देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित साहित्य उत्सव ‘साहित्य आजतक 2025’ रविवार को अपने अंतिम दिन पर पहुंच गया. तीन दिवसीय इस महाकुंभ में कला, साहित्य और संगीत से जुड़ी कई हस्तियों ने शिरकत की. कार्यक्रम का आयोजन मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में हुआ, जहां लगातार तीन दिनों तक रचनात्मकता और संवाद का माहौल बना रहा. अंतिम दिन युवा लेखकों और स्टोरीटेलर्स याहया बूटवाला और नीरज पांडे ने मंच साझा किया. दोनों ने अपनी रचनात्मक यात्राओं, लेखन अनुभवों और नई पीढ़ी के बदलते साहित्यिक नजरिए पर खुलकर बातचीत की.
बेरोजगारी, ब्रेकअप और कविता की शुरुआत
याहया बूटवाला ने बताया कि उन्होंने 2017 में कविताएं लिखना शुरू किया, जब वे बेरोजगार थे और निजी जीवन में कठिन दौर से गुजर रहे थे. इसी दौरान उनके कुछ वीडियो और रील्स वायरल हुए, जिससे उन्हें पहचान मिली. याहया ने नई पीढ़ी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जेन-ज़ी को पढ़ने में रुचि नहीं होने का आरोप लगाना गलत है, क्योंकि उन्हें पढ़ने की आदत दी ही नहीं गई. उन्होंने सलाह दी कि पहले छोटी कहानियों से शुरुआत करनी चाहिए, फिर बड़े लेखकों को पढ़ना चाहिए.
सत्र के दौरान उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कविता ‘मैं लिखूंगा तेरे बारे में…’ भी सुनाई, जिसमें प्रेम, भावनाओं और बदलते रिश्तों को नया दृष्टिकोण दिया गया.
मैं लिखूंगा तेरे बारे में...
अगर तू करे वादा साथ रहने का
तो मैं लिखूंगा तेरे बारे में
नहीं लिखूंगा तेरी आंखो के बारे में
जिनमें डूबने का मन करता है
नहीं लिखूंगा तेरे होठों के बारे में जिन्हें चूमने का मन करता है
तेरी जुल्फों के बारे में जिनमें उलझने का मन करता है
क्योंकि मैं लिखता उन चीजों के बारे में जो ढल जाती हैं
बूटवाला ने अपनी नई किताब ‘तीन मुलाकातें और कुछ कहानियां’ के बारे में बताया कि यह शॉर्ट स्टोरी कलेक्शन है, जिसमें प्रेम, परिवार और शहरों से जुड़े रिश्तों को बयान किया गया है. उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी इंटरनेट के साथ बड़ी हुई है, इसलिए उसे हमेशा लगता है कि दुनिया आगे बढ़ रही है और वह पीछे छूट रही है. उन्होंने यह भी कहा कि लेखक के लिए “अपना सच लिखना” बेहद जरूरी है, क्योंकि दूसरों को खुश करने की कोशिश में असली लेखन सामने नहीं आ पाता.
लेखन, संगीत और जीवन की ख्वाहिशें
लेखक नीरज पांडे ने कहा कि गीत लिखना हो या किताब, उनके लिए हर माध्यम अभिव्यक्ति का जरिया है. उन्होंने अपनी नई किताब ‘कहीं और पर कहां’ के बारे में बताया कि यह शीर्षक उन अधूरी इच्छाओं और लगातार बदलती चाहतों की तरफ इशारा करता है, जो हर इंसान के जीवन का हिस्सा होती हैं.
नीरज ने प्रेम को “एक-दूसरे को सुनने और असहमति के बीच भी संवाद बनाए रखने की क्षमता” बताया. उन्होंने कहा कि हर पीढ़ी का प्रेम करने का तरीका अलग होता है और इसे स्वीकार करना चाहिए.
नीरज ने यह भी कहा कि कई बार लोग किसी बेहतरीन कविता या गीत को पसंद करते हैं लेकिन यह नहीं जानते कि उसे उनके आसपास का ही कोई व्यक्ति लिखता है. उन्होंने कहा कि अच्छे काम की सराहना खुलकर करनी चाहिए. कार्यक्रम के दौरान नीरज ने एक कविता भी सुनाई, जिसमें उन्होंने कवियों के भीतर बसे ‘अमर होने के भ्रम’ पर व्यंग्य किया.
नीरज ने एक कविता सुनाई
मैं अपने कवि होने का भ्रम पाले रहता हूं
कविता जिसके आस्तित्व को नहीं मानता है ये ब्रह्माण्ड
मैं कविता लिखकर अमर हिना चाहता हूं
दुनिया के सारे कवी, कवि होने के भ्रम में अमरत्व पाले बैठे हैं...
दोनों लेखकों ने की अपनी किताबों की लॉन्चिंग
साहित्य आजतक 2025 के इस सत्र में याहया बूटवाला और नीरज पांडे ने अपनी-अपनी नई किताबों का औपचारिक रूप से विमोचन किया. तीन दिनों तक चले इस आयोजन ने युवा और वरिष्ठ रचनाकारों को एक साथ लाकर साहित्यिक संवाद को और समृद्ध किया.
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