एक बच्चा और उसके पिता का रिश्ता कितना अनमोल होता है इस बात में कोई शक नहीं. पर क्या आपको मालूम है कि पिता अपने बच्चों के साथ कितना और कैसा वक्त बिताते हैं, इस बात का असर बच्चे कि बुद्धिमता पर भी पड़ता है? इसका मतलब ये है कि अब एक पिता के लिए अपने बच्चे के साथ वक्त बिताना फर्ज ही नहीं जरूरत भी है.
वक्त गुजारना हैं जरूरी
हाल ही में इम्पीरिअल कॉलेज ऑफ लंदन में हुए एक अध्ययन की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि अगर पिता अपने बच्चों के साथ कम उम्र से अच्छा वक्त गुजारता तो बच्चों की बुद्धिमता पर एक सकारात्मक असर पड़ता है.
अध्ययन में ये भी पता चला कि शांत, संवेदनशील और कम चिंता करने वाले स्वाभाव के लोगों के बच्चे बुद्धिमान ‘यंगस्टर्स’ बनते हैं. पिता का बच्चे के साथ बचपन से ही घुलना-मिलना बच्चे कि क्षमताओं को उभारता है.
क्या कहते हैं शोधकर्ता
इम्पीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के प्रोफेसर पॉल रामचंदानी ने बताया कि, इस अध्ययन से ये बात साफ है कि एक पिता को अपने बच्चे के साथ घुलना-मिलना चाहिए और एक अच्छा वक्त गुज़ारना चाहिए, फिर वो चाहे कितना ही छोटा क्यों न हो.
इम्पीरियल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने 128 पिताओं और बच्चों पर एक शोध किया. इस शोध के दौरान उन्होंने 3 महीने तक के बच्चों के उनके पिता के साथ खेलते वक्त के वीडियो बनाये और इसके 2 साल के बाद बच्चे के ‘मेंटल डेवेलपमेंट इंडेक्स’ का टेस्ट लिया, जैसे कि रंगों या आकारों को पहचानना. शोध में उन बच्चों को ज्यादा समझदार और बुद्धिमान पाया गया, जिनके पिता बचपन से ही उनके साथ खेलते या वक्त गुजारते आये हैं.
किंग कॉलेज लंदन की शोधकर्ता वहेश्ता सेठना ने बताया कि ‘इस शोध से हमने ये जाना कि ‘रीडिंग एक्टिविटी’ और पिता का अपने बच्चे के साथ रहना बच्चे पर कितना सकारात्मक असर डाल सकता है.
तो अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा बुद्धिमान और समझदार हो तो उसके साथ अच्छा वक्त गुजारना शुरू कर दें.
वंदना भारती