असम के चालीस लाख लोग क्या बेवतन हो जाएंगे? एनआरसी से उठे इस सवाल पर सियासत में संग्राम छिड़ा हुआ है तो असम में मातम छाया हुआ है. पुश्त दर पुश्त से असम में रहते हुए लाखों लोग एक किताब में अपना नाम खोज रहे हैं. बाप का नाम है तो बेटे का नहीं. पांच भाईयों के नाम हैं तो छटे का गायब है. किसी के मां-बाप का है तो बेटी का नहीं है. असम दर्द और विस्थापन की आशंकाओं का टापू बन गया है. देखें- '10तक' का पूरा वीडियो.