e-Sahitya Aaj Tak 2020: स्वानंद किरकिरे बोले- कुदरत ने हमें अंदर की तरफ झांकने का मौका दिया है

स्वानंद ने कहा- हमें कहा जा रहा है कि इकोनॉमी हमारी खतरे में है, बहुत सारी चीजें बिकनी बंद हो गई हैं. सिर्फ जरूरत की चीजें बिक रही हैं. हम पहली बार बिल्कुल जरूरी चीजों पर जी रहे हैं.

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स्वानंद किरकिरे स्वानंद किरकिरे

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2020,
  • अपडेटेड 6:10 PM IST

गीतकार स्वानंद किरकिरे ने आजतक के प्रोग्राम ई-साहित्य आजतक में शिरकत की. इस सेशन को मीनाक्षी कंडवाल ने मॉरेड किया. इस सेशन में स्वानंद किरकिरे ने प्रकृति, लॉकडाउन, कोरोना वायरस और प्रवासी मजदूरों पर बातचीत की.


स्वानंद ने कहा- 'ये एक ऐसा समय है जिसके बारे में हमने सोचा नहीं था कि ये कभी जिंदगी में आएगा. मैंने कभी नहीं सोचा था कि हम घर के अंदर बंद हो जाएगे. मेरे घर के बाहर एक पेड़ है जहां ऐसी-ऐसी चिड़िया दिखने लगी जिन्हें मैंने कभी नहीं देखा था.' इसी के साथ स्वानंद ने एक कविता भी गाई, जिसे उन्होंने लॉकडाउन की शुरुआत में लिखा था.

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कविता की पंक्तियां इस प्रकार हैं...

मैं हूं कैद खिड़की में वो डालिया फुदक रहे

चहक रहे, किलक रहे देखो कितना हंस रहे

चंद दिन यूं ही रहो कर रहे गुजारिश है और हमको कैद रखना शायद पंछियों की साजिश है

स्वानंग ने कहा- मुझे लगा था कि ये कुदरत की साजिश है, हमें घर में कैद किया है और कुदरत कह रही है कि मैं जरा अपने आप को रिपेयर कर लेती हूं. और जरा अपने घर में रहिए.

लॉकडाउन में कैसा महसूस हो रहा?

स्वानंद ने कहा- हमें कहा जा रहा है कि इकोनॉमी हमारी खतरे में है, बहुत सारी चीजें बिकनी बंद हो गई हैं. सिर्फ जरूरत की चीजें बिक रही हैं. हम पहली बार बिल्कुल जरूरी चीजों पर जी रहे हैं. इसके अलावा जितनी भी चीजें हैं वो इकोनॉमी है. हम लोगों को इस वक्त पर सिर्फ दो वक्त का खाना, बिजली, इंटरनेट और दवाइयां मिल रही हैं. हमें जीने के लिए और कुछ चाहिए ही नहीं. महंगी-महंगी चीजें सब घर में रखी हुई हैं. कुदरत ने हमें अंदर की तरफ झांकने का मौका दिया है. सब मोह सब माया है.

इसी के साथ स्वानंद ने कविता तेरे चरण कमल काबू में रख ले जे भी सुनाईं. प्रवासी मजदूरों पर भी स्वानंद किरकिरे ने एक कविता बनाई है.

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पंक्तियां इस प्रकार हैं...

शहर कैद है घर में अपने, गांव चल पड़ा पैदल

मेरे देश के हाथ में स्मार्ट फोन है, पांव में टूटी सैंडल

इसका दोष उसका दोष दोष तो है पर नहीं है हल

सच और झूठ के बीच में है बेमानी बहस की दलदल

चाहे कितनी कविताएं लिख ले कवि इस पाप से न बच पाएगा

ये खुद्दारी का मंजर है तुझे नींदों में सताएगा

तेरे घर की ईंटे जिसने रचीं वो निकल पड़ा है अपने घर

तू है कैद अपने घर में और गांव चल पड़ा पैदल

तेरे हाथ में स्मार्ट फोन है और एक के पांव में टूटी सैंडल


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आगे स्वानंद ने कहा- मैं इतने अपराध बोध से भरा हुआ हूं कि क्या बताऊं. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि हम कैसे दो धड़ों में बंट गए हैं. ऐसी परिस्थिति है कि अपनी ही खिड़की से बाहर जाते हुए लोग दिखाई देते हैं और हमें नहीं पता कि कैसे उनकी मदद करें. एक तरफ संक्रमण की बात हो रही है और दूसरी तरफ भूख की बात हो रही है. ये ऐसा समय आया है जो हमें सालों तक याद रहेगा. मुझे बहुत दिक्कत हुई है.

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क्या है हिंदुस्तान की सबसे बड़ी ताकत?


स्वानंद ने कहा- हमारी प्रॉब्लम कोविड नहीं है हमारी प्रॉब्लम भूख है. हिंदुस्तान के आदमी का दिल अभी भी पसीजता है. जिस तादाद में लोग बाहर निकले हुए हैं. उनकी बाकी लोग मदद भी कर रहे हैं. हमारे अपने लोगों में भी दिल है. कुछ लोग रास्तों पर मदद का हाथ बढ़ाने के लिए निकल आए हैं. कुछ तो है जो हम समझते भी हैं.

स्वानंद ने आखिर में बावरा मन देखने चला एक सपना सॉन्ग भी गुनगुनाया.

इसी के साथ उन्होंने एकक्टर इरफान खान को भी याद किया. उन्होंने बताया कि वो फरवरी में इरफान खान से मिले थे. स्वानंद ने कहा- मैं उनसे मिलने उनके घर गया था. मैं उनका बहुत बड़ा फैन था. उनको मेरा एक गीत ओ री चिरैया बहुत पसंद था. वो उस गीते के बारे में हमेशा मुझसे बात करते थे. जब मैं घर पर गया था तो उन्होंने मुझे इसके बारे में भी बात की थी. बता दें कि अप्रैल 2020 में इरफान खान का निधन हो गया.

बातचीत के आखिर में स्वानंद ने कोरोना वॉरियर्स को सलाम किया. सभी को धन्यवाद दिया. उन्होंने वंदे मातरम भी गाया.



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