मनोज तिवारी ने सुनाई संघर्ष के दिनों की कहानी, कैसे घरवालों को देते थे झांसा

मनोज तिवारी ने e साहित्य के मंच पर कहा कि मैंने पहले यूपीएससी का एक्जाम दिया फिर पीसीएस का एक्जाम दिया. इसके बाद दरोगा की परीक्षा भी दी लेकिन तीनों में से किसी में भी मैं सफल नहीं हो पाया. वो काफी संघर्ष भरा समय था.

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मनोज तिवारी मनोज तिवारी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 मई 2020,
  • अपडेटेड 8:03 PM IST

e-साहित्य आजतक के खास मंच पर तीसरे दिन बीजेपी नेता, अभिनेता और भोजपुरी सिंगर मनोज तिवारी ने शिरकत की. मनोज तिवारी के साथ सेशन को एंकर श्वेता सिंह ने मॉडरेट किया. उन्होंने इस दौरान अपने संघर्ष के बारे में बात की.

मनोज ने बताया कि मेरे आसपास लोग मुझे कहते थे कि मैं 'जैक ऑफ ऑल और मास्टर ऑफ नन' हूं मतलब सारे काम अच्छे से कर लेता हूं लेकिन किसी काम में मास्टरी नहीं हासिल किया हूं. मैंने पहले यूपीएससी का एक्जाम दिया फिर पीसीएस का एक्जाम दिया. इसके बाद दरोगा की परीक्षा भी दी लेकिन तीनों में से किसी में भी मैं सफल नहीं हो पाया. वो काफी संघर्ष भरा समय था. हालांकि मैंने सब इंस्पेक्टर एक्जाम में सफलता हासिल की थी लेकिन उस समय तक संगीत मेरा इंतजार कर रहा था.

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उन्होंने आगे कहा कि मैं विश्वविद्यालय में क्रिकेट कैप्टन भी रहा तो इस तरह से मैं काफी प्रयोग करता था. हालांकि ये सब आसान नहीं था. कंपटीशन के दौर से जो गुजरता है, वही समझ सकता है कि असफल होने का दंश क्या होता है. घरवाले पूछते थे तो मैं बहाने मार देता था लेकिन बुरा तो लगता ही था. यही कारण है कि कंपटीशन को लेकर मैंने गाना भी बना दिया था. मैंने तो जीवन में जो महसूस किया है उस पर आधारित गीत बना दिए हैं.

शास्त्रीय संगीत के गायक, किसान और पहलवान थे मनोज तिवारी के पिता

मनोज ने अपने पिता के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि मेरे पिता शास्त्रीय संगीत के गायक थे. वे इसके अलावा किसान भी थे और पहलवान भी थे. वे हमेशा कहा करते थे कि गाने के लिए, दौड़ने के लिए और घोड़ा दौड़ाने के लिए ताकत की जरुरत पड़ती है. तो अगर गायक बनना है तो एक्सरसाइज करना पड़ेगा. यही कारण है कि मैं भी फिटनेस को लेकर थोड़ा एक्टिव रहता हूं

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