'खाने को मोहताज' पूर्व मंत्री, पत्नी-बेटे से लड़ाई, जानिए क्या है भरतपुर राजघराने का पूरा बवाल?

भरतपुर के पूर्व राजपरिवार की लड़ाई अब सड़क पर आ गई है. पूर्व महाराजा और पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने भरण-पोषण के लिए कोर्ट में याचिका दायर की है और 5 लाख रुपए प्रति महीना खर्चा दिए जाने की मांग की है. उन्होंने पत्नी और बेटे पर प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया है. वहीं, पत्नी और बेटे ने भी अब मोर्चा खोल दिया है और अपना पक्ष सामने रखा है.

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भरतपुर के पूर्व राजघराने में संपत्ति को लेकर विवाद सामने आया है. भरतपुर के पूर्व राजघराने में संपत्ति को लेकर विवाद सामने आया है.

सुरेश फौजदार

  • भरतपुर,
  • 20 मई 2024,
  • अपडेटेड 6:42 PM IST

राजस्थान के भरतपुर में राजघराने की लड़ाई बढ़ती जा रही है. पूर्व महाराजा विश्वेंद्र सिंह ने पहले अपनी पत्नी और बेटे ने गंभीर आरोप लगाए. अब बेटे ने दावा किया कि पिता मोती महल को बेचना चाहते हैं, इसलिए परिवार में झगड़ा शुरू हुआ है. यह भी आरोप लगाया कि विश्वेंद्र सिंह पत्नी और बेटे को बदनाम कर रहे हैं. फिलहाल, यह विवाद थमता नहीं दिख रहा है.

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दरअसल, पूर्व महाराजा विश्वेंद्र सिंह ने भरण पोषण ट्रिब्यूनल में पत्नी और बेटे के खिलाफ याचिका दायर की है. उन्होंने 5 लाख रुपये प्रतिमाह भरण पोषण दिए जाने की मांग की है. पत्नी और बेटे पर मारपीट करने का आरोप भी लगाया है. विश्वेंद्र की पत्नी दिव्या सिंह भरतपुर लोकसभा सीट से सांसद रह चुकी हैं. विश्वेंद्र सिंह राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं.

विश्वेंद्र ने पत्नी और बेटे से मांगा भरण पोषण

विश्वेंद्र ने भरण पोषण प्राधिकरण में उपखंड अधिकारी के यहां अपनी पत्नी दिव्या सिंह और पुत्र अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ याचिका दायर की है. इस याचिका के जरिए पत्नी और बेटे से 5 लाख रुपए प्रतिमाह भरण पोषण दिए जाने की मांग की है. विश्वेंद्र ने पत्नी और बेटे पर प्रताड़ित करने और मारपीट करने के आरोप लगाए हैं. विश्वेंद्र का कहना था कि मारपीट करने के बाद मुझे मोती महल से बाहर निकाल दिया गया, जिसके बाद मैं करीब 3 वर्षों से कभी होटल में तो कभी कहीं अपना जीवन व्यतीत कर रहा हूं. 

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संपत्ति पर पत्नी और बेटे का कब्जा होने का आरोप लगाया

भरतपुर के पूर्व शाही परिवार के सदस्य विश्वेंद्र ने आगे कहा, महल समेत पूर्वजों की सभी संपत्ति और खानदानी जेवर पर पत्नी और बेटे का कब्जा हो गया है. मेरे कागजात, कपड़े और अन्य सामान फाड़कर फेंक दिया गया है. पूर्व कैबिनेट मंत्री का आरोप है कि हम तीनों का दिल्ली की एक बैंक में ज्वॉइंट अकाउंट था, लेकिन पत्नी और बेटे ने मेरे फर्जी हस्ताक्षर करके बैंक लॉकर से कीमती सामान निकाल लिया है. 

'महल के अंदर प्रताड़ित किया गया'

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, विश्वेंद्र सिंह ने आरोप लगाया है कि उन्हें प्रताड़ित किया गया. पर्याप्त भोजन नहीं दिया गया और अंततः अपने घर से भगा दिया गया. उन्होंने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत आवेदन दायर किया है. 62 वर्षीय विश्वेंद्र सिंह ने अपने आवेदन में कहा, वो हृदय रोग से पीड़ित हैं और अवसाद का सामना नहीं कर सकते हैं. 2021 और 2022 में दो बार COVID-19 से संक्रमित हुए. लेकिन पत्नी और बेटे ने देखभाल तक नहीं की. विश्वेंद्र सिंह ने आरोप लगाया, पिछले कुछ वर्षों से मेरी पत्नी और बेटे ने मेरे खिलाफ बगावत शुरू कर दी. उन्होंने मेरे साथ मारपीट की, मेरे दस्तावेज और कपड़े जला दिए और मेरे साथ दुर्व्यवहार किया और खाना भी बंद कर दिया. मुझे किसी से भी मिलने की मनाही थी और उन्होंने मुझे महल के भीतर लंबे समय तक यातनाएं दीं. आखिरकार उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया और मैं कई सालों से कहीं और रह रहा हूं.

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उन्होंने कहा, महल से निकाले जाने के बाद से मैं खानाबदोश का जीवन जी रहा हूं. शुरुआत में मैं जयपुर में अपने सरकारी आवास में रहा और बाद में मैं होटलों में रहा. वे मुझे महल में जाने से रोकते रहे. पूर्व मंत्री ने दावा किया कि कई प्राचीन वस्तुएं, ट्रॉफियां, पेंटिंग और फर्नीचर समेत करोड़ों रुपये की पैतृक संपत्ति उनकी पत्नी और बेटे के कब्जे में है. सिंह ने महल और सभी संपत्तियों का स्वामित्व उन्हें ट्रांसफर किए जाने की मांग की है.

पत्नी और बेटे ने संभाला मोर्चा

विश्वेंद्र सिंह के आरोपों के बाद उनकी पत्नी दिव्या सिंह और पुत्र अनिरुद्ध सिंह ने पत्रकार वार्ता की और विश्वेंद्र सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं. दिव्या सिंह का कहना है कि पति विश्वेंद्र सिंह मोती महल को बेचने जा रहे थे, जिसके बाद परिवार में झगड़ा शुरू हो गया था. इससे पहले वो पूर्वजों की जो संपत्ति थी, उसे वो बेच चुके हैं. हालांकि, मैं मरते दम तक मोती महल को बचाने का काम करूंगी, चाहे जो भी हो जाए. विश्वेंद्र सिंह द्वारा हम लोगों को बदनाम करने की साजिश की जा रही है. विश्वेंद्र सिंह ने जो इल्जाम लगाए हैं, वो सभी गलत हैं. 

'मेरे साथ अत्याचार हुआ, आज बेटा मेरे साथ खड़ा'

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दिव्या का कहना था कि अगर मैं मुंह खोलूंगी तो 30 साल में जो हुआ, उससे ऐसा ना हो कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाए. मैंने आज तक एक शब्द नहीं बोला है. आज पहली बार बेटे के साथ बैठी हूं. मेरे साथ अत्याचार हो रहा है और बेटा मेरे साथ खड़ा है. क्षेत्र के लोग भी यह नहीं कह सकते हैं कि बेटा अनिरुद्ध गलत कर रहा है. मैंने बिगड़ा हुआ घर संभाला है. आज मेरे ऊपर इल्जाम लगाए जा रहे हैं. अभी भी मैंने अपना मुंह नहीं खोला है. मैं यहां सिर्फ अपने बेटे के साथ खड़ी हूं. मैं यही कह सकती हूं कि हर औरत को ऐसा बेटा मिले, जो अपनी मां के खिलाफ अत्याचार पर आवाज उठाए. मैं यही कहूंगी कि मोती महल को बचाकर रहूंगी.

'लोगों को बहकाने की कोशिश कर रहे हैं पिता'

बेटा अनिरुद्ध का कहना था कि इस मामले में एसडीएम को अवगत कराया है. हालांकि, एसडीएम पर प्रेशर बनाने के लिए मामले को उछाला जा रहा है. ये मामला नया नहीं है. भले खबरों में पहली बार आया है. सबसे पहले वो एसडीएम कोर्ट में गए. हम लोगों ने अपना पक्ष रखा है. हम लोगों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. हम लोगों को घर-परिवार से लेकर काम धंधा भी देखना पड़ता है. वे सिर्फ हमें प्रताड़ित करने के लिए ऐसा कर रहे हैं. वो लोगों को बहकाने की कोशिश कर रहे हैं. विरासत को बेचना कहां तक ठीक कहा जा सकता है. ये उनसे पूछा जाना चाहिए. भरतपुर रियासत का जब सरदार पटेल ने एकीकरण किया था, उस समय कितनी प्रॉपटी थीं और 1995 के बाद बेच-बेचकर दिल्ली से लेकर आगरा तक की कितनी प्रॉपर्टी बची हैं? मथुरा का मंदिर कहां है? हमारी गोवर्धन में छतरियां चली गई हैं. 

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