कोविड में क्यों परेशान रहते थे पंकज उधास? जिगरी दोस्त ने बताई वजह, बोले- वो आखिरी वक्त में...

साहित्य आजतक 2024 में पद्मश्री अनूप जलोटा, सिंगर-एक्टर तलत अजीज, सिंगर सुदीप बनर्जी और शायर आलोक श्रीवास्तव ने दिग्गज दिवंगत सिंगर पंकज उधास को खास ट्रिब्यूट दिया. चारों ने पंकज उधास से जुड़े कई दिचस्प किस्से भी साझा किए.

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अनूप जलोटा, तलत अजीज, सुदीप बनर्जी और शायर आलोक श्रीवास्तव अनूप जलोटा, तलत अजीज, सुदीप बनर्जी और शायर आलोक श्रीवास्तव

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:34 PM IST

'ना कजरे की धार....', 'चिट्ठी आई है...' जैसे सुपरहिट गाने गाकर लोगों के दिलों में जगह बनाने वाले लेजेंडरी सिंगर पंकज उधास के निधन से उनके तमाम फैंस का दिल टूट गया था. आज भी उनकी रूहानी आवाज, गाने और गायकी फैंस के दिलों पर राज करती है. 23 नवंबर को साहित्य आजतक 2024 कार्यक्रम में पंकज उधास को उनकी म्यूजिकल जर्नी के लिए कई दिग्गज सितारों ने श्रद्धांजलि दी. 

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साहित्य आजतक 2024 में पंकज उधास को दिया खास ट्रिब्यूट

पॉपुलर सिंगर, संगीतकार, पद्मश्री अनूप जलोटा, सिंगर-एक्टर तलत अजीज, सिंगर सुदीप बनर्जी और शायर आलोक श्रीवास्तव ने साहित्य आजतक के मंच पर दिवंगत सिंगर पंकज उधास को अपने अंदाज में ट्रिब्यूट दिया. साथ ही दिवंगत सिंगर से जुड़े कई मजेदार किस्से साझा किए.

मॉडरेटर शम्स ताहिर खान से बात करते हुए भजन सम्राट अनूप जलोटा ने पंकज उधास संग अपनी दोस्ती और रिश्ते पर बात की. उन्होंने कहा- पंकज जी के साथ हमारा रिश्ता ज्यादा पुराना नहीं, बस 50 साल पुराना है. हाफ सेंचुरी. तब से तलत अजीज से भी दोस्ती है. हम लोगों ने मुंबई में एक साथ करियर शुरू किया था. पंकज भाई में काफी वर्सेटिलिटी रही है. उनको आपने फिल्मों में गाते हुए भी देखा और सुना भी. 'चिट्ठी आई है..., उनपर पिक्चराइज हुआ, हो बहुत बड़ा हिट हुआ था.

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एक बार मुझे राजेंद्र कुमार जी मिले. जब 'नाम' फिल्म रिलीज हुई थी, तब उन्होंने मुझसे कहा कि फिल्म बहुत चली, लेकिन इससे मैंने 1 करोड़ कमाए, मगर पंकज ने 3 करोड़ कमाए थे, क्योंकि फिल्म का गाना 'चिट्ठी आई है...' बहुत चला था. लोगों ने उसे बहुत पसंद किया था.

बेहद सिंपल-शरीफ थे पंकज उधासः अनूप जलोटा

अनूप जलोटा आगे बोले- 'पंकज का गाना सुनकर आपको लगता होगा कि कोई बहुत शरीफ, भोला भाला इंसान गा रहा होगा. सबसे अच्छी तरह मिलता होगा उनकी आवाज में झलकता भी था. वो थे भी ऐसे ही.बीच में उन्होंने आइडिया दिया कि सभी एक साथ मंच पर गाते हैं. फिर 'खजाना गजल फेस्टिवल' हमने शुरू किया, फिर मैंने भी उनके साथ गाया. आज 'खजाना गजल फेस्टिवल' 22 साल से चल रहा है. मैं बहुत याद करता हूं उनको. किसी प्रोग्नाम उनकी गजल गाने की फरमाइश आ जाती है और गाते-गाते मैं और आडियंस उसमें खो जाता हूं. हम सभी पंकज जी को खो चुके हैं. लेकिन उनकी आवाज आज भी हमारे दिल में सलामत है.'

तलत अजीज ने पंकज उधास को किया याद

तलत अजीज ने पंकज उधास को याद करते हुए कहा- बहुत सारी यादें हैं, कितनी यादें ताजा करूंगा, जब भी हम तीनों (पंकज उधास, अनूप जलोटा और तलत अजीज) साथ होते थे, तो कॉन्सर्ट के बाद हम तीनों जब होटल वापस आते थे, तो हमारी अलग महफिल सुबह तक जमती थी. पंकज भाई को पुरानी फिल्मों के गाने बहुत पसंद थे. तो हम उनसे वो गाने सुनते थे. पंकज जी कहते थे- हमारा असल प्रोग्राम तो अब शुरू हुआ है.

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आखिरी बार हमने उनके साथ साउथ अफ्रीका का टूर किया था. पहले अनूप जलोटा गाते थे, फिर मैं और फिर पंकज जी गाते थे. आखिर में वो हमें स्टेज पर साथ गाने बुलाते थे. हम जब उनके साथ गाते थे तो समां बंध जाता था. पता ही नहीं लगता था कि वक्त कहां चला गया. वो फिनाले जैसा होता था. आज हम तीन घुंघरू की तरह थे, दो घुंघरू रह गए, लेकिन एक घुंघरू चला गया. 

कौन सी थी पंकज उधास की आखिरी गजल?

सिंगर सुदीप बनर्जी ने पंकज उधास की आखिरी गजल को रिकॉर्ड किया था. इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा- वो गजल नहीं, बल्कि एक डिवोशनल गाना है. मुझे कभी-कभी जलन होती है कि अनूप जलोटा और तलत जी पंकज जी के इतने करब थे. पुरानी यादों को ताजा करते हुए सुदीप बोले- मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में पढ़ता था. कॉलेज के कोने में चाय वाला बैठता था. वहां मैं और मेरे दोस्त रेखा भारद्वाज और विशाल गजल पर बात करते थे. ये उस दौर की बात है कि गलज का क्रेज उरूज पर था. पंकज जी हमारे लिए किसी रॉकस्टार से कम नहीं थे. उन पर लोग फिदा हो जाते थे. हम भी फिदा थे. उन्हीं की वजह से मैं गजल गा रहा हूं. मैं मुंबई आया उन्होंने मुझे 'खजाना गजल फेस्टिवल' मे ंदात दी. मैं 10-12 साल से खजाना में गा रहा हूं. 

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कोविड में क्यों उदास रहते थे पंकज?

कोविड के वक्त पंकज जी काफी डिस्टर्ब रहते थे. उस वक्त वो कॉल करके घंटों तक म्यूजि‍क, शायरी और गजलों को लेकर बात करते थे. उस वक्त ख्याल आया कि गजल लिखी जाए, जो ह्यमैनिटी पर बेस्ड हो और जो भी हालात उस वक्त थे. मैंने जब लिखकर उन्हें भेजा तो उन्होंने 2 दिन बाद मुझे कॉल करके कहा कि उन्हें वो इतना पसंद आया कि वो दो दिन से उसे सुन रहे हैं. वो उसे बड़े लेवल पर रिलीज करना चाहते थे. वो रिकॉर्ड हो गया सब हो गया. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. अब हम उसे जल्द ही बड़े लेवल पर उसे रिलीज करने की प्लानिंग में हैं. ये उनका अब तक का बेस्ट डिवोशनल गाना होगा. 

शायर आलोक श्रीवास्तव ने कहा- पंकज भाई के साथ बहुत सारा काम करने का मौका मिला. जिस वक्त बहुत सारे नगमों के एल्बम्स आते थे, वो दौर उस वक्त खत्म हो रहा था. उस वक्त सिंगल ट्रैक सीडी आने शुरू हो गए थे. उस वक्त मेरे जैसे नौजवान, गीतकार और शायर के लिए ये बहुत खुशी की बात थी कि पंकज भाई के 40-45 साल के करियर में उनका सिंगल इकलौता ऑडियो-ट्रैक जो आया, उसका कवि मैं हूं.

आलोक श्रीवास्तव ने उस गजल के लाइनें सुनाईं, जो हैं...

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तुम सोच रहे हो बादल की उड़ानों तक
मेरी तो निगाहें हैं सूरज के ठिकानों तक
खुशबू सा बिखरा है, सब उसका करिश्मा है
मंदिर की तरन्नुम से मस्जिद की आजानों तक...

आलोक आगे बोले- पंकज भाई की खूबी थी कि वो हर उम्र में हमउम्र लगते थे. वो जैसे बड़ों से मिलते थे वैसे मुझे भी काफी कंफर्टेबल फील कराते थे. इसी के साथ अनूप जलोटा, तलत अजीज, आलोक और सुदीप बनर्जी ने अपने खास दोस्त पंकज उधास की गजलों को गाकर उन्हें याद किया. कार्यक्रम में तलत अजीज ने पंकज उधास की एक खास नज्म गाकर समां भी बांधा. 

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