ज़रा सोचिए, कोई फांसी पर चढ़ने जा रहा है. जेलर उसके पास जाकर पूछता है बताओ कोई आखिरी ख्वाहिश है? वो अपनी ख्वाहिश बता भी देता है. लगता है चलो मामला खत्म. मगर ख्वाहिश पूछने के बाद फांसी की तारीख ही आगे बढ़ जाती है. लिहाज़ा कुछ दिन बाद जेलर फिर उसके पास जाता है. फिर नए सिरे से पूछता है बताओ कोई आखिरी ख्वाहिश है? तिहाड़ जेल में फांसी की राह देख रहे निर्भया के चारों गुनहगारों के साथ फिलहाल कुछ ऐसा ही हो रहा है. देखिए वारदात.