इंदौर ने गुरुवार को लगातार सातवीं बार भारत के 'सबसे स्वच्छ शहरों' में शीर्ष स्थान हासिल किया है. अधिकारियों ने कहा कि शहर की प्रभावी और टिकाऊ वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम यानी अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली ने इस सफलता में बड़ी भूमिका निभाई. इस बार मध्य प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के रूप में जाना जाने वाला इंदौर, केंद्र सरकार के 2023 के वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण में गुजरात के सूरत शहर के साथ शीर्ष स्थान पर है.
'वेस्ट टू वेल्थ' थीम पर आधारित इस सर्वेक्षण में विभिन्न श्रेणियों में 4,400 से अधिक शहरों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखी गई. नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विजेताओं को पुरस्कार दिए. स्वच्छ भारत अभियान के लिए इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के सलाहकार अमित दुबे ने पीटीआई को बताया कि एमपी के इंदौर शहर ने विभिन्न प्रकार के कचरे के अलग-अलग संग्रह, प्रसंस्करण और निपटान के लिए 'सेवा स्तर प्रगति' के तहत 4,830 में से 4,709.40 अंक हासिल किए हैं.
कचरा जमा करने, उसकी प्रोसेसिंग और निपटान की स्थायी प्रणाली विकसित की
उन्होंने कहा, "इंदौर में कचरा जमा करने, उसकी प्रोसेसिंग और निपटान की स्थायी प्रणाली विकसित की गई है. राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर की लगातार सफलता इसी मजबूत नींव पर आधारित है." दुबे ने कहा कि इंदौर में एकल-उपयोग प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध के साथ, समय के साथ यहां अपशिष्ट उत्पादन कम हो गया है.
उन्होंने कहा, '3 आर' (रिड्यूस, री यूज और रीसाइकिल) केंद्र, कपड़े के थैले और 'बर्तन बैंक', अपशिष्ट पदार्थों से फिर से इस्तेमाल की जाने वाली चीजों का उपयोग करके विकसित पार्क और घरेलू खाद इकाइयों ने भी शहर में कचरे को कम करने में मदद की है.
4.65 लाख घरों और 70,543 वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों से जमा किया जाता है कचरा
आईएमसी अधिकारियों ने कहा कि 4.65 लाख घरों और 70,543 वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के कचरे को व्यवस्थित रूप से प्राथमिक स्रोत पर छांटा जाता है. इसके बाद शहर के विभिन्न संयंत्रों में इसे संसाधित किया जाता है और इसका निपटान किया जाता है. दुबे ने बताया कि शहर में हर दिन विभिन्न श्रेणियों के तहत लगभग 692 टन गीला कचरा, 683 टन सूखा कचरा और 179 टन प्लास्टिक कचरा एकत्र किया जाता है.
इसके लिए, शहरभर में लगभग 850 विशेष रूप से डिजाइन किए गए वाहन चलाए जाते हैं, जिनमें डायपर और सैनिटरी नैपकिन जैसी जैव-अपशिष्ट वस्तुओं के लिए अलग-अलग डिब्बे होते हैं. शहर में घरों से निकलने वाले कचरे को छह श्रेणियों में अलग-अलग करके घर के दरवाजे पर एकत्र किया जाता है.
देवगुराड़िया ट्रेंचिंग ग्राउंड में 15 एकड़ जमीन पर लगा है 'गोबर-धन' प्लांट
शहर के देवगुराड़िया ट्रेंचिंग ग्राउंड में 15 एकड़ जमीन पर पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत एक कंपनी द्वारा 'गोबर-धन' प्लांट चलाया जा रहा है. अधिकारियों ने कहा कि इसकी क्षमता हर दिन 550 टन गीले कचरे (जैसे फल, सब्जियां और कच्चे मांस के कचरे) को संसाधित करके 17,000 से 18,000 किलोग्राम जैव-सीएनजी और 100 टन जैविक उर्वरक का उत्पादन करने की है. उन्होंने कहा कि इस संयंत्र में उत्पादित जैव-सीएनजी का उपयोग 110 सिटी बसों को चलाने के लिए किया जाता है. इसमें नगर निगम को ईंधन मौजूदा बाजार दर से 5 रुपये प्रति किलोग्राम कम पर बेचा जाता है.
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