Chhath Puja 2022 Day 3: छठ पूजा का तीसरा दिन आज, जानें डूबते हुए सूर्य को किस समय दिया जाएगा अर्घ्य

Chhath Puja 2022 Day 3: छठ के दिन भगवान सूर्यदेव की अराधना की जाती है. छठ का त्योहार पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में मनाया जाता है. छठ की शुरुआत 28 अक्टूबर नहाय खाय से हो चुकी है. आज छठ के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. आइए जानते हैं कि इस दिन का शुभ मुहूर्त और महत्व.

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छठ पूजा छठ पूजा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 6:53 AM IST

Chhath Puja 2022 Day 3: इस साल 28 अक्टूबर से छठ पूजा की शुरुआत हुई. इस पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है. इसके बाद खरना, अर्घ्य और पारण किया जाता है. इसमें विशेष तौर पर सूर्य देवता और छठ माता की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा से संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा और सुख समृद्धि का वरदान मिलता है. चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व मुख्य तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. 

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संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त

इस बार 30 अक्टूबर 2022 यानी आज के दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. आज के दिन सूर्यास्त की शुरुआत 05 बजकर 34 मिनट पर होगी. इस समय व्रती महिलाएं सूर्य देव को अर्घ्य दे सकती हैं.

ऐसे करते हैं आज के दिन पूजा 

छठ पर्व का तीसरा दिन जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है. यह चैत्र या कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन सुबह से अर्घ्य की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. पूजा के लिए लोग प्रसाद जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू बनाते हैं. छठ पूजा के लिए बांस की बनी एक टोकरी ली जाती है, जिसमें पूजा के प्रसाद, फल, फूल, आदि अच्छे से सजाए जाते हैं. एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल रखे जाते हैं. 

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सूर्यास्त से थोड़ी देर पहले लोग अपने पूरे परिवार के साथ नदी के किनारे छठ घाट जाते हैं. छठ घाट की तरफ जाते हुए रास्ते में महिलाएं गीत भी गाती हैं. इसके बाद व्रती महिलाएं सूर्य देव की ओर मुख करके डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा करती हैं. अर्घ्य देते समय सूर्य देव को दूध और जल चढ़ाया जाता है. उसके बाद लोग सारा सामान लेकर घर आ जाते है. घाट से लौटने के बाद रात्रि में छठ माता के गीत गाते हैं.  

क्यों दिया जाता है डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सायंकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है. ज्योतिषियों का कहना है कि ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर कई मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है. इसके अलावा सेहत से जुड़ी भी कई समस्याएं दूर होती हैं. 

छठ व्रत में रखें ये सावधानियां

1. सेहत पर ध्यान दें

अगर आपको कोई बीमारी है तो छठ का व्रत रखने से पहले किसी डॉक्टर की सलाह जरूर लें. उपवास के दौरान अपनी दवाइयों को नजरअंदाज न करें.

2. कम बातचीत करें

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छठ में व्रती महिलाओं को कम से कम बातचीत करनी चाहिए. ज्यादा बात करने से शरीर कमजोर पड़ने लगता है. तो ऐसे में अपना ज्यादा ध्यान पूजा-पाठ में ही लगाएं.

3. साफ सफाई का रखें ध्यान

छठ को अत्यंत सफाई और सात्विकता का व्रत माना जाता है. इसलिए इसमें सबसे बड़ी सावधानी यही मानी जाती है कि इस दौरान साफ-सफाई का खास ख्‍याल रखा जाना चाहिए.

छठ पर्व की कथा

एक कथा के अनुसार राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी. इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परन्तु वह मृत पैदा हुआ. प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे. उसी वक्त ब्रह्माजी की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं. हे! राजन् आप मेरी पूजा करें तथा लोगों को भी पूजा के प्रति प्रेरित करें. राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी.

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