बैंड बाजा बारात... स्कूल टीचर का ऐसा रिटायरमेंट, गांव वालों ने रथ पर बैठाकर घुमाया, VIDEO

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक सेवानिवृत्त शिक्षक की विदाई समारोह ने सबका दिल जीत लिया. गांव के लोगों और स्कूल स्टाफ ने शिक्षक को दूल्हे की तरह रथ पर बैठाकर बैंड-बाजों के साथ विदा किया. यह नजारा किसी बारात से कम नहीं था. शिक्षक के 38 साल 10 महीने के योगदान के सम्मान में ग्रामीणों ने नाच-गाकर उन्हें भावभीनी विदाई दी.

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टीचर का ऐसा रिटायरमेंट, लोगों ने रथ पर बैठाकर घुमाया (Photo: ITG) टीचर का ऐसा रिटायरमेंट, लोगों ने रथ पर बैठाकर घुमाया (Photo: ITG)

पवन शर्मा

  • छिंदवाड़ा,
  • 07 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:09 AM IST

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के तामिया विकासखंड के धोबीवाड़ा गांव में एक टीचर के रिटायमेंट पर ऐसी विदाई दी गई जो मिसाल बन गई. प्राथमिक विद्यालय में पदस्थ शिक्षक मेघराज पराड़कर के सेवानिवृत्त होने पर ग्रामीणों, छात्रों और स्कूल स्टाफ ने मिलकर ऐसा सम्मान दिया, जिसे देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं.

शिक्षक मेघराज पराड़कर को दूल्हे की तरह फूलों से सजे रथ पर बैठाया गया, और गांव के लोग बैंड-बाजों के साथ उन्हें पूरे गांव में घुमाकर सम्मानपूर्वक विदा कर रहे थे. विदाई जुलूस में ग्रामीण नाचते-गाते चल रहे थे. स्कूल के बच्चों और शिक्षकों ने भी फूलों की बारिश कर अपने प्रिय शिक्षक को अलविदा कहा. पूरा माहौल एक उत्सव की तरह था.

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कार्यक्रम का आयोजन जनपद सदस्य हरीश उईके के नेतृत्व में किया गया. इस अवसर पर गांव के गणमान्य नागरिक, छात्र-छात्राएं, स्थानीय जनप्रतिनिधि और ग्रामीण बड़ी संख्या में मौजूद रहे. विदाई के दौरान शिक्षक के गले में फूलों की मालाएं लदी हुई थीं और उनकी गाड़ी को भी दूल्हे की तरह सजाया गया था.

जानकारी के अनुसार, शिक्षक मेघराज पराड़कर की पहली नियुक्ति 1 अक्टूबर 1987 को इसी धोबीवाड़ा प्राथमिक विद्यालय में हुई थी. उन्होंने लगातार 38 वर्ष 10 माह तक इसी स्कूल में सेवा दी और अपने पूरे करियर में बच्चों को निष्ठा, अनुशासन और शिक्षा के महत्व का पाठ पढ़ाया.

कार्यक्रम के दौरान भावुक हुए मेघराज पराड़कर ने कहा, 'मुझे बहुत खुशी है कि इतने लोग आज मेरे सम्मान में जुटे हैं. शायद 26 जनवरी और 15 अगस्त पर भी इतनी भीड़ नहीं होती. मैं यही चाहता हूं कि सभी माता-पिता अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजें, क्योंकि बच्चों की उपस्थिति ही गांव के उज्ज्वल भविष्य की कुंजी है.' उनकी इस भावनात्मक अपील और विदाई के नजारे ने सभी को प्रेरित किया कि एक शिक्षक सिर्फ पढ़ाता ही नहीं, बल्कि समाज में आदर और संस्कार की नींव भी रखता है.
 

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