Sahitya Aajtak 2025: 15 साल में बदले 13 प्रोफेशन... साहित्य आजतक में लक्ष्य महेश्वरी ने खोला किस्से-कहानियों का पिटारा

‘साहित्य आजतक 2025’ के अंतिम दिन दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में हुए ‘इश्क सूफियाना’ सेशन में लक्ष्य महेश्वरी ने अपनी कहानी सुनाने की कलात्मक शैली से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. उन्होंने दर्शकों को अमीर खुसरो, संत कबीर और बुल्ले शाह की कहानियां सुनाई.

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लक्ष्य एक फेमस आर्टिस्ट और स्टोरी आर्क्योलॉजिस्ट हैं, जिनका रूमानियत अंदाज में कहानियां सुनाना लोगों को बहुत पसंद आता है. (Photo: ITG) लक्ष्य एक फेमस आर्टिस्ट और स्टोरी आर्क्योलॉजिस्ट हैं, जिनका रूमानियत अंदाज में कहानियां सुनाना लोगों को बहुत पसंद आता है. (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:44 PM IST

Sahitya Aajtak 2025: नई दिल्ली स्थित मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में आयोजित 'साहित्य आजतक 2025' का आज आखिरी दिन है.  आज इसके 'इश्क सूफियाना' सेशन को लक्ष्य महेश्वरी ने दिलचस्प और यादगार बनाया. लक्ष्य एक फेमस आर्टिस्ट और स्टोरी आर्क्योलॉजिस्ट हैं, जिनका रूमानियत अंदाज में कहानियां सुनाना लोगों को बहुत पसंद आता है. सोशल मीडिया पर उनके वीडियोज भी खूब वायरल होते हैं. साहित्य आजतक के मंच पर भी उन्होंने कुछ मजेदार और ज्ञानवर्धक कहानियों से दर्शकों का समां बांधे रखा.

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उन्होंने प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर और भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का एक किस्सा सुनाकर शुरुआत की. उन्होंने बताया कि एक बार दिल्ली के लालकिले पर रामधारी सिंह दिनकर को साहित्य का पुरस्कार दिया जा रहा था. तब नेहरू और दिनकर एकसाथ लाल किले की सीढ़ियां चढ़ रहे थे. नेहरू आगे थे और दिनकर पीछे. अचानक नेहरू जी का पैर फिसला तो दिनकर जी ने हाथ बढ़ाकर उन्हें संभाल लिया. नेहरू जी ने गहरी सांस ली और दिनकर से बोले- 'शुक्रिया आपने मुझे गिरने से बचा लिया.' तब दिनकर मुस्कुराए और बोले- 'जब-जब राजनीति गिरी है, साहित्य ने ही तो हाथ बढ़ाकर संभाला है.'

साहित्य आजतक के मंच पर अपनी कहानियों का पिटारा खोलने से पहले लक्ष्य ने दर्शकों से कहा कि साहित्य कुछ और नहीं, बल्कि सदियों से लिखी गई तमाम कहानियां ही हैं. इसके बाद उन्होंने कहानी और सत्य नाम की दो बहनों की कहानी लोगों को सुनाई. इस कहानी का उद्देश्य था कि बिना कहानी के श्रृंगार और खूबसूरती के किसी को सच देखना पसंद नहीं है.

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इसके बाद लक्ष्य ने दुनिया की पहली कव्वाली और गजल लिखने वाले अमीर खुसरो की कहानी सुनाई. फिर उन्होंने अमीर खुसरो और उनके गुरु निजामुद्दीन औलिया की एक कहानी लोगों को सुनाई. इसके बाद संत कबीर और बुल्ले शाह की कहानी ने भी लोगों के दिल पर जादू बिखेरा. इन सभी कहानियों के पीछे उद्देश्य था कि हर इंसान को जीवन में आगे बढ़ने या सफल होने के लिए एक गुरु की जरूरत होती है.

इन्वेस्टमेंट बैंक से कहानीकार तक का सफर
इस दौरान लक्ष्य ने अपने बारे में भी दर्शकों को बताया. उन्होंने कहा कि मैंने करीब 15 साल पहले अपने करियर की शुरुआत गुरुग्राम में बतौर एक इन्वेस्टमेंट बैंकर से की थी. और मैं पिछले 15 साल में करीब 13 प्रोफेशन बदल चुका हूं. उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर जिंदगी में क्या करना है. फिर उन्होंने दिल्ली के ही एक प्रसिद्ध कहानीकार अंकित चड्ढा का एक वीडिया देखा और तब उन्हें इस प्रोफेशन में आने की प्रेरणा मिली. इतना कहकर लक्ष्य ने दर्शकों को कहानियां सुनाना शुरू की. आज देशभर में लोग उनके कहानी सुनाने के अंदाज पर फिदा हैं.

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