एकनाथ शिंदे की कहानी मुंबइया फिल्मों से कमतर कतई नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर बचपन में चाय बेचने तक का काम किए तो एकनाथ शिेंदे ने भी मुंबई में अपने कैरियर की शुरूआत टीन एज में ही ऑटो चलाकर शुरू किया.महज 18 साल की उम्र में उनका राजनीतिक जीवन शुरू हुआ और शिन्दे एक आम शिवसेना कार्यकर्ता के रूप में काम करने लगे. 2022 में उनके जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ा आया जब किस्मत ने उन्हें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचा दिया. पर राजनीतिक विश्वेषकों ने यही उनके करियर को खत्म मान लिया था. क्योंकि उन्होंने शिवसेना को विभाजित कर भाजपा से हाथ मिला लिया था. विरोधियों ने कहा कि भाजपा अपने छोटे सहयोगी को जल्द ही हाशिए पर डाल देती है और ऐसा शिंदे के साथ भी करेगी. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ. शिंदे ने अपनी स्थिति और प्रतिष्ठा इस तरह मजबूत की कि आज वे उनकी लोकप्रियता बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना यूबीटी नेता उद्धव ठाकरे से भी अधिक है. शायद यही कारण है कि बीजेपी 2024 विधानसभा चुनावों के लिए उन्हें अपना नेता मान रही है. और सी वोटर का सर्वे भी इस तथ्य पर मुहर लगाता है. आखिर ये सब कैसे बदल गया?
सी वोटर के सर्वे में उद्धव और फडणवीस दोनों पर भारी
अपनी तमाम आलोचनाओं के बावजूद शिंदे ने लोकसभा चुनावों में जो कमाल दिखाया उससे हर कोई हैरान था. शिवसेना ने 15 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए लगभग 46% की प्रभावी सफलता दर हासिल की. उनकी शिवसेना का प्रदर्शन महायुति के सभी सहयोगियों से बेहतर रहा. कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी ने कभी ट्वीट किया कि शिंदे सेना का वही हश्र होगा जो वर्तमान/पूर्व एनडीए सहयोगियों जैसे जेजेपी, पीडीपी, एआईएडीएमके, जदयू आदि का हुआ था. उन्होंने कहा था कि मेरी बात याद रखना. आज वो अपने इस ट्वीट को याद नहीं करना चाहेंगे क्योंकि आज महाराष्ट्र की राजनीति में एकनाथ शिंदे सबसे चमकते सितारे हैं. वो बीजेपी के रहमोकरम पर जिंदा कोई मुख्यमंत्री नहीं हैं. वो अपने फैसले भी खुद करते हैं और महाराष्ट्र के चुनावों में जनता की नजर में वो ही सबसे प्रिय नेता बने हुए हैं.
सी वोटर्स ने इसी हफ्ते किए अपने सर्वे में यह पाया कि जनता एकनाथ शिंदे को सीएम के रूप में उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस के मुकाबले ज्यादा तरजीह देती है. पसंदीदा मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे को 27.5 प्रतिशत तो, उद्धव ठाकरे (23 प्रतिशत) जबकि देवेंद्र फडणवीस को केवल 11 प्रतिशत लोगों ने ही अपना समर्थन दिया है. इसी तरह सरकार के काम के परफार्मेंस पर 52.5 प्रतिशत लोगों ने शिंदे के काम को बहुत पसंद किया है जबकि 21.5 प्रतिशत लोगों ने औसत माना है. जबकि केवल 23 प्रतिशत ने ही शिंदे के काम को खराब माना है. शायद यही कारण है कि एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब पत्रकारों ने फडणवीस से बीजेपी के सीएम कैंडिडेट के बारे में पूछा तो उन्होंने शिंदे की ओर इशारा करके कहा कि ये हमारे अगले सीएम हैं.
जनहित कारी योजनाओं का प्रभाव
जून 2022 में जब शिंदे 40 से अधिक विधायकों के साथ शिवसेना से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए आए थे, तो शायद ही किसी ने इसकी कल्पना की होगी एक दिन राज्य में उनके आगे बड़े बड़े महारथियों की लोकप्रियता फीकी पड़ती नजर आएगी. ये सब शिंदे ने जनहितकारी योजनाओं को लागू करने को प्राथमिकता देकर शायद हासिल किया. शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य में 90,000 करोड़ रुपये से अधिक की जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं.
शिंदे ने भाजपा और एनसीपी के सहयोगियों से आगे निकलते हुए मुख्यमंत्री माजी लाडकी बहीन योजना का श्रेय लिया, जिसमें गरीब परिवारों की करीब 25 मिलियन महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये की सहायता मिल रही है.
माजी लडकी बहिन योजना के बाद, शिंदे सरकार ने लड़का भाई योजना भी शुरू की है, जो युवाओं को ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण के साथ एक मंथली स्टाइपेंड प्रदान करती है. इस महीने की शुरुआत में, शिंदे सरकार ने 34 से अधिक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की योजना बनाई, जिनमें नए मेट्रो लाइन, बुलेट ट्रेन, एक्सप्रेसवे, एलिवेटेड रोड और सुरंगें शामिल हैं, जो सीएम के गढ़ ठाणे पर केंद्रित हैं. इन प्रोजेक्ट्स में अगले दशक में 3.97 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा, जो महत्वपूर्ण महाराष्ट्र चुनावों से पहले शिंदे की बड़ी कोशिश मानी जा रही है.
नवंबर विधानसभा चुनावों के पहले, शिंदे सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की, जिनमें साल में तीन मुफ्त एलपीजी सिलेंडर, वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त तीर्थयात्रा, और कमजोर वर्गों की महिलाओं के लिए मुफ्त व्यावसायिक शिक्षा शामिल हैं. शिंदे की सरकार ने मुंबई के सभी पांच टोल बूथों पर हल्के मोटर वाहनों के लिए टोल माफी की घोषणा की है. अप्रत्याशित बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दिसंबर 2023 में महाराष्ट्र के 6.56 लाख किसानों के लिए ऋण माफी की घोषणा की.
एकनाथ शिंदे का मराठा कोटा पर मजबूत प्रदर्शन
महाराष्ट्र की राजनीति में मराठों का वोट करीब 34 से 38 परसेंट तक माना जाता है. बीजेपी के पास आज तक कोई ढंग का मराठा नेता नहीं हुआ. यही कारण पार्टी का फोकस पिछड़ों के वोट पर रहता है. पर मराठों के नाम पर जो काम शिंदे सरकार ने किया उसका फायदा अब बीजेपी को मिल सकता है. शिंदे सरकार ने इस साल की शुरूआत में मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों के लिए शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% कोटा की घोषणा की. मराठा आरक्षण की अलग जगाने वाले मनोज जरांगे-पाटिल ने शिंदे के हस्तक्षेप के बाद अपनी मुंबई के लिए विरोध मार्च रोक दिया. यह शिंदे की एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी. जरांगे-पाटिल शिंदे पर हमला नहीं करते, बल्कि अपने निशाने पर फडणवीस को रखते हैं. इस तरह शिंदे एक प्रमुख मराठा नेता के रूप में राज्य में स्थापित हो चुके हैं.
अन्य जातियों के मोर्चे पर एकनाथ शिंदे ने न केवल मराठा आंदोलन को कमजोर किया बल्कि विभिन्न जाति समूहों को भी अपनी ओर खींचने के लिए 50 से अधिक राज्य संचालित निगमों की स्थापना की.
संयम श्रीवास्तव