पवन सिंह के लिए राजनीति की राह काफी दुरूह होती जा रही है. असली वजह तो पवन सिंह से जुड़े विवाद ही हैं, लेकिन मुद्दे की बात ये भी है कि वो मैनेज भी नहीं कर पा रहे हैं. विवादों में तो कई नेता फंसते रहते हैं, लेकिन बड़े आराम से उबर भी जाते हैं.
नेताओं के विवादों से उबर जाने की एक बड़ी वजह पब्लिक की शॉर्ट-मेमरी भी मानी जाती है, लेकिन पवन सिंह के मामले ये ऐसा हो नहीं पा रहा है. लोकसभा चुनाव में विवादों की लपटों ने पवन सिंह को झुलसाने की कोशिश की, तो कदम पीछे खींचे और मामला शांत हो गया - लेकिन, बिहार विधानसभा का चुनाव आते ही सब कुछ फिर से हरा भरा हो गया.
नतीजा ये हुआ है कि पवन सिंह को सरेआम ऐलान करना पड़ा है कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे, बस बीजेपी के सिपाही की तरह काम करते रहेंगे - अब सवाल ये है कि अगर पवन सिंह खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे, तो उनके कोटे से कोई और भी लड़ सकता है क्या?
पवन सिंह ने चुनाव लड़ने से इनकार क्यों किया
बीजेपी में वाया उपेंद्र कुशवाहा शामिल होने के बाद पवन सिंह ने सोचने समझने के लिए पूरा वक्त लिया. दस दिन से भी ज्यादा का समय. और फिर, 11 अक्टूबर 11 बजे से थोड़ा पहले सोशल साइट X पर सार्वजनिक घोषणा की, ‘मैं भोजपुरिया समाज को बताना चाहता हूं... मैंने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पार्टी ज्वाइन नहीं किया था... और न ही मुझे विधानसभा चुनाव लड़ना है... मैं पार्टी का सच्चा सिपाही हूं, और रहूंगा.’
बीजेपी का बाकायदा दामन थामने के बाद समझा जा रहा था कि पवन सिंह काराकाट या बिहार की आरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन उनके पीछे हट जाने का मतलब यही समझ में आया कि वो हर हाल में विवादों को शांत करने का प्रयास कर रहे हैं.
जैसे ही पवन सिंह ने बीजेपी में जाकर अपने राजनीतिक भविष्य की तरफ इशारा किया, उनकी पत्नी ज्योति सिंह एक्टिव हो गईं. सोशल मीडिया पर ऐलान किया, और लखनऊ पहुंच गईं. वीडियो बनाया, लाइव किया, पवन सिंह को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की, जिससे सबके पवन सिंह निशाने पर आ गए. बाद में पवन सिंह ने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए ज्योति सिंह से सवाल पूछे, और अपना पक्ष रखा.
ये तो साफ है कि पवन सिंह ने विवादों को शांत करने के लिए ही चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है. करीब करीब वैसे ही जैसे आसनसोल से लोकसभा का टिकट मिलने पर बीजेपी नेतृत्व के प्रति आभार जताया था, और फिर मजबूर होकर कदम पीछे भी खींच लिए. दोनों मामलों में फैसला खुद लिया हो, या बीजेपी की तरफ से मिली सलाह के बाद, ये तो संबंधित पक्षों को ही मालूम होगा.
पवन सिंह की एंटी-वूमन छवि तो पहले से ही बनी हुई है, कोई न कोई घटना ऐसी होती है कि उसमें इजाफा होता जा रहा है. आसनसोल का मैदान पवन सिंह को इसीलिए छोड़ना पड़ा था, क्योंकि पश्चिम बंगाल की महिलाओं के अपमान का आरोप लगाकर उनका विरोध जोर पकड़ने लगा था. कुछ दिन पहले ही लखनऊ के शो में अंजलि राघव को टच करने के मामले ने इतना तूल पकड़ा कि माफी भी मांगनी पड़ी थी, और जैसे ही विवाद थोड़ा शांत हुआ ज्योति सिंह ने धावा बोल दिया.
बेशक बीजेपी पवन सिंह की लोकप्रियता को भुनाना चाह रही है, लेकिन विवादों की वजह से मामला जोखिमभरा लगा, तो कदम पीछे खींचना ही सही रहता है. वैसे भी Y-कैटेगरी की सुरक्षा यूं ही तो दी नहीं गई है. ये भी ठीक है कि पवन सिंह को विवाद के चलते कदम पीछे खींचने पड़े हैं, लेकिन महत्वाकांक्षा खत्म तो हुई नहीं है - और, इसीलिए सवाल ये उठ रहा है कि पवन सिंह नहीं तो उनके कोटे का टिकट बीजेपी किसे देगी?
पवन सिंह के कोटे का टिकट किसे मिलेगा?
पवन सिंह ने भले ही कदम पीछे खींच लिए हों, लेकिन ज्योति सिंह के कदम तो रफ्तार भरने लगे हैं. पवन सिंह के चुनाव न लड़ने के ऐलान करने से ठीक एक दिन पहले ज्योति सिंह जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर से मिलने पहुंची थीं. इस बीच ज्योति सिंह के विधानसभा का चुनाव निर्दल लड़ने की भी चर्चा हो रही है. हालांकि, ज्योति सिंह के पिता रामबाबू सिंह का कहना है कि अगर पवन सिंह उनकी बेटी को अपना लें, तो वो चुनाव नहीं लड़ेगी. और, लगे हाथ काराकट को वो बेटी की पसंदीदा सीट बता रहे हैं, क्योंकि लोकसभा चुनाव में ज्योति सिंह इलाके में काफी सक्रिय थीं.
10 अक्टूबर को प्रशांत किशोर और ज्योति सिंह की मुलाकात करीब 20 मिनट चली थी. मिलने के बाद ज्योति सिंह का कहना था, 'मैं यहां चुनाव लड़ने, या टिकट के लिए नहीं आई हूं... मेरे साथ जो अन्याय हुआ है वो किसी और महिला के साथ ना हो... मैं उन तमाम महिलाओं की आवाज बनना चाहती हूं... चुनाव या टिकट को लेकर कोई बात नहीं हुई है.'
प्रशांत किशोर ने भी ज्योति सिंह की बातों को एनडोर्स किया था. प्रशांत किशोर का कहना था कि वो पारिवारिक मामले में दखल तो नहीं दे सकते, लेकिन अगर किसी महिला के साथ अन्याय होता है, तो जन सुराज वहां मजबूती से खड़ा मिलेगा.
अब पवन सिंह की जगह उनकी मां प्रतिमा सिंह के चुनाव लड़ने की खबर आ रही है. ये खबर सूत्रों के हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट में नजर आ रही है. बीजेपी के ही सूत्रों के हवाल से बताया जा रहा है कि पवन सिंह और बीजेपी के बीच ऐसी ही डील हुई है. क्योंकि, पवन सिंह इस बार मौका यूं ही नहीं जाने देने वाले हैं. प्लान तो काफी लंबा चौड़ा बताया जा रहा है. बताते हैं कि पवन सिंह ने अपने बदले मां के लिए टिकट मांगा है. और, समझा जाता है कि बीजेपी पवन सिंह की मां को भी आरा या काराकट से टिकट भी दे सकती है. आगे का प्लान ये है कि विवाद थम जाने के बाद पवन सिंह की मां बेटे के लिए मैदान से हट भी सकती हैं. मतलब, इस्तीफा देकर वो सीट खाली कर सकती हैं, ताकि पवन सिंह चुनाव लड़कर अपना सियासी सपना भी पूरा कर सकें.
मृगांक शेखर