Shani Dev: शनिवार का दिन शनि देव और शनि ग्रह को समर्पित है. इस दिन शनि देव की पूजा करने से जीवन की सारी बाधाएं और कष्ट दूर हो जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्याय का देवता कहा जाता है. सूर्य पुत्र शनि कर्मों के फलदाता माने जाते हैं. शनि देव अच्छे कर्मों का शुभ फल देते हैं और बुरे कर्म करने वालों का जीवन कष्टों से भर देते हैं. माना जाता है कि जो व्यक्ति शनिवार के शनि की पूजा करता है, उस पर हमेशा शनि की विशेष कृपा बनी रहती है.
शनि देव की पूजा का सही समय
शास्त्रों के जानकारों क कहना है कि शनि देव की पूजा का सही समय सूर्यास्त के बाद संध्याकाल में होता है. शाम के समय शनि देव की विधिवत पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-संपन्नता बनी रहती है और कभी कोई दुख नहीं आता है.
कैसे करें शनि देव की पूजा?
शनिवार के दिन शनि मंदिर जाएं. भगवान शनि के सामने खड़े होकर उन्हें प्रणाम करें. ध्यान रहे कि इस वक्त शनि की आखों में कभी नहीं देखना चाहिए. ऐसी मान्यता हैं कि शनि की वक्र दृष्टि जीवन में विपरीत प्रभाव पैदा करती है. पूजा के लिए सबसे पहले शनि देव की मूर्ति के सामने सरसों के तेल का दीपक जालाएं. तेल में काले तिल जरूर मिला लें. फिर शनि देव को सरसों का तेल, फूल माला, शमी के पत्ते या शमी के फूल चढ़ाएं. शनि देव को फल और मिठाई का भोग लगाएं. शास्त्रों के अनुसार, अगर महिलाएं शनि देव को प्रसन्न करना चाहती हैं तो शनि देव के मंदिर में सरसों तेल का दीपक जला सकती हैं. पूजा के बाद वहीं खड़े होकर शनि चालीसा का पाठ करें. इस दिन शमी के पौधे को जल चढ़ाने और उसके नीचे सरसों का दीपक जलाने से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं.
दान, सेवा और उपाय
1. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिवा के दिन काले तिल, सरसों के तेल, उड़द की दाल, छाता और काले वस्त्र जैसी चीजों का दान करना अत्यंत लाभकारी होता है.
2. इस दिन काले कुत्ते और कौवों जैसे जीवों को रोटी या भोजन खिलाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. ऐसे लोगों पर कभी साढ़ेसाती या ढैय्या का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है.
3. गरीब, मजदूर और असहाय लोगों की मदद करने से भी शनि देव की कृपा प्राप्त होती है. ऐसे लोगों पर हमेशा शनि की दया दृष्टि बनी रहती है.
शनि देव की आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
जय जय श्री शनि देव....
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
जय जय श्री शनि देव....
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