Exit Poll : पंजाब और दिल्ली में AAP की दुर्गति के लिए क्‍या ये 5 कारण जिम्मेदार हैं?

आज तक एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल की माने तो दिल्ली और पंजाब से आम आदमी पार्टी के सूपड़ा साफ होने के संकेत मिल रहे हैं. दिल्ली विधानसभा चुनावों, दिल्ली नगर निगम और पंजाब विधानसभा चुनावों में बंपर वोट पाने वाली पार्टी के साथ ऐसा होता क्यों दिख रहा है.

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अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 01 जून 2024,
  • अपडेटेड 10:26 PM IST

दिल्ली में AAP-कांग्रेस की जोड़ी को बड़ा झटका लग सकता है. यही नहीं पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की हालत खराब दिख रही है. इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में बीजेपी को 6 से सात सीटें मिलने का अनुमान है. वहीं पंजाब में आम आदमी पार्टी को जीरो से 2 सीटें मिलती दिख रही हैं. सवाल यह उठता है कि दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी की ऐसी हालत क्यों हुई? आखिर ऐसा कैसे हो गया कि जिस पार्टी ने दिल्ली के विधानसभा चुनावों और नगर निगम चुनावों में बड़ी जीत हासिल की थी उसका सूपड़ा साफ होते दिख रहा है. 

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1-अरविंद केजरीवाल को नहीं मिली जेल जाने की सहानुभूति

दिल्ली में शराब घोटाले के आरोप में अरविंद केजरीवाल को ऐन चुनाव के मौके पर ईडी ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था.पार्टी के पास मौका था कि वो उसे भुना सके. पर एक्सिस माई इंडिया और आज तक का सर्वे बता रहा है कि वो अपने हाथ आए इस अलादीन के चिराग को जला नहीं सके. इतिहास का ऐसा पहला वाकया है जब जेल गया नेता अपनी पार्टी को जीत नहीं दिला सका. जयप्रकाश नारायण, इंदिरा गांधी ही नहीं तमाम छोटे नेता जो अपराधी होते हुए भी जेल गए और जनता की हमदर्दी भी जीत लिए. राजनीतिक विश्वेषक सौरभ दुबे कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल के ऊपर तो कोई गंभीर आरोप भी नहीं थे. पर अपनी छवि वे इस तरह से खराब कर चुके थे जनता को उनकी सही बात भी गलत लग रही थी.अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर आम जनता का सड़कों पर न उतरना, उनके जेल से छूटने पर भी भीड़ एकत्रित न होना आदि दिखा रहा था कि दिल्ली की जनता को उनके जेल जाने का कोई दुख नहीं है.यही हाल पंजाब में भी रहा . पंजाब से राज्यसभा में पहुंचे सांसदों ने जिस तरह उनसे दूरी बनाई वो दिखा रहा था कि उन पर जनता का नैतिक दबाव भी नहीं काम कर रहा है.

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2-दिल्ली में जबरदस्ती का गठबंधन था

दिल्ली में शराब घोटाले को मुद्दा बनाने में बीजेपी से आगे कांग्रेस रही. पर चुनावों के मौकों पर उन्हीं नेताओं को आप नेताओं को क्लीन चिट देना पड़ रहा था. जनता इतनी बेवकूफ नहीं है कि वो इतना भी नहीं समझती. यही नहीं दिल्ली के कांग्रेसी नेताओं से लेकर कांग्रेस के सुप्रीम लीडरों तक आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल अपमान करते रहे इसके बावजूद दोनों ही पार्टियों के बीच गठबंधन हुआ. जाहिर है कि जनता विशेषकर कांग्रेस के वोटर्स को यह कभी नहीं पचता और हुआ भी ऐसा. यही कारण था दोनों पार्टियों की एक साथ होने वाली रैलियां नहीं के बराबर हुईं. दोनों ही पार्टियों के बड़े नेताओं की जितनी संयुक्त रैलियां और सभाए्ं होनी चाहिए थीं वो भीं नहीं हुईं.अंत में दोनों ही पार्टियों को इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है.

3-दिल्ली में गठबंधन के चलते बड़े लीडरों ने पंजाब में कांग्रेस के खिलाफ मुंह नहीं खोला

पंजाब में आम आदमी पार्टी सत्ता में आई थी कांग्रेस पार्टी का विरोध करके.पर दिल्ली में गठबंधन के होने के चलते आम आदमी पार्टी के बड़े नेता जैसे अरविंद केजरीवाल आदि ने कांग्रेस के खिलाफ अपना मुंह बंद कर लिया. भगवंत मान को छोड़कर आम आदमी पार्टी का कोई नेता कांग्रसे को टार्गेट नहीं कर रहा था. ये सभी जानते थे कि पंजाब में सबसे बड़ा स्टैक कांग्रेस का ही था. शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी पंजाब में तीसरे और चौथे नंबर पर थी.इसके बावजूद अरविंद केजरीवाल पंजाब में बीजेपी को ही निशाने पर लेते रहे. यही हाल राजीव गांधी और प्रियंका आदि का था. ये लोग भी पंजाब में गए पर उनके निशाने पर केवल बीजेपी ही रही. 

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4-पंजाब में किसानों और महिलाओं से किए गए वादे पूरे नहीं किए गए

किसान आंदोलन के समय आम आदमी पार्टी ने किसानों की बहुत मदद की थी. इसी आधार पर पंजाब में किसानों के लिए तमाम वादे पार्टी ने किए थे. पर उनमें से कोई भी वादा भगवंत मान सरकार पूरी नहीं कर सकी. एमएसपी देने का वादा अभी तक पूरा नहीं हो सका.इसके साथ ही किसान आंदोलन पार्ट 2 में किसानों को लगा कि जिस तरह कांग्रेस किसानों के साथ थी उस तरह आम आदमी पार्टी साथ नहीं है. इसके साथ ही महिलाओं को हर माह 1000 रुपये  देने का वादा भी पूरा नही हुआ.आम आदमी पार्टी के दिल्ली के नेताओं के अलावा पंजाब के भी कई नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा जो पंजाब में आम आदमी पार्टी के खिलाफ गया.

5-स्वाति मालीवाल से मारपीट ने काम खराब किया

स्वाति मालीवाल के साथ बदसलूकी की घटना ऐसे समय में सामने आई जब पार्टी के लिए बहुत क्रिटिकल समय था. अरविंद केजरीवाल थोड़ी सूझबूझ दिखाते तो यह मामला इतना तूल नहीं पकड़ता.इस घटना में उन्होंने जिस तरह अपने सहयोगी बिभव कुमार का साथ दिया इससे राजधानी की महिलाओं का उनके प्रति नजरिया बदल गया.स्वाति मालीवाल आम आदमी पार्टी के लिए असेट हुआ करतीं थी. मालिवाल की छवि भी महिलाओं के लिए संघर्ष करने वाली नेता के रूप स्थापित हो गई थी. संजय सिंह ने जब एक बार पीसी करके बिभव कुमार पर एक्शन लेने की बात कर चुके थे, तो समय की नजाकत देखते हुए अरविंद केजरीवाल को उस पर अडिग रहना चाहिए था.

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