लोकप्रिय गीतकार, स्क्रीनराइटर और कवि प्रसून जोशी ने e-साहित्य आजतक कार्यक्रम में दूसरे दिन की भव्य शुरुआत की. प्रसून जोशी के सेशन को श्वेता सिंह ने मोडरेट किया. प्रसून जोशी ने इस खास मौके पर कोरोना वॉरियर्स, लॉकडाउन जैसे गंभीर मुद्दों पर बातचीत की.
लॉकडाउन ने खड़े किए कई सवाल- प्रूसन जोशी
नेशनल लॉकडाउन पर बोलते हुए प्रसून जोशी ने कहा- लॉकडाउन में बहुत सारे सवाल उठकर खड़े हो गए हैं. जीवन पर जो असर हुआ है उसपर भी बड़े सवाल खड़े हो गए हैं. आज प्रकृति के साथ लोगों का रिश्ता असंवदेनशील हो गया है. प्रकृति को हराने की होड़ सी लगी हुई है. मैंने कभी नदी, पहाड़ों से प्रतिस्पर्धा नहीं की. प्रकृति को पछाड़ने की कोशिश करने की वजह से तबाही के कहीं ना कहीं प्रमाण दिखे हैं. इस पर बहुत सोच की आवश्यकता है. लोग खुद के साथ ही सहजता खो चुके हैं. जिंदगी की लड़ाई में लोग अपने रिश्तों पर नजर नहीं डालते थे. जिनके बारे में लोगों को लॉकडाउन के दौरान मालूम चला और उन्हें अब इसपर अफसोस होता है.
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कोरोना के जंग पर प्रसून ने गाया शानदार गीत
प्रसून जोशी ने कोरोना के खिलाफ जंग को लेकर एक खास गीत पेश किया. इस गाने को प्रसून ने लिखा है और म्यूजिक दिया ए आर रहमान ने दिया है. गाने की पंक्तियां इस प्रकार हैं...
एक दिया तुम्हारा ओर एक लौ है मेरी
तल जाएगी ये काली रात अंधेरी
हम डोर-डोर साहस बटोर लाएंगे
हम डोर-डोर साहस बटोर लाएंगे
टूटेंगे नहीं हम, हार नहीं मानेंगे
कोरोना वॉरियर्स पर हुए हमलों पर क्या बोले प्रसून?
प्रसून जोशी ने पिछले दिनों डॉक्टरों, पुलिसवालों और नर्सों पर हुए हमले की निंदा की है. वे बोले- मुझे अफसोस होता है. जो लोग निस्वार्थ भाव से अपना काम करते हैं हम उनसे लड़ रहे हैं. ये भावना मुझे समझ नहीं आती है. डॉक्टरों, नर्सों, पुलिसवालों का भी अपना परिवार है. उनके भी बच्चे हैं. बच्चे उन्हें बाहर खतरा देखते हुए काम पर जाने से रोकते होंगे, मगर फिर भी वे लोग काम पर आते हैं. मास्क लगाकर हमारी मदद करते हैं. उनका हम कैसे तिरस्कार कर सकते हैं? हम सबको उनका सहयोग करना चाहिए. यहां पर किसी भी तरह के दोषारोपण से काम नहीं चलेगा. हम लोगों को मिलकर काम करना होगा. हम में से कोई भी इससे अछूता नहीं है. ये किसी खास वर्ग या व्यक्ति विशेष पर संकट नहीं है बल्कि ये मानव जीवन पर संकट है.
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इरफान के निधन पर क्या बोले प्रसून?
इरफान खान के निधन पर बोलते हुए प्रसून ने कहा- इरफान खान से मेरा काफी संपर्क रहा था. मेरी उनसे बातचीत होती रहती थी. उन्होंने काफी कोशिश की थी कि कमिटमेंट को पूरा कर सकें. उन्हें पूरी लड़ाई लड़ी. उन्होंने ईमानदारी से जीवन का संघर्ष किया. लेकिन क्या कह सकते हैं जीवन की इस जंग में कोई हारता है तो कोई जीतता है. इस समय सभी को साथ जुड़ने की आवश्यकता है.
लॉकडाउन के दौरान प्रसून जोशी ने काफी कुछ लिखा है. इनमें से एक खास कविता उन्होंने सुनाई. सुन कुछ देर ठहरकर सुनो, कुछ कहना चाह रही है हवा, कुछ सन्नाटे भी बोल रहे...
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