साहित्य आज तक: अशोक वाजपेयी के हिंदी को लेकर 10 सबक

साहित्य आज तक के मंच पर पहुंचे अशोक वाजपेयी हिंदी की वर्तमान स्‍िथति के बारे में कही ये 10 बातें...

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अशोक वाजपेयी अशोक वाजपेयी

विष्णु नारायण

  • नई दिल्ली,
  • 12 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 9:51 PM IST

साहित्य आज तक द्वारा आयोजित साहित्यिक महाकुंभ के तीसरे सत्र - हिंदी हैं हम- 21वीं सदी में क्या हिन्दी पिछड़ रही है? में अशोक वाजपेयी और मृदुला गर्ग श्रोताओं से रू-ब-रू हुए. वहां उन्होंने हिन्दी की वर्तमान स्थिति पर कई बातें कीं. आप भी जानें कि आखिर उन्होंने क्या कहा...

1. हमारे समाज और भाषा की विडम्बना है कि हम अपने साहित्यकारों को तरजीह नहीं देते.

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2. हमारी भाषा में 46 बोलियां हैं. हिन्दी तो केवल संपर्क भाषा है.

3. हिन्दी के अंचल में पलने वाले ढोंगी बाबाओं के जेल में जाने पर मुझे आध्यात्मिक खुशी मिलती है.

4. लोगों को सबक सिखाया जाए कि धर्म एक बेहद निजी मामला है.

5. साहित्य हमेशा से ही धर्म और राजनीतिक सत्ता से टकराता रहा है.

6. लेखक हमेशा खुद पर शक करते हैं. सच्चा लेखक तो वही है जो खुद पर शक करे.

7. उनकी मां महज 5वीं पास थीं. इसके बावजूद वह रामचरितमानस की पूजा किया करती थीं.

8. लोकतंत्र में लोक को भी जागरुक और ट्रेन किए जाने की जरूरत है.

9. हिन्दी अंचल का मध्यवर्ग अपनी भाषा से दूर भागने वाला मध्यवर्ग है.

10. हिन्दी समकालीन परिस्थितियों में जातीयता, सांप्रदायिकता और क्षेत्रीयता में फंस गई है.

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