MP: पाकिस्तान का साथ देना पड़ा भारी, तुर्किये की कंपनी से छिन सकता है भोपाल-इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट

तुर्किये की ड्रोन निर्माण कंपनी असिस गार्ड (Asisguard) पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों के बाद अब मध्य प्रदेश सरकार ने इस कंपनी की भूमिका की जांच शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि इस कंपनी के बनाए ड्रोन पाकिस्तान द्वारा भारतीय सीमा में संदिग्ध गतिविधियों में उपयोग किए गए हैं.

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फाइल फोटो फाइल फोटो

रवीश पाल सिंह

  • भोपाल,
  • 19 मई 2025,
  • अपडेटेड 10:09 PM IST

तुर्किये की ड्रोन निर्माण कंपनी असिस गार्ड (Asisguard) पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों के बाद अब मध्य प्रदेश सरकार ने इस कंपनी की भूमिका की जांच शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि इस कंपनी के बनाए ड्रोन पाकिस्तान द्वारा भारतीय सीमा में संदिग्ध गतिविधियों में उपयोग किए गए हैं.

मध्य प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, 'हमारे लिए राष्ट्रधर्म सर्वोपरि है. जो भी भारत की संप्रभुता के विरुद्ध खड़ा होगा, उसके साथ किसी भी प्रकार की सहानुभूति या सहयोग असहनीय है.'

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उन्होंने बताया कि तुर्किये की कंपनी असिस गार्ड को वर्तमान में भोपाल और इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट की डिजिटल प्रणाली (सिग्नलिंग और ऑटोमेशन सिस्टम) के लिए अनुबंधित किया गया है. लेकिन अब इस कंपनी की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है क्योंकि इसके ड्रोन पाकिस्तान द्वारा भारत-विरोधी कार्यों में इस्तेमाल किए जाने की बात सामने आई है.

विजयवर्गीय ने आगे कहा कि अधिकारियों को इस मामले की गहन और निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए गए हैं. यदि जांच में यह प्रमाणित होता है कि कंपनी का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध भारत-विरोधी तत्वों से रहा है या उसके उत्पादों का उपयोग देश की सुरक्षा के विरुद्ध हुआ है, तो उसका अनुबंध तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया जाएगा. मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि हम राष्ट्र के सम्मान, सुरक्षा और आत्मगौरव के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे.

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मामला क्यों है गंभीर?
तुर्किये की कंपनी असिस गार्ड पर बनाए गए ड्रोन पाकिस्तान द्वारा भारतीय सीमाओं पर उपयोग करने के आरोप हैं. यही कंपनी मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं भोपाल और इंदौर मेट्रो में तकनीकी सप्लायर है. अब यह परियोजना राष्ट्रीय सुरक्षा और संवेदनशीलता के चलते विवाद में आ गई है.

सरकार ने साफ कर दिया है कि यदि राष्ट्रहित में कोई खतरा महसूस हुआ, तो भले ही वह किसी अंतरराष्ट्रीय कंपनी के साथ अनुबंध क्यों न हो उसे समाप्त करने में कोई हिचक नहीं होगी.

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