए राम ने रावण को यज्ञ करने का निमंत्रण भेजा. रावण भगवान शिव को काफी मानता था, इसलिए वो इस निमंत्रण को ठुकरा न सका.

5. संगीत से था प्रेम: रावण को संगीत से भी अत्यंत प्रेम था. रावण को रूद्र वीणा बजाने में हराना लगभग नामुमकिन था. ऐसा कहा जाता है कि रावण जब भी परेशान होता था तो वीणा बजाता था. 

6. लक्ष्मण के दिए सफलता के मंत्र: रावण ने अपने अंतिम समय में भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण से बात की थी. इस दौरान उन्होंने लक्ष्मण को जीवन में सफलता से जुड़े कई मूल मंत्र दिए थे. रावण को वेद और संस्कृत का उच्च ज्ञान था. रावण को चारों वेदों का ज्ञान था. रावण को एक अच्छा रणनीतिकार और बुद्धीमानी ब्राह्मण का दर्जा मिला हुआ था.

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