Bhaum Pradosh Vrat 2025: भौम प्रदोष का पवित्र दिन भगवान शिव और रुद्रावतार हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. इस दिन शिव की आराधना से पापों का नाश होता है. जबकि बजरंगबली की उपासना जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने में सहायक होती है. हर माह की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है, लेकिन जब यह तिथि मंगलवार के दिन पड़े तो इसे भौम प्रदोष कहा जाता है.
भौम प्रदोष व्रत कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 2 दिसंबर को दोपहर 03.57 बजे से 3 दिसंबर को दोपहर 12.25 बजे तक रहेगी. ऐसे में भौम प्रदोष व्रत 2 दिसंबर को रखा जाएगा.
भौम प्रदोष का महत्व
भौम का संबंध मंगल ग्रह से है और प्रदोष त्रयोदशी तिथि को दर्शाता है. मंगलवार को त्रयोदशी होने पर यह भौम प्रदोष कहलाती है. इस दिन शिव और हनुमान दोनों की पूजा का विधान है. शिव उपासना से सभी प्रकार के दोष समाप्त होते हैं और हनुमान जी की आराधना शत्रुओं से रक्षा करती है. साथ ही. कर्ज मुक्ति का मार्ग भी खोलती है.
प्रदोष काल में पूजा से होगा लाभ
भौम प्रदोष के दिन व्रत रखकर संध्या के समय पूजा करने से जीवन की अनेक समस्याओं का अंत हो सकता है. शाम के समय प्रदोष काल में पूजा जरूर करें. इस दिन स्नान कर संध्या वंदना करें और घर के ईशान कोण में भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें. शिव को पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें.
इसके बाद आसन पर बैठकर ॐ नमः शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें. पूजा के बाद अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करें और जरूरतमंदों को भोजन करवाएं. ऐसी मान्यताएं हैं कि प्रदोष काल में की गई शिव उपासना अत्यधिक शुभ फल प्रदान करती है. शाम के समय हनुमान चालीसा का पाठ भी विशेष लाभ देता है.
व्रत में किन बातों का ध्यान रखें?
भौम प्रदोष में केवल फलाहार और जल ग्रहण करें. अन्न से परहेज करें. शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा अवश्य करें. भगवान शिव को केवड़ा और केतकी के फूल न चढ़ाएं. यदि व्रत न रख सकें तो कम से कम सात्विक भोजन लें.
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