Apara Ekadashi 2025: कब रखा जाएगा अपरा एकादशी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पारण का समय

Apara Ekadashi 2025: इस साल ज्येष्ठ माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 23 मई 2025 को प्रात: काल 01 बजकर 12 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन इसी दिन देर रात 10 बजकर 29 मिनट पर होगा.

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Apara Ekadashi 2025 Apara Ekadashi 2025

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 मई 2025,
  • अपडेटेड 7:22 AM IST

Apara Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है. हर माह में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है, एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष में. ऐसे ही ज्येष्ठ माह में आने वाली एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है. मानयता है कि अपरा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को अपार धन की प्राप्ति होती है. तो आइए जानते हैं कि इस बार अपरा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा और पूजा के लिए शुभ मुहूर्त क्या रहेगा. 

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कब है अपरा एकादशी 2025?

वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 23 मई 2025 को प्रात: काल 01 बजकर 12 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन इसी दिन देर रात 10 बजकर 29 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर इस बार 23 मई 2025 को अपरा एकादशी मनाई जाएगी.

पंचांग के अनुसार, भद्रा काल 22 मई 2025 को दोपहर 02 बजकर 21 मिनट से लेकर 23 मई 2025 को प्रात: काल 01 बजकर 12 तक रहेगी. ऐसे में 23 मई को भद्रा काल समाप्त हो जाएगी और इसके बाद एकादशी तिथि का आरंभ होगा. इसलिए इस साल अपरा एकादशी व्रत पर भद्रा की काली साया नहीं रहेगी.

अपरा एकादशी पारण का समय 2025?

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अपरा एकादशी का पारण 24 मई को किया जाएगा. व्रत खोलने का शुभ समय सुबह 05 बजकर 26 मिनट से सुबह 08 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना होता है.

अपरा एकादशी व्रत का महत्व

अपरा एकादशी के दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. अपरा एकादशी दिन प्रभु नारायण के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करें. ऐसा करने से व्यक्ति धन-धान्य में भी वृद्धि होती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.

अपरा एकादशी पूजा विधि 

अपरा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें. इसके बाद स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्‍प करें. भगवान विष्णु की विधि विधान पूजा करें, उन्हें अक्षत, फूल, आम फल, नारियल और मेवे चढ़ाएं. विष्‍णु की पूजा में तुलसी के पत्ते अवश्‍य रखें. इसके बाद कथा सुनें और आरती करें. फिर शाम के समय तुलसी के पौधे के पास देसी घी का दीपक जलाएं. फिर अगले दिन व्रत का पारण करें.

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