Sahitya Aajtak 2025: राजधानी दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में साहित्य का महोत्सव 'साहित्य आजतक 2025' का कार्यक्रम चल रहा है. कार्यक्रम के तीसरे और आखिरी दिन देश के जाने-माने कवि, साहित्यकार, प्रशासनिक अधिकारियों, गायकों का आना जारी है. साहित्य आजतक के खास सत्र 'खोलिए ताले अपनी जिंदगी के' में देश के जाने-माने IAS ऑफिसर और लेखक सज्जन यादव, लेखक नवीन चौधरी, मोटिवेशनल स्पीकर और लेखक रत्नेश्वर ने हिस्सा लिया.
सत्र की शुरुआत में सज्जन यादव ने बताया कि उनके लिए अपनी प्रशासनिक नौकरी के साथ-साथ किताबें लिखना मुश्किल नहीं था. उन्होंने कहा, 'किताबें लिखने का सफर बहुत रोमांचक रहा. IAS ऑफिसर के अनुशासन ने ही सिखाया कि किताब भी लिखी जा सकती है, अनुशासन के साथ. जब समय मिल जाता है, लिखता हूं, फ्लाइट में लिखता हूं, वीकेंड में लिखता हूं. सारे IAS ऑफिसर गोल्फ खेलते हैं.. ये भ्रम है, कुछ किताब भी लिखते हैं.'
सज्जन यादव ने बताया कि हालांकि, उन्हें किताब लिखने से ज्यादा किताब का टॉपिक फाइनल करने में दिक्कत आई. किताब का टॉपिक चुनने में उन्हें एक साल लग गए. अपनी किताब, 'Scaling Mount Upsc: Inspiring Stories Of Young Officers' पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस किताब में उन्होंने सात युवा अधिकारियों की कहानी शामिल की है. ये सातों ही अधिकारी ऐसे रहे हैं जिनका प्रशासनिक अधिकारी बनने का सफर बेहद संघर्षों से भरा रहा है.
सज्जन यादव की किताब में पश्चिम बंगाल कैडर के IAS ऑफिसर भरत सिंह की कहानी भी है जो उनकी मेड के बेटे हैं. सज्जन यादव ने बताया कि भरत सिंह ने अपने टैलेंट के दम पर अधिकारी बनने तक का सफर पूरा किया.
उनकी किताब में बिहार कैडर की IAS अधिकारी अंजलि शर्मा की कहानी भी है जिनके पिता सिक्किम में एक फैक्ट्री वर्कर थे. उन्होंने अंजलि की कहानी बताते हुए कहा, 'अंजलि सिक्किम में रहती थीं, वो 10वीं में थीं जब उन्हें कुछ बीमारी हुई और उस वजह से उनकी दोनों आंखें चली गईं. इसके बाद उन्होंने कैसे भी करके 11वीं और 12वीं की पढ़ाई की. हार नहीं मानी और रेगुलर कॉलेज गईं वो भी पहाड़ी इलाके में.'
सज्जन यादव ने आगे बताया, 'ग्रेजुएशन के बाद यूट्यूब से सुन-सुनकर उन्होंने तैयारी की. फैक्ट्री वर्कर की बेटी थी, बड़ी मुश्किल से एक फोन मिला जिससे तैयारी की. अंजलि ने पहले बीपीएससी पास किया और फिर यूपीएससी पास की. अभी वो बिहार कैडर में IAS अधिकारी हैं.'
सज्जन यादव ने बताया कि उनकी किताब में एक ऐसी अधिकारी की कहानी भी है जिन्होंने मां बनने के बाद आईएएस की परीक्षा दी और अधिकारी बनीं.
सत्र की मॉडरेटर नेहा बाथम ने सज्जन यादव से पूछा कि जो लोग यूपीएससी की तैयारी करते हैं और फिर असफल हो जाते हैं, उन्हें क्या करना चाहिए?
जवाब में सज्जन यादव ने कहा, 'अगर आप पूरे मन से तैयारी कर रहे हैं तो हो नहीं सकता कि सेलेक्शन न हो. लेकिन अगर आप असफल हो भी जाते हैं तो भी रास्ते आपके लिए बंद नहीं होते. जब आप असफल होकर इस प्रक्रिया से निकलते हैं तो बहुत ज्ञानी हो जाते हैं. जीवन में एक अनुशासन आ जाता है. असफल होने के बावजूद भी आप बहुत अच्छा करेंगे. यूपीएससी के अलावा भी कई और क्षेत्रों में आप अच्छा कर सकते हैं. वैसे भी जो लोग इंटरव्यू तक पहुंच जाते हैं उन्हें तो अब दूसरी सरकारी नौकरियों में मेरिट के आधार पर सेलेक्ट किया जाता है.'
सत्र में लेखक नवीन चौधरी ने अपनी किताब 'खुद से बेहतर' पर बात की, उन्होंने कहा कि हमें अपने आप में लगातार बदलाव करने रहने चाहिए, नई स्किल सीखकर खुद को अपग्रेड करते रहना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'जो पुराने वर्जन से चिपके रहते हैं, उन्हें ही बदलने के लिए मैंने किताब लिखी है. ऐसा हो सकता है कि किसी को अचानक ग्रोथ मिल जाए लेकिन फिर उस जगह बने रहने या उससे ऊपर जाने के लिए आपके अंदर काबिलीयत होनी चाहिए. नहीं तो फिर उतनी ही तेजी से आप नीचे भी आ जाएंगे.'
उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट में रह रहे लोगों के लिए प्रेजेंटेशन और कम्यूनिकेशन स्किल बेहद मायने रखता है. उन्होंने कहा कि अच्छा दिखने के साथ-साथ अच्छा बोलना भी बेहद जरूरी है.
सत्र के दौरान जाने-माने लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर रत्नेश्वर ने बताया कि उन्होंने किताब लिखने के लिए डेढ़ साल जंगल में गुजारे जो उनके लिए खुद को आविष्कार करने का समय था.
उन्होंने बताया, 'लगभग डेढ़ साल जंगल में रहा जहां मैंने खुद को खोजा. बचपन से हमें एक करियर के बारे में समझाया जाता है कि किस तरह से हम अपने जीवन में सफलता पा सकते हैं. हमने ये मान लिया है कि ये करेंगे तो ये होगा. मानी हुई बातें आपको कहीं भी पहुंचने नहीं देतीं. शिक्षक, किताबें, स्कूल सभी आपको स्ट्रक्चर देती हैं कि यही करना है आपको. दुनिया के अरबों लोग हर मामले में एक-दूसरे से अलग हैं, हर इंसान अजूबा है तो आपने बना-बनाया स्ट्रक्चर क्यों चुना?'
उन्होंने आगे कहा, 'जंगल में डेढ़ साल में 21 दिन ऐसे थे जिनमें मैं स्थितप्रज्ञ हो गया था. उस दौरान मैंने खुद को जाना... दुनिया में लोग स्वयं को भी नहीं जानते, बने-बनाए स्ट्रक्चर पर चलते हैं... मैं उस पूरे स्ट्रक्चर को खंडित करता हूं अपनी किताब में.'
इस सवाल के जवाब में स्पीकर ने कहा, 'कितनी दुखद बात है कि जीवन अपनी असली शक्ति पहचानने में निकल जाए. बाहरी डिजाइन के चक्कर में हम भीतरी डिजाइन नहीं देख पाते हैं. जब मैं स्थितप्रज्ञ की अवस्था में था तब मैंने वो प्रयोग भी किया कि बादल आए और बारिश हो. तानसेन ने गीत गाए और बारिश हो गई, वो झूठी बात नहीं है, मैंने ये प्रयोग करके देख लिया.'
सत्र का समापन करते हुए स्पीकर रत्नेश्वर ने कहा, 'ध्यान ही आपको आपके भीतर ले जा सकता है. एक और बात कि ध्यान का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.'
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