साहित्य आज तक में बोले कपिल सिब्बल, राजनेताओं में बची है इंसानियत

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कपिल सिब्बल कपिल सिब्बल

वन्‍दना यादव

  • नई दिल्‍ली,
  • 12 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 8:02 PM IST

कांग्रेस पार्टी के नेता और कवि कपिल सिब्बल ने कहा कि हर इंसान के दिल में एक भावना है जो कविता के द्वारा सामने आती है. उनका दिल गरीबों के लिए भी धड़कता है. नेता होने के साथ-साथ फिल्मों में गाने लिखने वाले कपिल सिब्बल ने साहित्य आज तक में शिरकत की.

कपिल सिब्बल ने गरीबों पर एक कविता सुनाई-
हक मेरे दिला तू, मुझको खुदा तू , नहीं तो बता तू, करेगा फिर क्या तू.

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कपिल सिब्बल ने कहा कि हर शख्स को इंसान बनना चाहिए. जो इंसानियत के रास्ते नहीं चलेगा हमेशा परेशान रहेगा. जिंदगी एक ऐसी चीज है आपको नहीं पता आगे क्या होने वाला है. कपिल सिब्बल ने बताया कि हम जब सियासत में थे तो हमेशा अपनी बात रखते थे. राजनेता बनने से पहले में कविताएं लिखता रहा हूं.

कपिल देश में बदलाव की मांग करते हुए भी दिखे. उनका कहना था कि जब तक हम सब लोग गरीब के मन की भावना नहीं समझेंगे तो तब तक चीजें नहीं बदलेंगी. जब लोग सड़क पर आएंगे तभी बदलाव होगा. लोगों का संघर्ष ही सत्ता में बदलाव लाता है.

कविताओं की रचना का सफर कैसे शुरू हुआ पर कपिल कहना है कि ये हूनर उनके पास सालों से था. पहले उनके पास समय कम होता लेकिन अब उन्हें काफी टाइम मिलता है शब्दों के साथ वक्त बिताने का.

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आपका ये बगावती रूख है या फिर आप इस माध्यम से सत्ता को कुछ बताना चाहते हैं?
ऐसा कुछ नहीं है ये बगावती तेवर नहीं हैं, ये चीजें हर इंसान के जीवन में आती हैं. हर समय एक सा नहीं रहता क्योंकि रास्ते जो आगे के हैं वो कुछ मीठे भी है और तीखे भी हैं. इंसानियत का जो चाल चलन है वो दिखता है और जो अंदर की भावना है उसे सामने रखने में कोई बुराई नहीं है.

क्या सत्ता का नशा आपको भी था?
सत्ता का नशे में तो हमे था लेकिन ये तो आप भी जानते हैं कि हम कैसे नशे में थे. हमें काम किया और वही हमारी पहली जिम्मेदारी थी. वैसे हम यहां कविताओं की बात करने आए हैं न कि राजनीति की.

तो क्या सत्ता को भी क्या कोई शायर चाहिए?
कवि समाज में हैं और ऐसा नहीं है कि सत्ता को कवि चाहिए. हर किसी के मन में कवि होता है और कवि की कोई सत्ता नहीं होती.

अपने लिखने के अनुभव के बारे में भी उन्होंने बातचीत की. उन्होंने कहा, 2014 से कहीं पहले मैं लिखता था और मैंने दो किताबें लिखी हैं. जिंदगी की दौड़ में कोई जीतता-हारता नहीं है. सभी बाद में एक ही जगह पहुंचते हैं. चाहे फिर आप कितनी भी भागदौड़ कर लें. इसी बात पर पढ़िए कविता की ये लाइनें...
खुदा ये बता कहां खो गया तू...

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