'दूध और नींबू में यही फर्क', वसुंधरा राजे के बयान पर अशोक गहलोत ने किया पलटवार

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अशोक गहलोत के साथ मिलीभगत के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि क्या दूध और नींबू का रस एकसाथ रह सकता है, अब सीएम गहलोत ने इस बयान को लेकर वसुंधरा पर पलटवार किया है.

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अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे (फाइल फोटो) अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 10:44 AM IST

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के साथ मिलीभगत का आरोप खारिज करते हुए उनके बयान पर चुटकी ली. वसुंधरा राजे ने बीते हफ्ते गहलोत के साथ मिलीभगत के आरोपों को झूठ बताते हुए कहा था कि दूध और नींबू का रस एकसाथ नहीं रह सकता. 

बीकानेर दौरे पर आए गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार ने वसुंधरा राजे सरकार की योजनाओं को बंद नहीं किया, यहां तक कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को भी आगे बढ़ाया.  

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गहलोत ने कहा, "हम उनकी योजनाओं को नहीं रोकते हैं, लेकिन कांग्रेस सरकार की योजनाओं को वसुंधरा सरकार ने रोक दिया था और यही 'दूध' और 'नींबू'के बीच का अंतर है." कांग्रेस के सीनियर नेता ने इस दौरान राज्य सरकार की योजनाओं और कामों के बारे में बताया. साथ ही इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सत्ता में वापसी का भरोसा जताया.  

वसुंधरा ने पूछा- क्या दूध और नींबू का रस मिल सकता है? 

बता दें कि बीते सप्ताह श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ शहर में जम्भेश्वर मंदिर की यात्रा पर आई वसुंधरा राजे ने गहलोत के साथ मिलीभगत को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया था. वसुंधरा राजे ने कहा कि इस झूठ को साजिश के तहत फैलाया जा रहा है. उन्होंने पूछा था, "क्या दूध और नींबू का रस कभी मिल सकता है?" 

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पायलट ने की थी भ्रष्टाचार में जांच की मांग 

पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में हुए कथित भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कराने में गहलोत सरकार की निष्क्रियता को लेकर हाल ही में जयपुर में एक दिन का अनशन किया था. पायलट का आरोप है कि इस मामले को लेकर उन्होंने सीएम गहलोत को कई बार चिट्ठी लिखी, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. गहलोत सरकार का इस तरह विरोध करने को लेकर सचिन पायलट पर पार्टी नेतृत्व ने सवाल भी उठाए थे. सीनियर नेताओं का कहना था कि अगर उन्हें इस तरह अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन नहीं करना चाहिए था. 

 

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