प्रशांत किशोर की जनसुराज से महागठबंधन नहीं, बीजेपी को बड़ा चैलेंज है

प्रशांत किशोर को शुरुआती दिनों में उनके आलोचक उन्हें बीजेपी की बी टीम कहकर खारिज कर रहे थे. पर आज की तारीख में चाहे बीजेपी हो या आरजेडी दोनों को ही अपनी रणनीति जन-सुराज को ध्यान में रखकर बनानी पड़ रही है.

Advertisement
प्रशांत किशोर की बातें बिहार की जनता को समझ में आ रही हैं. प्रशांत किशोर की बातें बिहार की जनता को समझ में आ रही हैं.

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 08 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:09 PM IST

प्रशांत किशोर जिन्होंने भारतीय राजनीति में एक चुनावी रणनीतिकार के रूप में अपनी पहचान बनाई थी अब कुशल राजनीतिज्ञ बन चुके हैं. बिहार में उनकी पार्टी जनसुराज ने केवल 2 वर्षों में ही दोनों प्रमुख गठबंधनों की हवा टाइट कर रखी है. बिहार में जब उन्होंने राजनीति शुरू की तो विपक्ष उन्हें बीजेपी की बी टीम कहकर पुकारती थी. पर आज की हालत यह है कि महागठबंधन को तो उनकी पार्टी से खतरा है ही भारतीय जनता पार्टी भी जनसुराज से कम डरी हुई नहीं है. 

Advertisement

प्रशांत किशोर के खाते में देश के दर्जनों राजनीतिक दलों के लिए चुनावी रणनीति बनाकर ऐतिहासिक जीत दिलाने की उपलब्धि है. जिसमें 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी की जीत और 2015 में नीतीश कुमार की जेडीयू-आरजेडी गठबंधन की जीत शामिल है. लेकिन 2022 में अपनी 'जन सुराज' यात्रा शुरू करने के बाद राजनीति के बेहतर खिलाड़ी बन चुके हैं. प्रशांत किशोर अब बिहार की राजनीति में एक ऐसे खिलाड़ी के रूप में उभरे हैं जो बिहार की राजनीति को पलटने का माद्दा रखते हैं.  

तीन दशक बाद ब्राह्मण सीएम बनने की बात सोचकर रोमांचित हैं ब्राह्मण-भूमिहार

बिहार की राजनीति में ब्राह्मण और भूमिहारों को पहली बार ऐसा लग रहा है कि उनकी जाति का कोई नेता कम से कम सीएम पद के लिए चैलेंज तो कर रहा है. प्रशांत किशोर को लेकर उनमें उम्मीद जगी है . प्रशांत किशोर न भी सीएम बने  , जनसुराज पार्टी को बहुमत न भी मिले पर कम से कम ब्राह्मणों को ऐसा लग रहा है कि एक नेता उनके समुदाय से बहुत दिनों बाद आया है जिसमें प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति को हिलाने की क्षमता है. इस तरह प्रशांत किशोर सवर्णों राजनीति को साधने में लगे हैं. प्रशांत किशोर तो खुद सीएम नहीं बनने की बात करते हैं पर उनके कार्यकर्ता इस बात को गांव गांव तक फैला रहे हैं कि प्रशांत किशोर प्रदेश के सीएम बन सकते हैं. 

Advertisement

दरअसल यह ऐसी हवा है जिससे बीजेपी का घबड़ाना वाजिब ही दिखता है . कल्पना करिए कि अभी तक बीजेपी यह मानकर चल रही थी कि कहीं पर ब्राह्मण और भूमिहार वोट है तो पूरा का पूरा बीजेपी का है. पर अब ऐसा नहीं है. अगर प्रशांत किशोर की पार्टी का नेता ब्राह्मण या भूमिहार है तो निश्चित है कि बीजेपी का वोट कटेगा. विधानसभा चुनावों में कुछ परसेंट वोट बना बनाया खेल बिगड़ जाता है. जाहिर है कि बीजेपी प्रत्याशियों की नींद जनसुराज ने उड़ा रखी है.

बीजेपी के लिए खतरा: वोट बैंक में सेंधमारी

अब तक बिहार की राजनीति जाति के हिसाब से तय होती थी. आरजेडी के साथ मुस्लिम और यादव , जेडीयू के साथ कुर्मी ,और भाजपा को सवर्ण वोट मिलना तय होता था. लेकिन प्रशांत किशोर ने इस बार समीकरण उलझा दिया है.  प्रशांत किशोर ने अपनी रणनीति में सामाजिक इंजीनियरिंग पर जोर दिया है, जिसे उन्होंने 'BRDK फॉर्मूला' (ब्राह्मण, राजपूत, दलित, कुर्मी) के रूप में अपनाया है.

इस रणनीति के तहत, उन्होंने विभिन्न जातीय समूहों को एक मंच पर लाने की कोशिश की है. जाहिर है कि बीजेपी को अपने पारंपरिक वोटों के दरकने का खतरा दिख रहा है.बिहार में बीजेपी का वोट बैंक मुख्य रूप से ऊपरी जातियों ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ भूमिहार  होते रहे हैं. इसके साथ ओबीसी समुदायों और हिंदुत्व के समर्थक मिलकर बीजेपी को जीत दिलाते आएं हैं. 

Advertisement

जन सुराज ने पूर्व सांसद उदय सिंह (पप्पू सिंह) को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर राजपूत वोटरों को आकर्षित करने की कोशिश की है. यह बीजेपी के लिए खतरा है, क्योंकि राजपूत वोटर पारंपरिक रूप से बीजेपी और आरजेडी के बीच बंटते रहे हैं. प्रशांत किशोर ने दलित नेता मनोज भारती को जन सुराज का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर 19.65% दलित आबादी को साधने की कोशिश की है.

इसके अलावा, उनकी पार्टी ने अति पिछड़ा (36.01%) और मुस्लिम (17.70%) समुदायों पर भी फोकस किया हुआ है.मुसलमानों के लिए उन्होंने 40 सीटें रिजर्व की हुईं हैं. जिन्हें वो आर्थिक सहायता देने का भी वचन दिए हुए हैं. प्रशांत किशोर की 'कंबल पॉलिटिक्स' और बिहार के युवाओं के पलायन जैसे मुद्दों पर उन्हें युवा वोटरों के बीच जबरदस्त समर्थन मिल रहा है.

प्रशांत किशोर की रणनीति और बीजेपी की आलोचना

पहले कई बार ऐसा लगता था कि प्रशांत किशोर केवल तेजस्वी यादव को नौंवी फेल कह कर टार्गेट करते हैं. उनके निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं रहते हैं. पर प्रशांत किशोर ने हाल के महीनों में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे हमले करने शुरू किए हैं. 'ऑपरेशन सिंदूर' और भारत-पाकिस्तान युद्धविराम के समय पर भी प्रशांत किशोर ने सवाल उठाए.अब वे बीजेपी को सीधे टारगेट कर रहे हैं.

Advertisement

बीजेपी के लिए एक चुनौती बन रही प्रशांत किशोर की हिंदुत्व और विकास के नैरेटिव को टार्गेट करना. बीजेपी यह जानती है कि जब आरजेडी और कांग्रेस उनके हिंदुत्व को चुनौती देती है तो यह बीजेपी के लिए फायदेमंद रहती है. पर प्रशांत किशोर जब बीजेपी के हिंदुत्व को टार्गेट करते हैं तो ऐसा नहीं होता है. आरजेडी अगर बिहार की कानून व्यवस्था को खराब बताती है तो जनता उसे संदेह की नजर से देखती है पर प्रशांत किशोर जब यही बात करते हैं तो जनता को उम्मीद दिखती है.

प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा और नई राजनीतिक पहचान

भारत की राजनीति में आज तक का इतिहास रहा है कि नेताओं की यात्राएं बहुत फलदायी होती रही हैं. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा तक ने कांग्रेस को बहुत फायदा पहुंचाया .प्रशांत किशोर ने 2022 में 'जन सुराज' यात्रा शुरू की, जिसका उद्देश्य बिहार की जनता को जागरूक करना और एक वैकल्पिक राजनीतिक मंच तैयार करना था. इस यात्रा के दौरान, उन्होंने बिहार के हर जिले का दौरा किया और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों जैसे शिक्षा, रोजगार, और पलायन पर जोर दिया. 

जाहिर है कि उनकी पारंपरिक राजनीति से अलग राजनीति करना भी लोगों को भा रहा है. क्योंकि उन्होंने लोगों को यह नहीं बताया कि किसे वोट देना है, बल्कि यह समझाने की कोशिश की कि वोट किसके लिए और क्यों देना चाहिए.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement