e-साहित्य आजतक में दर्शकों का खास मनोरंजन करने आए बॉलीवुड के गीतकार मनोज मुंतशिर. इस मजेदार सेशन में मनोज ने एंकर श्वेता सिंह से बातचीत की. उन्होंने इस मौके पर अपनी जिंदगी, रिश्तों, मजदूरों, बॉलीवुड फिल्मों के लिए लिखे फेमस गानों और फिल्म बाहुबली के डायलॉग्स लिखने के बारे में बात की.
मजदूर हमारी एटॉमिक एनर्जी हैं
सेशन की शुरुआत गीतकार मनोज मुंतशिर के एक रौंगटे खड़े कर देने वाले गाने से हुई. इसके बाद उन्होंने भारत के मजदूरों और उनके हालात के बारे में बातचीत की. मनोज ने कहा कि अमेठी का छोटा सा हिस्सा, गौरीगंज है और वहां से मैं पला बड़ा हूं. मुझे तकलीफ होती है देखकर कि लोग पार्लेजी बिस्किट के दो पैकेट मजदूरों को देते हुए फोटो खिंचवाते हैं. मुझे रोज लगता है कि हमने अपने भाग्यविधाता को जाने दिया. मजदूर हमारे देश की एटॉमिक एनर्जी हैं. इनका जाना बहुत बड़ी गलती है और ये जल्द हमें पता चलेगा. तब हम पछतायेंगे.
टूटे दिल ने बनाया करियर
मनोज मुंतशिर ने बताया कि 1994 में उन्हें पहली मोहब्बत हुई थी. तब भी वे राइटर हुआ करते थे. उन्होंने कहा- वो एक तूफानी मोहब्बत थी. जब लोग आईआईटी जाने का ख्वाब देखते थे तो मैं मुंबई जाने का ख्वाब देखता था.
मैं दो साल उस लड़की के साथ था जिससे मैं प्यार करता था. बाद में उसने मुझसे रिश्ता खत्म कर दिया और अपनी तस्वीरें और गिफ्ट वापस मांग ली. क्योंकि लड़की के पापा को मैं पसंद नहीं था. लड़की के जाने पर मैंने कुछ लाइन्स लिखी थीं. वो कुछ इस तरह थीं-आंखों की चमक, जीने की लहक, सांसों की रवानी वापस दे, मैं तेरे खत लौटा दूंगा तू मेरी जवानी वापस दे.
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साहिर लुध्यान्वी से हुए प्रेरित
मनोज ने बताया- ग्रेजुएशन में जाने से पहले ही मुझे क्लीयर था कि मैं लिखना चाहता हूं. फिल्मों में जाऊंगा ये बात मैंने 1997 में तय किया था. अमेठी से इलाहबाद तक का सफर गाड़ी 5 घंटे में तय करती थी. एक बार ट्रेन खराब हो गई थी तो मैंने स्टेशन जाकर मैंने नाश्ते के पैसे खर्च किए और साहिर लुधियानवी की किताब खरीदी थी. इलाहबाद पहुंचने तक किताब पूरी पढ़ ली और तय किया कि साहिर लुधियानवी की तरह बनूंगा.
हर रस को पसंद करते हैं मनोज
एंकर श्वेता सिंह ने मनोज से पूछा कि आखिर उन्हें कौन सा रस पसंद है? श्रृंगार रस या कोई और? इसपर मनोज ने कहा कि उन्हें सभी रस पसंद हैं. मैं मानता हूं कि इंसान के मन में नवरसों की जगह बने रहनी चाहिए.
इसके आगे उन्हें दर्द और प्यार के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि दर्द महसूस जिसने किया है वो ही अच्छा लिख पाटा है. जा तक मैं दर्द नहीं सहूंगा तो शेर कैसे लिखूंगा. एक तरफा प्यार करने का हक भी हमें होता है. उसकी ताकता और खूबसूरत अलग ही है. घाव अहम होते हैं.
हिंदी में मिली है उर्दू, उर्दू में है हिंदी
मनोज ने फिल्म इंडस्ट्री में लिखने के बारे में बात करते हुए बताया कि यहां कुछ भी सिर्फ हिंदी नहीं होता है. यहां सब हिंदी/उर्दू है. तो इसे हिंदी/ उर्दू कहा जाना चाहिए. आज कुछ भी दोनों के मेल के बिना नहीं कह सकते हैं. हमारे देश में ढेरों भाषाएं हैं और ये सब बहुत प्यारी और जरूरी हैं.
फिल्मों के गाने लिखना सबसे मुश्किल
बॉलीवुड के गानों को लिखने के बारे में मनोज मुंतशिर ने बात की और बताया कि साहित्य के लोग उन्हें और बॉलीवुड के राइटर्स को कम समझते हैं. इसपर उन्होंने कहा कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि फिल्मों के लिए गीत लिखना सबसे मुश्किल कामों में से एक होता है. आप सोचिए अगर आप एक कमरे में डायरेक्टर, प्रोड्यूसर सहित ढेरों लोगों से घिरे बैठे हों और सभी को आपसे एक ऐसी लाइन चाहिए हो जो सबको एक बारी में पसंद आ जाए तो राइटर मुश्किल में पड़ जाता है.
90 सेकंड में लिखा था एक विलेन का गलियां?
मनोज ने बताया कि फिल्म एक विलेन के गाने गलियां के मुखड़े को उन्होंने मात्र 90 सेकंड में लिखा था. वे मुम्बई के गोरेगांव में रहते हैं. 2013 में एक सुबह वो जॉगिंग पर निकले थे और उनके एरिया की सड़क को नया नाम दिया गया था. उस नाम को पढ़ने के बाद उन्होंने सोचना शुरू किया और गलियां गाने का मुखड़ा अगले 90 सेकंड्स में तैयार कर लिया.
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एमएस धोनी बायोपिक का फेमस गाना
क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के जीवन पर बनी फिल्म एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी के मशहूर गाने कौन तुझे को भी मनोज मुंतशिर ने ही लिखा था. उन्होंने बताया कि उस गाने की लाइन को उन्होंने अपने बेटे की वजह से लिखा था. मनोज बताते हैं- मेरा दिन बहुत खराब जा रहा था. मेरा बेटा तब बहुत छोटा था और उसने तब मुझे बोला कि मम्मी मुझसे ज़्यादा प्यार करती हैं. इसपर मैं चिढ गया और मैंने कहा कौन तुझे यूं प्यार करेगा जैसे मैं करता हूं.
मनोज के मुताबिक उन्होंने ये लाइन तभी नोट कर ली थी और बाद में उन्होंने इसे फिल्म की टीम को सुनाया और ये सभी को अच्छा लगा. तब धोनी भी फिल्म के सेट पर थे. इस गाने को बन्ने में 7 से 8 दिन का समय लगा था. धोनी ने भी अपने इनपुट इसमें दिए थे.
फिल्म बाहुबली के लिए डायलॉग्स
साउथ सुपरस्टार प्रभास उर डायरेक्टर एस एस राजामौली की फिल्म बाहुबली के डायलॉग्स को मनोज मुंतशिर ने लिखा था. इस काम को मिलने का किस्सा उन्होंने सुनाया. मनोज बोले- मैं हैदराबाद में फिल्म एमएस धोनी के गाने लिख रहा था. डायरेक्टर नीरज पांडे ने मुझे एक वर्ल्ड कप एंथम लिखने के लिए काहा था. मैं कुछ लिखने के बाद सुना रहा था तब एक आदमी आकर स्टूल पर बैठा. लेकिन मैंने उसकी तरह ध्यान नहीं दिया था.
फिर मैं मुंबई वापस आया और कुछ दिन बाद मुझे एस एस राजामौली की तरफ से कॉल आया. उन्होंने अपने पास बुलाया और कहा मैं चाहता हूं कि तुम बाहुबली के डायलॉग लिखो. तब मैंने कहा कि मैं गाने लिखता हूं सर.
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तब राजमौनी ने मुझे बताया कि जब तुम उस दिन कुछ पढ़ रहे थे, मैं उस कमरे में आया था. जो तुम बोल रहे थे मैं चाहता हूं कि मेरा बाहुबली वैसा बोलना चाहिए. इसलिए तुम मेरी फिल्म के डायलॉग्स लिखोगे. सत्र के अंत में मनोज मुंतशिर ने अपनी लिखी एक कविता को सुनाया. इस कविता को उन्होंने उन लोगों को करार जवाब देते हुए कहा जो कहते हैं कि भारत से नहीं हो पाएगा. कविता की एक लाइन थी- दुनिया में कई तरह के झूठ हैं लेकिन सबसे बड़ा झूठ क्या है मैं बताता हूं. तुमसे ना हो पाएगा झूठ है.
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