Devuthani Ekadashi 2025: कब है देवउठनी एकादशी? इस दिन से शुरू होंगे शुभ-मांगलिक कार्य

Devuthani Ekadashi 2025: देवउठनी एकादशी का सनातन धर्म में खास महत्व है. इस दिन से चतुर्मास का समापन होता है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है. इस साल देवउठनी एकादशी 1 नवंबर को है. इसी दिन से शादी-विवाह आदि के मुहूर्तों का शुभारंभ होगा.

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2025 में कब है देवउठनी एकादशी (Photo: AI Generated) 2025 में कब है देवउठनी एकादशी (Photo: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:35 PM IST

Devuthani Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में कार्तिक माह को बेहद पवित्र माना जाता है. यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस माह के दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा से जागकर सृष्टि का संचालन करते हैं. यही कारण है कि कार्तिक माह की शुरुआत से यानी देवउठनी एकादशी से ही सभी शुभ और मांगलिक कार्यों का आरंभ किया जाता है. देवउठनी एकादशी का दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है.

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देवउठनी एकादशी वह दिन है, जब चतुर्मास का समापन होता है. हिंदू धर्म में चतुर्मास को धार्मिक महत्वपूर्ण माना जाता है. इस चार महीने की अवधि में साधु-संत और भक्त विशेष नियमों का पालन करते हैं और आम जीवन में बड़े शुभ कार्य जैसे विवाह, घर की खरीददारी, नए व्यवसाय की शुरुआत आदि नहीं किए जाते. लेकिन जैसे ही देवउठनी एकादशी आती है, इन सभी शुभ कार्यों की शुरुआत संभव होती है.

कब है देवउठनी एकादशी 2025?

इस साल देवउठनी एकादशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाई जाएगी. वैदिक पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि की शुरूआत 01 नवंबर को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर होगा और इसका समापन 02 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर होगा. ऐसे में इस साल 01 नवंबर को देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जाएगा.

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देवउठनी एकादशी का महत्व

देवउठनी एकादशी का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और भक्ति के साथ पूजा करने से जीवन के समस्त पाप नष्ट होते हैं, घर और परिवार में सुख-समृद्धि आती है, जीवन में खुशहाली और आर्थिक स्थिरता बढ़ती है.

इसके अलावा, इस दिन से सभी मांगलिक कार्यों का शुभारंभ किया जाता है. विवाह, गृह प्रवेश, नए व्यवसाय की शुरुआत, यात्रा आदि सभी कार्य विधिपूर्वक किए जा सकते हैं. वहीं, देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है, जो भगवान विष्णु और तुलसी माता के मिलन का प्रतीक है.

देवउठनी एकादशी पूजा विधि

देवउठनी एकादशी पर विशेष पूजा विधि का पालन करने से भगवान की कृपा अधिक प्राप्त होती है. पूजा के लिए घर में गन्ने का मंडप बनाएं और मंडप के बीच में चौक बनाएँ. चौकी पर श्री हरि की मूर्ति या चित्र रखें. भगवान के चरण चिह्न भी बनाएँ और इन्हें ढककर रखें. भगवान विष्णु को गन्ना, सिंघाड़ा, फल और मिठाई अर्पित करें. साथ ही घी का दीपक जलाएं और इसे रात भर जलने दें.

भोर में पूजा

सुबह भगवान के चरणों की विधिवत पूजा करें, चरणों को स्पर्श करके भगवान को जागृत करें. साथ ही कीर्तन और व्रत कथा सुनें. मान्यता है कि भगवान के चरणों को स्पर्श करके जो भी मनोकामना मांगी जाती है, वह पूर्ण होती है.
 

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