Adhik Maas 2026: कब से शुरू होगा अधिकमास? क्यों 30 की जगह 60 दिन का होगा यह मास, जानें

Adhik Maas 2026: हिंदू पंचांग में इस बार दो बार ज्येष्ठ महीने पड़ेंगे, जिसको अधिकमास कहा गया है. यानी नए वर्ष में 12 महीने की जगह 13 महीने होंगे. इस पवित्र महीने में भगवान विष्णु की पूजा करना बहुत ही फलदायी माना जाता है.

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साल 2026 में कब से शुरू होगा अधिकमास (Photo: Getty Images) साल 2026 में कब से शुरू होगा अधिकमास (Photo: Getty Images)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:17 AM IST

Adhik Maas 2026: साल 2026 हिंदू पंचांग के मुताबिक बेहद अनोखा और महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इस वर्ष दो बार ज्येष्ठ महीना पड़ेगा. ऐसा बहुत ही कम होता है कि जब कैलेंडर में अतिरिक्त महीना लग जाए और पूरा वर्ष 13 महीनों का बन जाए. इस अतिरिक्त मास को हिंदू परंपरा में अधिकमास या पुरुषोत्तम मास कहा जाता है. जहां ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत 1 जनवरी से होती है, वहीं हिंदू वर्ष की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होती है. 

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साल 2026 में पड़ेंगे 2 ज्येष्ठ महीने (अधिकमास)

हिंदू पंचांग के अनुसार, 2026 में ज्येष्ठ महीने का दो बार आना अपने आप में एक खास दुर्लभ संयोग है. इस वर्ष पहले सामान्य ज्येष्ठ और फिर अधिकमास ज्येष्ठ आएगा. दोनों का मिलकर यह समय लगभग 58 से 59 दिनों की अवधि का होगा, जिससे पूरा वर्ष 13 महीनों का बन जाएगा. शास्त्रों में इस विशेष महीने को अधिकमास, मलमास या पुरुषोत्तम मास जैसे नामों से जाना जाता है.

यह ज्योतिषीय घटना तब होती है जब सौर वर्ष 365 दिन का और चंद्र वर्ष 354 दिन का होता है, जिसके कारण हर साल करीब 11 दिन का अंतर रह जाता है. इसी असंतुलन को रोकने के लिए लगभग हर 32 महीने 16 दिन में एक बार अतिरिक्त चंद्र मास कैलेंडर में शामिल होता है. जिससे सूर्य और चंद्रमा के समय में संतुलन बना रहे.

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अधिकमास 2026 तिथि और महत्व

इस बार अधिकमास 17 मई 2026 से 15 जून 2026 तक रहेगा. शास्त्रों के अनुसार, यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है. इस दौरान पूजा-पाठ, दान, व्रत, मंत्र जप, तीर्थस्नान और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं. यही कारण है कि इसे पुरुषोत्तम मास कहा जाता है, जिसका अर्थ है सबसे श्रेष्ठ या सर्वाधिक पवित्र महीना. हालांकि, इसका पवित्र महीना होने के बावजूद इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, नया व्यवसाय शुरू करना या भूमि पूजन जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. मान्यता है कि यह समय ईश्वर के प्रति समर्पण के लिए अधिक उपयुक्त होता है.

क्यों आता है अधिकमास?

सौर वर्ष में कुल 365 दिन होते हैं, जबकि चंद्र वर्ष केवल 354 दिनों का होता है. इसी वजह से दोनों के बीच हर साल करीब 11 दिनों का अंतर बढ़ता रहता है. अगर इस अंतर को समय-समय पर ठीक न किया जाए, तो त्योहार और ऋतुएं अपने सही समय से हटने लगेंगी. इसी असंतुलन को दूर करने के लिए कुछ वर्षों में एक अतिरिक्त चंद्र महीना जोड़ दिया जाता है, जिसे अधिकमास कहा जाता है. 

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