वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर अमीष का तंज, वो बस हमें अंग्रेज बनाने में लगी है

अमीष ने कहा कि भारत मां के लिए पिछले सैकड़ों साल कठिन रहे हैं. हम जिन्दा हैं क्योंकि हमारे पूर्वजों ने हार नहीं मानी और लड़ते रहे. हमारी शिक्षा प्रणाली जो है वो पूर्वजों और संस्कृति के बारे में नहीं सिखाती. वो तो हमें अंग्रेज बना रही है.

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अमीष त्रिपाठी अमीष त्रिपाठी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2020,
  • अपडेटेड 6:39 PM IST

e-साहित्य आजतक तेजी से अपनी दूसरे चरण में पहुचं गया है. आज के दिन हमने लिख अमीष त्रिपाठी से बातचीत की. अमीष, e-साहित्य आजतक संग जुड़े और अपने सेशन में उन्होंने एंकर श्वेता सिंह संग बातचीत की. भारत के इतिहास के बारे में बात करते हुए अमीष ने कहा कि भारत में हमें सिर्फ अंग्रेज बनना सिखाया जा रहा है.

भारत में ही नहीं पढ़ाते भारत का इतिहास

अमीष ने कहा कि भारत मां के लिए पिछले सैकड़ों साल कठिन रहे हैं. हम जिन्दा हैं क्योंकि हमारे पूर्वजों ने हार नहीं मानी और लड़ते रहे. हमारी शिक्षा प्रणाली जो है वो पूर्वजों और संस्कृति के बारे में नहीं सिखाती. वो तो हमें अंग्रेज बना रही है.

अमीष ने कहा कि इतिहास जो हमें सिखाई जाती है वो हमारी नहीं हमारे ऊपर आक्रमण करने वालों की इतिहास है. हर लड़ाई हम हारे ये सिखाया जाता है हमें. तो मैं पूछना चाहता हूं कि अगर सब लड़ाई हमने हारी है तो हम जिन्दा कैसे हैं आज.

रामंनंद सागर को पसंद करते हैं अमीष

रामायण के बारे में बात करते हुए अमीष त्रिपाठी ने कहा- कई लोग रामानंद सागर का मजाक उड़ाते हैं लेकिन मैं उनकी बहुत इज्जत करता हूं. प्रोडक्शन की बात छोड़ दीजिए लेकिन एक बात कही जा सकती है कि उन्होंने इसे बहुत ध्यान से और बहुत श्रद्धा से बनाया था. रामायण को देखकर लगता है कि रामानंद सागर की उसको देखकर साफ दिखता है कि उनका दिल प्रभु राम के चरणों में था.

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