बीएमसी चुनाव से पहले ठाकरे बंधुओं के लिए अच्छी खबर नहीं है. महाराष्ट्र के नगर निकाय चुनाव 2025 के नतीजे महाविकास आघाड़ी के लिए भी बुरी खबर लेकर आए हैं. राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से 21 दिसंबर को जो नतीजे जारी किए गए हैं, उनमें महाराष्ट्र में सत्ताधारी महायुति ने नगर अध्यक्ष के 207 पदों पर जीत हासिल की है. BJP को 117 और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना के हिस्से में 53 पद मिले हैं, जबकि डिप्टी सीएम अजित पवार की NCP को 37 पद मिले.
MVA यानी विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाड़ी को कुल 44 नगराध्यक्ष के पद पर जीत मिली है, जिसमें कांग्रेस ने 28, उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना ने 9 और शरद पवार गुट की NCP ने 7 पद जीते हैं.
बीएमसी के चुनाव 15 जनवरी को होने जा रहे हैं, और नतीजे अगले दिन यानी 16 जनवरी को आएंगे. महाविकास आघाड़ी के लिए बीएमसी चुनाव अब तक की सबसे बड़ी चुनौती साबित होने जा रहा है. क्योंकि, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के साथ होकर बीएमसी चुनाव लड़ने के मुद्दे पर स्थानीय कांग्रेस नेता अलग रास्ता अख्तियार करने की बात कर रहे हैं. हालांकि, उद्धव गुट वाली शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत को अब भी उम्मीद है कि कांग्रेस को मना लिया जाएगा.
ठाकरे बंधुओं के लिए उम्मीद के अलावा क्या बचा है?
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के प्रतिनिधि महीने भर से बीएमसी चुनाव में सीट बंटवारे पर बातचीत कर रहे हैं. सीट बंटवारे पर मोलभाव के लिए शिवसेना (यूबीटी) की तरफ से अनिल परब, वरुण सरदेसाई और सूरज चव्हाण को जिम्मेदारी दी गई थी. और, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की तरफ से ये भूमिका नितिन सरदेसाई और बाला नांदगांवकर निभाते आ रहे हैं.
रविवार, 21 दिसंबर को भी दोनों दलों के नेताओं की महत्वपूर्ण बैठक हुई, और उसके बाद राज्यसभा सांसद संजय राऊत ने मीडिया के साथ बातचीत में अपडेट शेयर किया. संजय राउत के मुताबिक, दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर चर्चा पूरी हो चुकी है.
शिवसेना-यूबीटी नेता संजय राऊत का कहना है, सीटों के बंटवारे पर अंतिम सहमति बन गई है. किस सीट पर कौन चुनाव लड़ेगा, सहमति बन गई है. संजय राउत के अनुसार बीएमसी चुनाव की तैयारियों को लेकर दोनों भाइयों के राजनीतिक दलों के बीच अब किसी तरह की अड़चन नहीं रह गई है.
संजय राउत ने बताया, जो भी समस्याएं थीं, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने खुद हस्तक्षेप करके दूर कर दिया है... दोनों दलों ने इस बात का भी ख्याल रखा है कि सभी कार्यकर्ता संतुष्ट रहें. संजय राउत ने ये भी बताया कि अगले एक-दो दिन में प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर गठबंधन की औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी.
नगर निकाय चुनाव के नतीजे भी विधानसभा चुनाव वाले पैटर्न पर ही आए हैं, और बीएमसी उसी रास्ते का अगला पड़ाव है. लेकिन उससे पहले नगर निकाय चुनावों में MNS यानी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को करारी शिकस्त मिली है. 288 नगर परिषदों और नगर पंचायतों में एमएनएस एक भी अध्यक्ष पद नहीं जीत पाई है.
नगर निकाय चुनाव अगर महाराष्ट्र की राजनीति की कहानी सुना रहे हैं, तो 16 जनवरी को बीएमसी चुनाव के नतीजे मुंबई की सियासत के नए किस्से सुनाने वाले हैं - और वे नतीजे ही करण-अर्जुन के किरदार निभा रहे उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के लिए भविष्यफल होंगे.
बीएमसी चुनाव से पहले महाविकास आघाड़ी टूट गया है
जो हाल 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का हुआ, महाराष्ट्र के हालिया नगर निकाय चुनावों में महाविकास आघाड़ी की भी वही गति हुई है. बिहार और महाराष्ट्र में ये दोनों गठबंधन इंडिया ब्लॉक का ही हिस्सा माने जाते हैं.
संजय राउत को जब मीडिया ने बीएमसी चुनावों को लेकर कांग्रेस के रुख की याद दिलाई, तो उनका दावा था कि महाविकास आघाड़ी में सब ठीक ठाक है. और, अगर कांग्रेस नाराज है, तो मना लिया जाएगा.
संजय राउत ने कहा कि कांग्रेस महाविकास आघाड़ी का एकमात्र राष्ट्रीय दल है, और उसका अपना मजबूत वोट बैंक है. संजय राउत का कहना है, जिस तरह लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव एक साथ लड़े गए, उसी तरह बीएमसी और जिला परिषद के चुनाव भी मिलकर लड़े जाने चाहिए.
असल में, जब से महाविकास आघाड़ी में राज ठाकरे को भी शामिल करने की पहल उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से शुरू हुई, कांग्रेस की नाराजगी धीरे धीरे सामने आने लगी थी. संजय राउत जो भी दावा करें, लेकिन उद्धव गुट के ही प्रवक्ता आनंद दुबे तो कांग्रेस के खिलाफ आग ही ही उगल रहे हैं, मुंबई में कांग्रेस को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है... वो तीन दशकों से लगातार मुंबई नगर निगम चुनाव हारती आ रही है... ऐसे में 2026 में कौन सा चमत्कार कर देंगे? मुंबई में कांग्रेस एक पर्यटक की तरह आती है. वे आते हैं, घूमते हैं, होर्डिंग लगाते हैं, चुनाव हारते हैं... और फिर घर चले जाते हैं.
विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने वाली इन पार्टियों के बीच बीएमसी चुनाव को लेकर चीजें साफ है। अविभाजित शिवसेना का इस चुनाव में सिक्का चलता था। ऐसे में उद्धव गुट किसी भी तरह से इस पर बंटवारा नहीं चाहता है।
आनंद दुबे के बयान पर कांग्रेस की तरफ से भी तीखे जवाब आए हैं. कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने कहा है, हम पहले ही अपनी स्थिति को स्पष्ट कर चुके हैं... कांग्रेस पार्टी चुनाव में अकेले बढ़ना चाहती है, और उसके पीछे अपनी आइडियोलॉजी है... हमें कोई जल्दबाजी नहीं है... पूरी पार्टी ने सोच समझकर फैसला लिया है... हम उन सभी के खिलाफ लड़ेंगे जो धर्म, जाति, क्षेत्र और भाषा के आधार पर टकराव पैदा करते हैं.
कांग्रेस के मुंबई प्रभारी यूबी वेंकटेश तो महाविकास आघाड़ी छोड़कर प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित विकास आघाड़ी के साथ जाने की बात कर रहे हैं. यूबी वेंकटेश कहते हैं, 'हम अकेले लड़ रहे हैं, और प्रकाश आंबेडकर जी के साथ जाने की सोच रहे हैं.'
वीबीए की नेता वर्षा गायकवाड़ ने भी बताया है कि यूबी वेंकटेश और प्रकाश आंबेडकर की मुलाकात में बीएमसी चुनावों पर चर्चा हुई. रिपोर्ट के मुताबिक अमीन पटेल, सचिन सावंत और मधु चव्हाण की कमेटी कांग्रेस और वीबीए के बीच डील फाइनल करने में जुटी है.
नेताओं की बातें तो यही बता रही हैं कि अगर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे साथ होंगे, तो कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ेगी. और, जब तक बीएमसी चुनाव के नतीजे नहीं आ जाते, उद्धव और राज ठाकरे का साथ आना BMC चुनाव में कितनी बड़ी ताकत बनेगा, ये सवाल बना रहेगा.
मृगांक शेखर