मैं भाग्य हूं, मैं ही रोज आपको जीवन की सीख देता हूं, मैंने देखा है कि कुछ लोग अपने बारे में ही सोचते हैं खुद की खुशी को ही जीवन का उद्देश्य मानते हैं लेकिन मैं तो यही कहता हूं कि दूसरों को खुश रखना और उनकी खुशी के बारे में सोचना ही इंसानियत का धर्म है.
रिश्ते अंदरूनी एहसास, आत्मीय अनुभूति के दम पर ही टिकते हैं. मैं अपनी इस बात के एक कहानी के माध्यम से बताउंगा...