पाकिस्तान भारत के खिलाफ अनवरत दुष्प्रचार फैलाता रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद जिस तरह का प्रोपेगेंडा पाकिस्तान ने फैलाया वह अपने आप में ऐतिहासिक था. भारतीय जेट्स को मार गिराने, पायलटों की गिरफ्तारी, और एयरबेस नष्ट करने के दावों के लिए पुराने वीडियो, वीडियो गेम फुटेज, और फर्जी तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया. पर चीनी मीडिया विशेषकर ग्लोबल टाइम्स और शिन्हुआ ने अपने ट्वीटर हैंडल पर जिस तरह भारत पाक युद्ध के मौके पर देश के खिलाफ काम किया, वह निसंदेह किसी भी संप्रभु देश के लिए बर्दाश्त से बाहर की चीज थी. चीनी मीडिया ने भारत-पाक युद्ध के मौके पर जिस तरह का गैरजिम्मेदारापन वाला व्यवहार किया गया है उससे तो यही लगता है कि यह भारत के खिलाफ चीन की सोची समझी साजिश का हिस्सा था. इनके ट्वीटर हैंडल से पाकिस्तानी दावों को बढ़ा चढ़ाकर बताया गया और भारत को क्षेत्रीय आक्रामकता के लिए जिम्मेदार ठहराया.
यही नहीं पाकिस्तानी और चीनी हैकर्स ने भारतीय सरकारी वेबसाइट्स, बैंकों, और रक्षा संस्थानों को निशाना बनाया.भारत के रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर डीडीओएस हमले की कोशिशें देखी गईं. भारत की छवि को खराब करने के लिए मानवाधिकार, अल्पसंख्यक मुद्दों और कश्मीर जैसे विषयों पर भी गलत सूचना फैलाई गईं. जाहिर है कि इस मोर्चे पर भारत को बहुत मेहनत करनी होगी. इनफॉर्मेशन वॉर से निपटने के लिए भारत फुलप्रूफ सिस्टम बनाना होगा, बिल्कुल वैसे ही जैसे एस-400 देश को पाकिस्तानी मिसाइलों से बचा रहा था.
यही सब कारण रहा कि भारत सरकार ने आज 14 मई को चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स, चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ (Xinhua), और तुर्की की समाचार एजेंसी टीआरटी वर्ल्ड (TRT World) के X अकाउंट्स को भारत में ब्लॉक कर दिया. यह कार्रवाई भारत-पाकिस्तना युद्ध के दौरान और उसके बाद इन एजेंसियों द्वारा भारत के खिलाफ गलत सूचना और प्रचार फैलाने के आरोपों के चलते हुई है. विशेष रूप से, ग्लोबल टाइम्स और शिन्हुआ ने पाकिस्तानी दावों जैसे भारतीय जेट्स गिराने और एयरबेस नष्ट करने को बढ़ावा दिया. जबकि टीआरटी वर्ल्ड ने तुर्की निर्मित ड्रोनों के उपयोग से संबंधित गलत सूचनाएं फैलाईं. जाहिर है कि भारत का विदेश मंत्रालय इस तरह की हरकत आज के माहौल में कैसे बर्दाश्त करता.
सिर्फ चीन और तुर्की के ही क्यों, कतारी न्यूज चैनल और वेबसाइट अलजजीरा भी भारत के खिलाफ झूठ परोसता रहा है
यह दुर्भाग्य रहा कि चीनी और तुर्किए के हैंडल्स को तो ब्लॉक किया गया पर कतारी समाचार चैनल अल जज़ीरा को ब्लॉक नहीं किया गया. हालाकि इसने भी भारत के खिलाफ जहरीली सूचनाएं फैलाईं. जैसे भारतीय पायलट की गिरफ्तारी, जेट्स गिराने, और कश्मीर नीति को दोष देने आदि मुद्दों पर यह चैनल पाकिस्तान की भाषा बोल रहा था. अल जज़ीरा को ब्लॉक न करने का कारण भारत-कतर के मजबूत आर्थिक और कूटनीतिक संबंध (विशेष रूप से LNG आपूर्ति), अल जज़ीरा की वैश्विक पहुंच और रणनीतिक सीमाएं हो सकती हैं. भारत ने अल जज़ीरा के दावों का जवाब PIB Fact Check, राजनयिक जवाब के माध्यम से दिया. यह समझ में नहीं आया कि जब चीन जैसे ताकतवर देश के हैंडल को बंद करने साहस सरकार ने दिखाया तो कतर के साथ यह सहृदयता क्यों दिखाया जा रहा है?
1-भारत विरोधी प्रोपोगेंडा में शामिल समाचार एजेंसियों पर कार्रवाई के लिए युद्ध का इंतजार क्यों?
भारत ने जिन विदेशी हैंडल्स के खिलाफ एक्शन लिया है ये हमेशा भारत के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं. पर समझ में ये नहीं आया कि इसके लिए भारत को युद्ध का क्यों इंतजार करना पड़ा? भारत हमेशा जवाबी कार्रवाई के लिए सही समय का चयन करता है, जैसे युद्धविराम या राजनयिक अवसर. उदाहरण के लिए, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने पाकिस्तानी दावों को खारिज करने के लिए 11 मई की प्रेस कॉन्फ्रेंस का उपयोग किया.
दरअसल भारत को एक केंद्रीकृत सूचना युद्ध प्रकोष्ठ स्थापित करना चाहिए, जो रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, और साइबर एजेंसियों के साथ समन्वय करे. यह इकाई प्रचार का जवाब देने के लिए प्रशिक्षित विशेषज्ञों और AI-आधारित उपकरणों का उपयोग कर सकती है. भारत को X जैसे मंचों पर अधिक सक्रिय और समन्वित उपस्थिति बनानी चाहिए, जैसे आधिकारिक खातों और प्रभावशाली व्यक्तियों के माध्यम से काउंटर-नैरेटिव को बढ़ावा देना. भारत टेक कंपनियों (जैसे X, Google) के साथ साझेदारी बढ़ाकर गलत सूचना को तेजी से हटाने की कोई कार्ययोजना बना सकती है.
2-सिर्फ संस्थान ही नहीं, भारत विरोधी प्रोपोगेंडा में शामिल लोगों को ब्लॉक रखना जरूरी?
एक्स पर कुछ पाकिस्तानी, चीनी, और अन्य देशों के व्यक्ति भारत विरोधी नैरेटिव चलाते हैं. उदाहरण के लिए, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर और अन्य ने भारतीय जेट्स गिराने और पायलट शिवानी सिंह की गिरफ्तारी के झूठे दावे साझा किए. अल जज़ीरा के अली मुस्तफा जैसे संवाददाताओं ने ऑपरेशन सिंदूर में भारत के खिलाफ पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग की, जैसे महिला पायलट की गिरफ्तारी का दावा.
भारत के कुछ व्यक्ति, जानबूझकर या अनजाने में, विदेशी प्रचार को बढ़ावा देते हैं. उदाहरण के लिए, कुछ X हैंडल्स ने अल जज़ीरा की कश्मीर रिपोर्ट्स को बिना जांच के साझा किया था. चीनी और पाकिस्तानी हैकर्स ने भारतीय वेबसाइट्स पर डीडीओएस हमले किए, और ट्रोल्स ने एक्स पर भारत विरोधी हैशटैग (#IndiaBurning, #MunirOut) चलाए. इसलिए भारत सहित दूसरे देशों के कुछ ऐसे हैंडलर्स को भी बंद करने की जरूरत है जो भारत विरोधी अभियान में जाने अनजाने हिस्सा लेते रहते हैं.
3-चीन में तो दूसरे देशों की किसी मीडिया को आजादी नहीं, फिर डेमोक्रेसी के नाम पर भारत नुकसान क्यों उठाता है?
चीन में विदेशी मीडिया पर सख्त नियंत्रण है, जबकि भारत एक लोकतांत्रिक देश के रूप में प्रेस स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है. यह भारत की संवैधानिक प्रतिबद्धता और वैश्विक छवि का हिस्सा है. हालांकि, भारत ग्लोबल टाइम्स, शिन्हुआ, अल जज़ीरा जैसों ज्यादा नुकसान उठाता है. क्योंकि भारत सेंसरशिप से बचता है ताकि प्रेस स्वतंत्रता पर आलोचनाओं से बचा जा सके. भारत इसके बजाय तथ्य-जांच, काउंटर-नैरेटिव, और लक्षित कार्रवाइयों जैसे 14 मई 2025 को ग्लोबल टाइम्स, शिन्हुआ, और टीआरटी वर्ल्ड के X अकाउंट्स को ब्लॉक करना पर ध्यान देता है. नुकसान उठाने के बावजूद, भारत की रणनीति दीर्घकालिक विश्वसनीयता और कूटनीतिक लाभ के लिए है, जो चीन जैसे देशों की तुलना में अलग है.
दुनिया जानती है कि चीन की ग्रेट फायरवॉल कई विदेशी समाचार वेबसाइट्स (जैसे BBC, न्यूयॉर्क टाइम्स, रॉयटर्स) को ब्लॉक करती है. X, Google, और अन्य सोशल मीडिया मंच भी इस देश में प्रतिबंधित हैं. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) ग्लोबल टाइम्स और शिन्हुआ जैसे मुखपत्रों के माध्यम से नैरेटिव नियंत्रित करती है. विदेशी पत्रकारों को सख्त निगरानी और वीजा प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है. इस तरह चीन अपनी जनता और वैश्विक दर्शकों के लिए एकतरफा नैरेटिव चलाता है, जैसे भारत के खिलाफ अरुणाचल प्रदेश या गलवान घाटी (2020) के दावे.
इसलिए भारत को जैसे के साथ तैसा वाला व्यवहार करना चाहिए. मान लीजिए कि चीन में दूसरे देश के मीडिया को प्रतिबंधित किया गया है तो भारत में उसी तर्ज पर चीन जैसे अलोकतांत्रिक देशों की मीडिया पर रोक लगना चाहिए.
4-विदेशी ही नहीं, घरेलू चुनौतियों पर नजर रखी जानी चाहिये
कुछ भारतीय व्यक्ति या समूह, जानबूझकर या अनजाने में विदेशी प्रचार को बढ़ावा देते हैं. उदाहरण के लिए, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कुछ भारतीय X हैंडलर्स ने अल जज़ीरा की फर्जी खबर जैसे पायलट शिवानी सिंह की गिरफ्तारी को साझा किया, जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ा. सोशल मीडिया जैसे व्हट्सएप और X जैसे मंचों पर फर्जी खबरें तेजी से फैलती हैं. उदाहरण के लिए, विदेशी प्रचारकों ने गुरुद्वारे पर हमले की फर्जी खबर (2020 का वीडियो) फैलाई, जिसे कुछ भारतीय समूहों ने बिना जांच के साझा किया, जिससे सिख समुदाय में तनाव पैदा हुआ.
कुछ भारतीय राजनीतिक समूह या व्यक्ति विदेशी नैरेटिव को अपनाकर सरकार विरोधी प्रचार को बढ़ावा देते हैं. उदाहरण के लिए 2025 में कुछ विपक्षी नेताओं ने अल जज़ीरा की कश्मीर रिपोर्ट्स को साझा किया, जिसे PIB ने पक्षपातपूर्ण बताया था.
कुछ भारतीय पत्रकार, प्रभावशाली व्यक्ति, या छोटे मीडिया आउटलेट विदेशी प्रचार को बिना जांच के रिपोस्ट करते हैं. उदाहरण के लिए अभी भारत-पाक युद्ध के दौरान कुछ स्थानीय न्यूज़ पोर्टलों ने ग्लोबल टाइम्स के दावों जैसे भारतीय S-400 के नष्ट होने के दावों को शेयर किया. स्थानीय प्रभावशाली व्यक्ति और मीडिया विदेशी प्रचार को तेजी से फैलाते हैं, जिससे भारत विरोधी नैरेटिव मजबूत होते हैं.घरेलू प्रचार सरकार की विश्वसनीयता को कमजोर कर सकता है और विपक्षी समूहों को उकसा सकता है.
5-स्पष्ट नीति बने, ताकि यह कहा जा सके कि कार्रवाई देश विरोधी होने पर है, सरकार विरोधी होने पर नहीं
भारत विरोधी प्रचार, चाहे विदेशी (जैसे ग्लोबल टाइम्स, अल जज़ीरा) या घरेलू स्रोतों (जैसे स्थानीय प्रभावशाली व्यक्ति, सोशल मीडिया खाते) से हो, को रोकने के लिए एक स्पष्ट और पारदर्शी नीति की आवश्यकता है. यह नीति सुनिश्चित करेगी कि कार्रवाइयां देश विरोधी गतिविधियों (राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक एकता, या संप्रभुता को खतरा) पर केंद्रित हो. भारत पहले से ही PIB Fact Check, IT अधिनियम, और साइबर निगरानी के माध्यम से कार्रवाई करता है. जैसे आज ग्लोबल टाइम्स, शिन्हुआ, और टीआरटी वर्ल्ड के X अकाउंट्स को ब्लॉक किया गया. एक स्पष्ट नीति सेंसरशिप के आरोपों, राजनीतिक दुरुपयोग, और सांप्रदायिक तनाव को कम करेगी. इसमें कानूनी ढांचा, स्वतंत्र निगरानी, सूचना युद्ध इकाई, और जन जागरूकता शामिल होनी चाहिए.
संयम श्रीवास्तव