राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले में एक्शन हुआ है. लिहाजा डॉक्टर पलक कुलवाल और फार्मासिस्ट पप्पू कुमार सोनी के निलंबन के आदेश जारी किए गए हैं. वहीं, राजस्थान के पब्लिक हेल्थ डायरेक्टर रवि प्रकाश शर्मा ने कहा कि बच्चों की मौत के मामले में मेडिकल और हेल्थ डिपार्टमेंट की तरफ से जांच जारी है. प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार सीकर और भरतपुर में बच्चों को जो दवाइयां दी गईं, वह डॉक्टरों द्वारा नहीं लिखी गई थीं.
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, रवि प्रकाश शर्मा ने बताया कि परिवारों से बातचीत में यह खुलासा हुआ कि बच्चों को दवाइयां उनके परिवारवालों ने खुद ही दी थी, जिससे उनकी सेहत बिगड़ी. उन्होंने कहा कि दो बच्चों की मौत प्री-एक्सिस्टिंग कंडीशन, यानी निमोनिया की वजह से हुई थी, और डॉक्टरों ने उन्हें यह दवा नहीं दी.
जांच के तहत सैंपल परीक्षण की प्रक्रिया जारी है और संबंधित विभाग निष्कर्षों के आधार पर आगे की कार्रवाई करेगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सीकर मामले में दवा डॉक्टरों द्वारा लिखी गई थी और इसके खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है.
बता दें कि मौसमी बीमारियों से बचाव और रोकथाम के लिए प्रदेशभर में आशा, एएनएम और सीएचओ द्वारा शनिवार से डोर टू डोर सर्वे किया जाएगा. सर्वे के दौरान आमजन को बीमार होने पर तत्काल चिकित्सा संस्थान पहुंचकर परामर्श लेने, चिकित्सकीय सलाह से ही दवा का सेवन करने, बच्चों की पहुंच से दवा को दूर रखने और दवा के दुष्प्रभाव सामने आने पर आवश्यक उपाय बरतने के संबंध में जागरूक किया जाएगा.
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने स्वास्थ्य भवन में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित बैठक में इस संबंध में दिशा-निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि आमजन दवाओं का उपयोग चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही करें. विगत दिनों कुछ स्थानों पर बिना परामर्श खांसी की दवा के सेवन के कारण बच्चों में दुष्प्रभाव के मामले सामने आए हैं. यह चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए जरूरी है कि चिकित्सकों, फार्मासिस्ट को दवाओं को लिखने की जानकारी हो. और आमजन को दवाओं के उपयोग की जानकारी हो.
शरत कुमार