Ahoi Ashtami 2020: कब है अहोई अष्टमी? संतान की दीर्घायु कामना के लिए ऐसे रखें व्रत

अहोई अष्टमी के दिन अहोई मता(पार्वती) की पूजा की जाती है. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर अपने संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं. जिन लोगों को संतान नहीं हो पा रही हो उनके लिए ये व्रत विशेष है. जिनकी संतान दीर्घायु न होती हो उनके लिए भी ये व्रत शुभकारी होता है.

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अहोई अष्टमी 2020 अहोई अष्टमी 2020

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST
  • अहोई अष्टमी के दिन होती है अहोई माता की पूजा
  • संतान की दीर्घायु कामना के लिए व्रत
  • माताएं बच्चों के लिए रखती हैं व्रत

अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) का पर्व हर साल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है और रात में तारों को जल अर्पित करने के बाद व्रत को खोलती है. अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता(पार्वती) की पूजा की जाती है. इस बार अहोई अष्टमी का व्रत 8 नवंबर को रखा जाएगा. हालांकि कुछ लोग 7 नवंबर को भी ये व्रत रख रहे हैं.

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अहोई अष्टमी का महत्व

इस दिन महिलाएं व्रत रखकर अपने संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं. जिन लोगों को संतान नहीं हो पा रही हो उनके लिए ये व्रत विशेष है. जिनकी संतान दीर्घायु न होती हो उनके लिए भी ये व्रत शुभकारी होता है. सामान्यतः इस दिन विशेष प्रयोग करने से संतान की उन्नति और कल्याण भी होता है. ये उपवास आयुकारक और सौभाग्यकारक होता है. 

कैसे रखें इस दिन उपवास?

प्रातः स्नान करके अहोई की पूजा का संकल्प लें. अहोई माता की आकृति, गेरू या लाल रंग से दीवार पर बनाएं. सूर्यास्त के बाद तारे निकलने पर पूजन आरम्भ करें. पूजा की सामग्री में एक चांदी या सफेद धातु की अहोई, चांदी की मोती की माला, जल से भरा हुआ कलश, दूध-भात, हलवा और पुष्प, दीप आदि रखें. पहले अहोई माता की रोली, पुष्प, दीप से पूजा करें और उन्हें दूध भात अर्पित करें. फिर हाथ में गेंहू के सात दाने और कुछ दक्षिणा (बयाना) लेकर अहोई की कथा सुनें. कथा के बाद माला गले में पहन लें और गेंहू के दाने तथा बयाना सासु मां को देकर उनका आशीर्वाद लें. अब तारों को अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करें.

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संतान का सुख पाने के लिए

संतान का सुख पाने के लिए इस दिन अहोई माता और शिव जी को दूध भात का भोग लगाएं. चांदी की नौ मोतियां लेकर लाल धागे में पिरो कर माला बनायें. अहोई माता को माला अर्पित करें और संतान को संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें. पूजा के उपरान्त अपनी संतान और उसके जीवन साथी को दूध भात खिलाएं. अगर बेटे को संतान नहीं हो रही हो तो बहू को , और बेटी को संतान नहीं हो पा रही हो तो बेटी को माला धारण करवाएं.

 

 

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