कविताओं को गीतों में पिरोकर चिन्मयी ने बांधा समां

कविताओं को संगीत में ढालकर चिन्मयी त्रिपाठी ने पूरे देश में नाम कमाया है. छायावादी से लेकर वीर रस की कविताओं को आवाज देकर उन्होंने माहौल बना दिया.

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चिन्मयी त्रिपाठी [फोटो-आजतक] चिन्मयी त्रिपाठी [फोटो-आजतक]

अमित राय

  • नई दिल्ली ,
  • 18 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 3:02 AM IST

साहित्य आजतक में हल्ला बोल के मंच पर तीसरे दिन की शुरूआत जानी मानी गायिका चिन्मयी त्रिपाठी के सत्र से हुआ. 'सुन जरा' और 'मन बावरा' से प्रसिद्द हुईं त्रिपाठी ने कविताओं को गाकर नया आयाम हासिल किया है. इसे उन्होंने 'म्यूजिक और पोयट्री' प्रोजेक्ट का नाम दिया है. इसके बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि पहले उन्होंने छायावाद की कुछ कविताओं को गीतों में ढाला. इसके बाद वीर रस पर आईं. उन्होंने शुरुआत महादेवी वर्मा की कविताओं से 'जाग तुझको दूर जाना' से की. इस सत्र का संचालन नेहा ने किया.

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हरिवंश राय बच्चन की एक कविता 'पगला मल्लाह' को भी उन्होंने गाकर सुनाया.

डोंगा डोले नित गंग जमुन के तीर, इसमें डोंगे को जीवन का प्रतीक माना गया है.

इसके बाद निराला की कविता 'सखी वसंत आया' को आवाज दी.  

चिन्मयी प्रेम के बाद वीर रस की कविताओं पर आईं और उन्होंने दिनकर की कविता 'कलम आज उनकी जय बोल' गाकर माहौल बना दिया.

इसी माहौल को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने शिवमंगल सिंह सुमन की कविता 'पतवार' को आवाज दी.

इसके बाद उन्होंने वर्तमान लेखिका अनामिका की कविता 'खुशगप्पियां' को आवाज दी.   

फिर कबीर के पद को गाकर सुनाया

धीरे-धीरे रे मना, धीरे-धीरे सबकुछ होय

माली सींचे सौ घड़े, जब ऋतु आवे फल होय.

एकै साधे सब सधै सब साधे सब जाए

माली सींचे मूल को, सब फल-फूलै होइ जाए.

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