Ganesh Chaturthi: शनिदेव की दृष्टि पड़ते ही गणेश जी का सिर हुआ था धड़ से अलग, पढ़िए पौराणिक कथा

Ganesh Chaturthi 2021: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश उत्सव धूमधाम से शुरू हो जाएगा. पुराणों में भगवान गणेश से जुड़ी कई मान्यताएं मिलती हैं. इनमें से एक है गणपति के जन्म की कहानी भी है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 5:12 PM IST
  • सूर्य देव ने क्रोधित होकर दिया था भगवान शिव को श्राप
  • भगवान श्रीहरि की वजह से मिला गणेश जी को नया जीवन

गणेश चतुर्थी 2021 (Ganesh Chaturthi 2021) की तैयारियां शुरू हो गई हैं. 10 सितंबर 2021, दिन शुक्रवार को घर-घर में विघ्न विनाशक गणेश जी विराजेंगे. गणेश उत्सव को लेकर लोगों में गजब का उत्साह दिखाई दे रहा है. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश उत्सव धूमधाम से शुरू हो जाएगा. पुराणों में भगवान गणेश से जुड़ी कई मान्यताएं मिलती हैं. इनमें से एक है गणपति के जन्म (Ganesh katha) की कहानी भी है. पढ़िए पौराणिक कथा....

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शिवलोक में हुआ उत्सव 
ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार मां पार्वती ने संतान पाने के लिए पुण्यक व्रत रखा था. माना जाता है कि इस व्रत की महिमा से ही मां पार्वती को गणेश जी संतान के रूप में मिले थे. शिवलोक में उत्सव का आयोजन हुआ. सभी देवी-देवता बालक गणेश को आशीर्वाद दे रहे थे. उस समय शनि देव सिर को झुकाए खड़े थे. ये देख मां पार्वती हैरान रह गईं. 

इस तरह कटा शीश 
ये देखने पर मां पार्वती ने शनिदेव से उनका सिर झुका कर खड़े होने का कारण पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि अगर वे गणेश जी को देखेंगे तो हो सकता है कि उनका सिर शरीर से अलग हो जाएगा, लेकिन पार्वती जी के कहने पर शनि देव ने गणेश जी की ओर नजर उठाकर देख लिया, जिसके परिणामस्वरूप गणेश जी का सिर उनके शरीर से अलग हो गया. 

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इस तरह मिला जीवन 
ब्रह्मावैवर्त पुराण में ये भी बताया गया है कि शनि देव के देखने पर जब गणेश जी का सिर उनके शरीर से अलग हुआ, तो उस समय भगवान श्रीहरि ने अपना गरुड़ उत्तर दिशा की ओर फेंका, जो पुष्य भद्रा नदी की तरफ जा पहुंचा था. वहां पर एक हथिनी अपने एक नवजात बच्चे के साथ सो रही थी. भगवान श्रीहरि ने अपने गरुड़ की मदद से हथिनी के बच्चे सिर काटकर गणेश जी के शरीर पर लगा दिया था, जिसके बाद एक बार फिर गणेश जी को जीवन मिला.

सूर्य देव के श्राप का था असर 
ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार भगवान शिव ने एक बार गुस्से में सूर्य देव पर त्रिशूल से वार किया था. भगवान शिव की इस बात से सूर्य देव के पिता बेहद क्रोधित हो गए और उन्होंने भगवान शिव को श्राप दिया कि जिस तरह भगवान शिव ने उनके पुत्र के शरीर को नुकसान पहुंचाया है ठीक उसी प्रकार एक दिन भगवान शिव के पुत्र यानी गणेश जी का शरीर भी कटेगा. 

 

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