पुलिस वाली माता रानी का अनोखा मंदिर.. यहां थानेदारी शुरू करने से पहले देनी पड़ती है आमद, रोजनामचे में दर्ज हैं चमत्कार की घटनाएं

Policewali Mata Rani: एक चमत्कार तो 4 मार्च 1975 को हुआ जिसका उल्लेख तत्कालीन पुलिस थाना प्रभारी सरदार कर्मसिंह ने रोचनामचे में दर्ज किया है. उस रोजनामचे के पन्ने को पुलिस ने फ्रेम में जड़वाकर रखा हुआ है.

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दीवार में से प्रकट हुई थीं चामुंडेश्वरी माता.(Photo:Screengrab) दीवार में से प्रकट हुई थीं चामुंडेश्वरी माता.(Photo:Screengrab)

पंकज शर्मा

  • राजगढ़,
  • 22 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:09 PM IST

MP News: राजगढ़ जिले के सुठालिया कस्बे में स्थित पुराने पुलिस थाना परिसर में एक अनोखा मंदिर है, जहां पुलिस अधिकारी और आरक्षक को थाना संभालने से पहले 'पुलिस वाली माताजी' को आमद देनी पड़ती है. इसके बाद ही वे रोजनामचे में अपनी आमद दर्ज कर ड्यूटी शुरू कर सकते हैं. यह परंपरा दशकों से चली आ रही है. जो इस व्यवस्था को नहीं मानता, वह माताजी के कोप का शिकार हो जाता है, ऐसा मंदिर के पुजारी बताते हैं. 

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पुजारी पं. राधेश्याम दुबे के अनुसार, 1946 में आजादी से पहले सुठालिया के पास मऊ गांव में पुलिस थाना परिसर में माताजी का मंदिर बनाने की योजना थी. एक आरक्षक को मूर्ति लाने भेजा गया, लेकिन उसी दौरान थाने की दीवार से मां चामुंडेश्वरी प्रकट हुईं और दर्शन दिए. आज भी माताजी दीवार से ही दर्शन देती हैं. माताजी के प्रकट होने के बाद कई चमत्कार हुए, जिनके किस्से इलाके में प्रचलित हैं. 

पं. दुबे बताते हैं कि मऊ गांव आजादी से पहले रसिंहगढ़ रियासत का हिस्सा था, जहां पेडिया सरदारों की गढ़ी थी. माताजी के प्रकट होने के बाद दो बार थाना स्थानांतरित करने की कोशिश हुई, लेकिन इमारत ढह गई और कलेक्टर व एसपी के बंगले पर पत्थरों की बारिश हुई. इसके बाद रातोंरात थाना मऊ में वापस लाया गया. बाद में माताजी की इच्छा से मऊ से 5 किमी दूर सुठालिया में थाना स्थानांतरित हुआ, जिसका नाम आज भी मऊ-सुठालिया है. 

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 4 मार्च 1975 को एक चमत्कार हुआ, जब एक जलता दीपक मंदिर के चक्कर लगाता दिखा. तत्कालीन थाना प्रभारी सरदार कर्मसिंह ने इसे 1977 में रोजनामचे में दर्ज किया, जिसे फ्रेम कर रखा गया है. 

पं. दुबे बताते हैं कि कर्मसिंह ने ड्यूटी पर तैनात सिपाही हीरालाल को बुलाकर दीपक दिखाया. हीरालाल को पहले दीपक नहीं दिखा, लेकिन आंखें धोने के बाद उसने भी इसे देखा. एक अन्य घटना में, जब जिला कलेक्टर ने खाली थाने में स्कूल स्थानांतरित करने का प्रयास किया, तो ग्रामीण निर्भय सिंह ने लिखित आदेश मांगा. आदेश लिखते समय कलेक्टर का पेन छूट गया और आदेश जारी नहीं हो सका. 

सुठालिया थाना प्रभारी प्रवीण जाट ने बताया कि 1946 से 1988 तक थाना मऊ में था और माताजी की इच्छा से नया थाना बना. पीएचक्यू में भी मऊ-सुठालिया थाना मंदिर के लिए दर्ज है. नई पोस्टिंग पर आने वाले पुलिसकर्मी पहले मां चामुंडेश्वरी के दरबार में आमद देते हैं, फिर रोजनामचे में. पुलिस की गहरी आस्था मंदिर से जुड़ी है, और पूजन व भंडारे की व्यवस्था पुलिस ही संभालती है. नवरात्रि में जिला पुलिस अधीक्षक सहित कई अधिकारी भंडारे में शामिल होते हैं.

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