Guru Purnima 2021: गुरु पूर्णिमा आज? जानें इसका महत्व और पूजन विधि

इस दिन से ऋतु परिवर्तन भी होता है. इसलिए इस दिन वायु की परीक्षा करके आने वाली फसलों का अनुमान भी किया जाता है. इस दिन शिष्य अपने गुरु की विशेष पूजा करता है और यथाशक्ति दक्षिणा, पुष्प, वस्त्र आदि भेंट करता है.

Advertisement
Photo Credit: Getty Images Photo Credit: Getty Images

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 7:50 AM IST
  • इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं
  • इस दिन वायु की परीक्षा लेने वाली फसलों का अनुमान भी किया जाता है

आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म भी हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. इस दिन से ऋतु परिवर्तन भी होता है. इसलिए इस दिन वायु की परीक्षा करके आने वाली फसलों का अनुमान भी किया जाता है. इस दिन शिष्य अपने गुरु की विशेष पूजा करता है और यथाशक्ति दक्षिणा, पुष्प, वस्त्र आदि भेंट करता है शिष्य इस दिन अपनी सारे अवगुणों को गुरु को अर्पित कर देता है और अपना सारा भार गुरु को दे देता है. इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व शनिवार, 24 जुलाई को मनाया जाएगा.

Advertisement

कौन हो सकता है आपका गुरु?
सामान्यतः हम लोग शिक्षा प्रदान करने वाले को ही गुरु समझते हैं, लेकिन वास्तव में ज्ञान देने वाला शिक्षक बहुत आंशिक अर्थों में गुरु होता है. जन्म जन्मान्तर के संस्कारों से मुक्त कराके जो व्यक्ति या सत्ता ईश्वर तक पहुंचा सकती हो. ऐसी सत्ता ही गुरु हो सकती है. गुरु होने की तमाम शर्तें बताई गई हैं जिनमें से 13 शर्तें प्रमुख निम्न हैं. शांत/दान्त/कुलीन/विनीत/शुद्धवेषवाह/शुद्धाचारी/सुप्रतिष्ठित/शुचिर्दक्ष/सुबुद्धि/आश्रमी/ध्याननिष्ठ/तंत्र-मंत्र विशारद/निग्रह-अनुग्रह. गुरु की प्राप्ति हो जाने के बाद प्रयास करना चाहिए कि उसके दिशा निर्देशों का यथा शक्ति पालन किया जाए.

कैसे करें गुरु की उपासना?
गुरु को उच्च आसन पर बैठाएं. उनके चरण जल से धुलायें , और पोंछे. फिर उनके चरणों में पीले या सफेद पुष्प अर्पित करें. इसके बाद उन्हें श्वेत या पीले वस्त्र दें. यथाशक्ति फल,मिष्ठान्न दक्षिणा, अर्पित करें. गुरु से अपना दायित्व स्वीकार करने की प्रार्थना करें.

Advertisement

अगर आपके गुरु नहीं हैं तो क्या करें?
हर गुरु के पीछे गुरु सत्ता के रूप में शिव जी ही हैं. इसलिए अगर गुरु न हों तो शिव जी को ही गुरु मानकर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाना चाहिए. श्रीकृष्ण को भी गुरु मान सकते हैं. श्रीकृष्ण या शिव जी का ध्यान कमल के पुष्प पर बैठे हुये करें. मानसिक रूप से उनके पुष्प, मिष्ठान्न, और दक्षिणा अर्पित करें. स्वयं को शिष्य के रूप में स्वीकार करने की प्रार्थना करें.

ये भी पढ़ें:

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement