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Ganesh Chaturthi 2025: 92 साल में कितने बदल गए लालबागचा राजा? 1934 से अब तक कई मौकों पर दिए खास संदेश

सुमित कुमार
  • 27 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 9:17 AM IST
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आज से गणेशोत्सव का शुभारंभ हो गय है. गजानन पधार गए हैं. हर तरफ बप्पा के जयकारे गूंज रहे हैं. घर में किसी ने बाल गणेश की प्रतिमा स्थापित की है तो कोई विघ्न हरने वाले गणपति को घर लाया है. लेकिन हर बार की तरह मुंबई के लालबागचा राजा सुर्खियां में सबसे ज्यादा हैं, जहां गणेशोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.

1934 से हर साल मुंबई के लाल बाग इलाके में लालबागचा राजा की विशाल प्रतिमा स्थापित की जाती है. इस साल गणेश स्थापना के 92 साल पूरे हो रहे हैं. आइए आपको बताते हैं कि इन 92 सालों में लालबागचा राजा का स्वरूप कितना बदला है और इस पंडाल की कौन सी थीम सबसे यादगार और दिलचस्प रही है. (Photo Credit: Lalbaugcharaja)

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लालबागचा राजा 1934 में पहली बार भक्तों के बीच आए थे. इस गणेशोत्सव में चार भुजाओं वाले गणपति को स्थापित किया गया था. कमल के फूल पर खड़े गणपति के एक हाथ में गदा और एक हाथ में चक्र था. (Photo Credit: Lalbaugcharaja)

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1947 में देश आजाद हुआ तो लालबागचा राजा दो बैलों द्वारा खींचे जा रहे रथ पर सवार होकर आए. फिर अगले ही वर्ष 1948 में बप्पा ने महात्मा गांधी के स्वरूप में आकर उनके अतुल्य योगदान और समर्पण की याद दिलाई. (Photo Credit: Lalbaugcharaja)

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साल 1957 में लालबागचा राजा की थीम भगवान शिव और उनकी पहली पत्नी माता सती को समर्पित थी. इस थीम में देवी सती को अग्नि कुंड में आहुति देते हुए दिखाया गया था. (Photo Credit: Lalbaugcharaja)

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साल 1964 की थीम में भारत की सियासत और महाभारत का रणक्षेत्र दिखाया गया था. इसमें भगवान गणेश के सामने पंडित जवाहर लाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री एकसाथ बैठे दिखाई दिए थे. (Photo Credit: Lalbaugcharaja)

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फिर 1971 के गणेशोत्सव में संत मीराबाई के समर्पण की कहानी को दर्शाया गया. जबकि 1972 की थीम रावण वध के बाद राम द्वारा विभीषण को लंका नरेश बनाने की कहानी पर आधारित थी. (Photo Credit: Lalbaugcharaja)

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1978 में लालबागचा राजा की थीम राजनीतिक गलियारों में चल रही खींचतान को दर्शाती है. इसमें भगवान गणेश की प्रतिमा के दाईं ओर इंदिरा गांधी और कुछ अन्य नेताओं को दिखाया गया था. (Photo Credit: Lalbaugcharaja)

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1981 में लालबागचा की थीम भगवान परशुराम से जुड़ी उस घटना पर आधारित थी, जहां उन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए माता रेणुका का सिर धड़ से अलग कर दिया था. (Photo Credit: Lalbaugcharaja)

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1986 की थीम में शिव की जटा से मां गंगा का अवतरण दिखा. तो वहीं अगले वर्ष यानी 1987 में भगवान विष्णु के वराह अवतार द्वारा हिरण्याक्ष असुर के वध की कहानी बताई गई. (Photo Credit: Lalbaugcharaja)

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इसके बाद 2014 में गणपति बप्पा का एक आधुनिक स्वरूप दुनिया के सामने आया. ये वो दौर था, जब लालबागचा राजा के पंडाल और प्रतिमा को नई तकनीकों के साथ जोड़ा जाने लगा. यहां चार भुजाओं वाले बप्पा हाथ में चक्र और गदा लिए नजर आए. (Photo Credit: Lalbaugcharaja)

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2019 में लालबाग के राजा का पंडाल अंतरिक्ष की थीम पर सजाया गया था. यह पंडाल चंद्रयान-2 के मिशन से प्रेरित था. मूर्ति के पीछे अंतरिक्ष का दृश्य था. इसमें अंतरिक्ष यात्रियों, उपग्रहों को बखूबी दिखाया गया था. (Photo Credit: Lalbaugcharaja)

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साल 2020 में कोविड की महामारी के चलते लालबागचा राजा की स्थापना नहीं हुई. लेकिन फिर साल 2021 में बप्पा को शेषनाग पर विराजमान किया गया था. (Photo Credit: Screengrab/ YT_Lalbaugcharaja)

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इस साल लाल बाग के राजा का एक और विशाल स्वरूप दुनिया के सामने आया है. इस साल गणेश जी का पंडाल और भी ज्यादा भव्य लग रहा है. गणपति जी का दरबार तिरुपति बालाजी मंदिर जैसा दिखाई पड़ रहा है. (Photo Credit: PTI)

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