Adhik Maas 2026: हिंदू मान्यताओं में अधिकमास का विशेष महत्व माना गया है. धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से यह महीना बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि यह साधना, पूजा और दान-पुण्य के लिए अत्यंत फलदायी होता है. हिंदू पंचांग में जब चंद्र मास की गणना के दौरान 12 महीनों के अतिरिक्त एक महीना जुड़ जाता है, तो उसे अधिकमास कहा जाता है. इसे मलमास या पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है.
हिंदू वर्ष चैत्र महीने से आरंभ होकर फाल्गुन में समाप्त होता है. इस समय विक्रम संवत 2082 चल रहा है, जिसका अंत होली के बाद होगा. इसके बाद चैत्र नवरात्र से विक्रम संवत 2083 की शुरुआत होगी, और इसी वर्ष एक अतिरिक्त महीना जुड़ने के कारण अधिकमास पड़ेगा.
साल 2026 में दो होंगे ज्येष्ठ महीने
विक्रम संवत 2083 में अधिक मास आने वाला है और यह ज्येष्ठ (जेठ) महीने में पड़ेगा. यानी वर्ष 2026 में एक के बजाय दो ज्येष्ठ महीने रहेंगे- एक सामान्य ज्येष्ठ और दूसरा अधिक ज्येष्ठ. अधिक मास जुड़ने के कारण ज्येष्ठ मास की अवधि लगभग 58-59 दिनों तक लंबी हो जाएगी. इस प्रकार पूरे वर्ष में कुल 13 महीने होंगे.
कब से कब तक रहेगा अधिकमास 2026 ज्येष्ठ महीना?
पंचांग के अनुसार, वर्ष 2026 में ज्येष्ठ माह की शुरुआत 22 मई से होगी और इसका समापन 29 जून 2026 को होगा. इसी दौरान अधिकमास की भी शुरुआत हो जाएगी, जिसकी तिथि 17 मई 2026 रहेगी और इसका समापन 15 जून 2026 को होगा. जब पंचांग में कोई एक महीने दो बार आता है तो उस मास को पुरुषोत्तम मास या अधिकमास कहा जाता है.
अधिकमास मास का अतिरिक्त हिस्सा वह होता है, जो लगभग हर 32 माह, 16 दिन और कुछ घंटों के अंतराल पर उत्पन्न होता है. यही अतिरिक्त समय अधिकमास कहलाता है, जो धार्मिक दृष्टि से खास महत्व रखता है और कई लोग इसे आध्यात्मिक साधना, दान और जप-तप के लिए शुभ मानते हैं.
अधिकमास आखिर आता क्यों है?
चंद्र कैलेंडर और सूर्य वर्ष की अवधि पूरी तरह समान नहीं होती है. चांद का मासिक चक्र सूर्य के मुकाबले थोड़ा छोटा होता है, जिस वजह से हर वर्ष लगभग 11 दिनों का अंतर बढ़ता जाता है. यही बढ़ा हुआ समय लगभग 32 महीने 16 दिन के बाद एक पूरे महीने के बराबर हो जाता है. इसी अतिरिक्त समय को संतुलित करने के लिए पंचांग में एक अतिरिक्त महीना जोड़ दिया जाता है- जिसे अधिक मास कहा जाता है. यह महीना धार्मिक रूप से विशेष माना जाता है और लोग इसे आत्मचिंतन, आध्यात्मिक विकास, जप, व्रत और दान के लिए अत्यंत लाभदायक मानते हैं.
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