Chanakya Niti: इन लोगों की मीठी बातों में न आएं, दफ्तर में ऐसे लोग बिगाड़ सकते हैं आपकी छवि

Chanakya Niti: ऑफिस में ऐसे कई लोग होते हैं जो सामने तो मीठी बातें करते हैं, लेकिन पीछे से साजिश रचते हैं. समस्या यह है कि अक्सर इन्हें पहचान पाना आसान नहीं होता. आचार्य चाणक्य ने बताया है कि कार्यस्थल पर ऐसे लोगों को किस तरह पहचाना जाए और उनसे कैसे सावधान रहा जाए.

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चाणक्य ने बताया ऑफिस में दोहरे स्वभाव वाले लोगों की पहचान कैसे करें (Photo: Pexels) चाणक्य ने बताया ऑफिस में दोहरे स्वभाव वाले लोगों की पहचान कैसे करें (Photo: Pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST

Chanakya Niti: हम अक्सर ऐसे लोगों से मिलते हैं जो हमारे सामने मुस्कुराकर मीठी बातें करते हैं, हमारी हर बात पर सहमति जताते हैं. ऐसे लोग हमें यह एहसास दिलाते हैं कि वे हमारे सच्चे शुभचिंतक हैं. लेकिन, वहीं लोग हमारे पीठपीछे हमारे खिलाफ बोलते हैं. वे हमारी कमियों पर हंसते हैं, हमारी मेहनत का श्रेय ले लेते हैं और हमारे रिश्तों को कमजोर करने की कोशिश करते हैं.

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आचार्य चाणक्य ने ऐसे ही दोहरे स्वभाव वाले लोगों को पहचानने और उनसे सावधान रहने की सलाह दी है. उनके अनुसार, ऐसे लोग उस बर्तन जैसे हैं जिसकी ऊपरी सतह पर दूध भरा दिखाई देता है, लेकिन उसके भीतर घातक जहर छिपा होता है.आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में ऐसे लोगों के स्वभाव और उसके व्यवहार से जुड़ी गहरी बातें कही हैं. उनमें से एक श्लोक है-

''परोक्षे कार्य्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्।

वर्ज्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भम्पयोमुखम्।।

इसका अर्थ है जो व्यक्ति सामने तो मीठी बातें करता है लेकिन पीठ पीछे साजिशें रचता है, उससे हमेशा दूरी बनाए रखें. चाणक्य कहते हैं कि जिन लोगों का स्वभाव दोहरा होता है. वे सामने आपकी तारीफ करते हैं लेकिन पीछे से आपके काम का श्रेय लेने की कोशिश करते हैं. 

ऐसे लोगों की पहचान कैसे करें?

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ऐसे लोग आपके सामने आपकी झूठी प्रशंसा करते हैं. ये लोग आपके सामने आपकी उपलब्धियों की तारीफ करेंगे. लेकिन, जब आप वहां नहीं होंगे, तो इन्हीं उपलब्धियों का मजाक उड़ाएंगे या उन्हें अपना बताने लगेंगे. ऐसे लोग पीठ पीछे साजिश करते हैं. आपके काम में अड़चन डालते हैं, साथ ही दूसरों को आपसे दूर करने की कोशिश करेंगे. ऐसे लोग दिखावा करते हैं कि वे आपके हितैषी हैं, लेकिन असल में आपके विकास से जलते हैं.

अगर कोई आपकी कमियों पर टिप्पणी करता है तो समझ जाना चाहिए कि वो आपका हितैषी नहीं है. ऐसे लोगों का मकसद आपको छोटा दिखाना और आपकी छवि कमजोर करना होता है. ऐसे लोगों का मकसद आपको पीछे धकेलना होता है. तारीफ को काटने वाले लोग भी आपके हितैषी नहीं होते हैं. अगर आपका बॉस या सहकर्मी आपकी सराहना करता है, तो ऐसे लोग बीच में टोक देते हैं. वे आपकी उपलब्धियों को छोटा दिखाने और आपके प्रभाव को कम करने की पूरी कोशिश करेंगे.

ऐसे लोगों से कैसे बचें?

चाणक्य के मुताबिक, ऐसे लोगों से सावधान रहना बेहद जरूरी है. उनकी मीठी बातों में न आना ही समझदारी है. चाणक्य कहते हैं कि असली पहचान कर्म से होती है, बातों से नहीं. ऐसे लोगों को मित्र मानकर भरोसा करने से बचें. जब ये लोग आपको उकसाने की कोशिश करें, तो शांत रहकर अपने काम पर ध्यान दें.

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