Apara Ekadashi 2025: अपरा एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और व्रत के नियम

Apara Ekadashi 2025: अपरा एकादशी तिथि 22 मई को रात 01:12 बजे से लेकर 23 मई को रात 10:29 बजे तक रहने वाली है. हालांकि अपरा एकादशी का व्रत शुक्रवार, 23 मई यानी आज रखा जाएगा. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04.04 बजे से 04:45 बजे तक रहेगा. पूजा-पाठ के लिए यह समय बहुत शुभ रहेगा.

Advertisement
अपरा एकादशी 2025 (Photo/Meta AI) अपरा एकादशी 2025 (Photo/Meta AI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2025,
  • अपडेटेड 6:30 AM IST

Apara Ekadashi 2025: ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी मनाई जाती है. इसे अचला एकादशी भी कहा जाता है. यह एकादशी पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मनुष्य को राजसूय यज्ञ, अश्वमेध यज्ञ, और तीर्थ स्नान के बराबर फल प्राप्त होता है. विशेष रूप से वो लोग जो पापों से मुक्ति और धार्मिक शुद्धता की कामना करते हैं, उनके लिए यह एकादशी बहुत प्रभावी मानी जाती है. आइए अपरा एकादशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत के नियम जानते हैं.

Advertisement

तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, अपरा एकादशी तिथि 22 मई को रात 01:12 बजे से लेकर 23 मई को रात 10:29 बजे तक रहने वाली है. हालांकि अपरा एकादशी का व्रत शुक्रवार, 23 मई यानी आज रखा जाएगा. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04.04 बजे से 04:45 बजे तक रहेगा. पूजा-पाठ के लिए यह समय बहुत शुभ रहेगा. व्रत का पारण 24 मई को सुबह 05.26 बजे से 08:11 बजे के बीच किया जा सकता है.

अपरा एकादशी व्रत की विधि
अपरा एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें. स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है. पूजा के लिए एक चौकी लें. उस पर पीले रंग का स्वच्छ कपड़ा बिछाएं. फिर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को उस पर स्थापित करें. इस व्रत में भगवान त्रिविक्रम की पूजा की जाती है. सबसे पहले उनकी प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं. उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं या अर्पित करें. इसके बाद दीप प्रज्वलित करें. भगवान विष्णु को अक्षत, पुष्प, फल, तुलसी दल, पंचमेवा, धूप और नैवेद्य अर्पित करें. भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें. "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें. विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी किया जा सकता है.

Advertisement

अपरा एकादशी व्रत का नियम
अपरा एकादशी का व्रत दो प्रकार से रखा जाता है. निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत. निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए. सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए. बेहतर होगा कि इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन किया जाए. इस व्रत में भगवान त्रिविक्रम की पूजा की जाती है.


इस दिन तामसिक आहार और बुरे विचार से दूर रहें. भगवान कृष्ण की उपासना के बिना दिन की शुरुआत न करें. मन को ज्यादा से ज्यादा ईश्वर में लगाए रखें. अगर स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो उपवास न रखें. केवल प्रक्रियाओं का पालन करें. इस दिन पशुओं के साथ क्रूरता न करें. किसी को अपशब्द न कहें. सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिण जरूर दें.

अपरा एकादशी का दिव्य उपाय
श्रीहरि कृपा के सबसे सरल उपाय भगवान श्री हरि की प्रतिमा को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं भगवान को फल, फूल, केसर, चंदन और पीला फूल चढ़ाएं पूजन के बाद श्री हरि की आरती करें ''ऊं नमो नारायणाय या ऊं नमो भगवते वासुदेवाय'' मंत्र जपें इसके बाद भगवान से अपनी मनोकामना कहें.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement