कोरोना के खौफ पर अशोक चक्रधर के हास्य की चोट, साहित्य आज तक में जमाया रंग

अशोक ने बताया कि वह लॉकडाउन के दौरान जूम और गूगल ड्यूओ जैसी एप्लीकेशन का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. अशोक ने बताया कि वह तकनीक की मदद से एक दूसरों से जुड़े रहते हैं.

Advertisement
अशोक चक्रधर अशोक चक्रधर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2020,
  • अपडेटेड 7:45 PM IST

लॉकडाउन के दौरान सारी दुनिया एक दूसरे से जुड़ने के लिए तकनीक का सहारा ले रही है. ऐसे में साहित्य आज तक भी डिजिटल हो गया है और दर्शकों के लिए डिजिटल अंदाज में लेकर आ गया है साहित्य की दुनिया के तमाम दिग्गजों को. ई-साहित्य आज तक के दूसरे दिन यानि शनिवार को मशहूर हास्य कवि अशोक चक्रधर ने तमाम समसामयिक विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए.

अशोक ने बताया कि वह लॉकडाउन के दौरान जूम और गूगल ड्यूओ जैसी एप्लीकेशन का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. अशोक ने बताया कि वह तकनीक की मदद से एक दूसरों से जुड़े रहते हैं. अशोक चक्रधर से जब पूछा कया कि लॉकडाउन में उनका वक्त कैसे कट रहा है तो उन्होंने काव्यात्मक अंदाज में कहा कि दिल दिमाग की चक्की मेरी यूं तो चलती रहती है, आटा कहां चला जाता है ये मुझको मालूम नहीं.

अशोक चक्रधर ने ई-साहित्य आज तक में तकनीक के गजब के इस्तेमाल से एक पुराना किस्सा याद करते हुए बताया कि 1986 में वह दिल्ली में 'अपना उत्सव' का हिस्सा बने थे. उन्होंने बताया कि वह उस कार्यक्रम के मुख्य एंकर थे. क्रोमा तकनीक तब आई ही थी. अशोक ने बताया कि तब लोग मुझे तब पत्र लिखा करते थे कि सर आपको कोई हेलिकॉप्टर दिया गया है क्या. आप इतनी जल्दी एक जगह से दूसरी जगह कैसे चले जाते हैं.

अशोक ने कहा कि हम जिन्हें कोरोना वॉरियर कहते हैं उनमें हमें तकनीक के धुरंधरों को भी शामिल करना चाहिए क्योंकि वो भी सही मायने में इस लॉकडाउन को सुलभ बनाने की कोशिश कर रहे हैं. अशोक चक्रधर ने कहा कि एक महीने में बचा पैसा तो लोगों का खत्म हो गया लेकिन जो रोज गा बजा कर कमा रहे थे उनकी रक्षा करना इस समय बहुत अच्छा है.

अशोक ने अपने लॉकडाउन के बारे में कहा कि दिन पूरा कट जाता है और रात इसलिए उपयोगी होती है क्योंकि हम अपनी कविताएं दूसरों को भेज पाते हैं. अशोक ने कहा कि उन्होंने फिल्म पानीपत के डायलॉग लिखे थे और ये फिल्म इन दिलों खूब देखी जा रही है क्योंकि लॉकडाउन में लोग घरों में बंद है और ये वेब पर उपलब्ध है. लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के बारे में अशोक चक्रधर ने कहा कि भले ही वह लॉकडाउन तोड़ रहे हैं लेकिन हमारे दिल में उनके लिए उदारता की एक खिड़की होनी चाहिए ताकि हम उन्हें जल्द से जल्द घर पहुंचा दें.

Advertisement


वनवास में शुरू हुआ राम-सीता-लक्ष्मण के जीवन का एक नया अध्याय


गरीब मजदूरों के लिए 'देवता' बने सोनू सूद, फैन हुआ सोशल मीडिया


कविताओं से बांधा समा

अशोक चक्रधर ने कोरोना के माहौल से लेकर अन्य हालातों पर भी एक के बाद एक तमाम कविताएं सुनाईं जिनमें हास्य के साथ-साथ एक संदेश भी था. कोरोना पर एक कविता जिसके अशोक ने 4 अध्याय लिखे हुए थे उसके दो अध्याय भी ई-साहित्य आज तक के डिजिटल मंच से सुनाईं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement