पूरे देश में गणेश उत्सव की धूम मची हुई है. भगवान गणेश को समर्पित यह पर्व गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाता है. इस साल गणेश महोत्सव की शुरुआत 27 अगस्त को हुई थी और इसका समापन 6 सितंबर को होगा. कहते हैं कि इस 10 दिवसीय पर्व में बप्पा धरती पर आकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. इस दौरान भक्तजन घरों और पंडालों में गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं.
इसी बीच महाराष्ट्र के बीड जिले के नवगन राजुरी गांव से गणेश उत्सव की एक अनोखी तस्वीर सामने आई है, जो खूब चर्चा में है. यहां अखंड हरिनाम सप्ताह के अंतिम दिन एक खास परंपरा निभाई जाती है. इस परंपरा के अनुसार मंदिर की छत से भक्तों के बीच प्रसाद फेंका जाता है, जिसे श्रद्धालु अपने उल्टे छाते में इकट्ठा करते हैं.
यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है. हर साल गणेश उत्सव के मौके पर अखंड हरिनाम सप्ताह का समापन इसी अनोखे ढंग से होता है. नीचे खड़े भक्त अपने छाते उल्टे करके खड़े रहते हैं और छत से गिरता हुआ महाप्रसाद उन छातों में इकट्ठा हो जाता है. इससे बड़ी संख्या में श्रद्धालु एक साथ प्रसाद ग्रहण कर पाते हैं.
गणेश चतुर्थी के अवसर पर नवगन राजुरी गांव में 1 सितंबर को अखंड हरिनाम सप्ताह का आयोजन किया गया. बता दें कि हर साल गणेश चतुर्थी के अवसर पर अखंड हरिनाम सप्ताह का आयोजन किया जाता है. इस दौरान भजन-कीर्तन और संगत के बीच भक्तों को महाप्रसाद मंदिर की छत से नीचे फेंका जाता है.हर साल श्रद्धालु छाते लेकर नीचे खड़े होते हैं और अपने छाते में एकत्र प्रसाद को ग्रहण करते हैं.
बता दें कि गणेशोत्सव 2025 का आरंभ इस वर्ष 27 अगस्त, बुधवार को हुआ था. सितंबर 2025 में भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर, शनिवार को लगभग 03:12 AM बजे से शुरू होगी . और इसका समापन 7 सितंबर को होगा.
गणेश विसर्जन का महत्व
गणेश उत्सव का समापन गणेश विसर्जन के साथ होता है. यह केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि गहरी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भावना से जुड़ा हुआ पर्व है.
जीवन का प्रतीक – गणेश विसर्जन हमें यह संदेश देता है कि जीवन क्षणभंगुर है. जैसे प्रतिमा को जल में विसर्जित किया जाता है, वैसे ही मानव जीवन भी अस्थायी है और अंततः प्रकृति में विलीन हो जाता है.
आगमन और प्रस्थान का चक्र – भगवान गणेश को घर में आमंत्रित करने से लेकर विसर्जन तक का क्रम जन्म और मृत्यु के चक्र का प्रतीक माना जाता है.
अहंकार का त्याग – विसर्जन इस बात का प्रतीक है कि मनुष्य को अपने अहंकार और नकारात्मक भावनाओं का त्याग करना चाहिए.
प्रकृति से जुड़ाव – मिट्टी की प्रतिमा का जल में विसर्जन यह दर्शाता है कि सब कुछ प्रकृति से आता है और अंततः उसी में विलीन हो जाता है.
सामूहिक एकता – गणेश विसर्जन के समय विशाल शोभायात्राएँ और सामूहिक भागीदारी सामाजिक एकता और भाईचारे का संदेश देती है.
रोहिदास हातागले