तनाव की वजह से हो सकती है चलने में तकलीफ, जानें कैसे

क्‍या आप हर छोटी बड़ी बात पर तनाव का शि‍कार हो जाते हैं तो अपनी इस आदत को आज ही बदलने का साेचिए. हाल में हुई एक रिसर्च के मुताबिक तनाव का बुरा असर हमारी हड्डियों को कमजोर बना सकता है.

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ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए प्राकृतिक उपचार की मदद लें ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए प्राकृतिक उपचार की मदद लें

वन्‍दना यादव

  • नई दिल्‍ली,
  • 10 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 2:05 PM IST

तनाव को अक्‍सर ही ज्‍यादा गंभीर समस्‍या नहीं माना जाता है और इसे रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्‍सा समझकर अनदेखा कर दिया जाता है. लेकिन यह हाइपरटेंशन, हृदय रोग, पाचन संबंधी विकार, अवसाद और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों की वजह तो बनता ही है. साथ ही अब इसका असर हड्डियों पर भी पड़ने लगा है.

हाल ही में एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि तनाव का सीधा असर हड्डियों पर पड़ता है जिससे कम उम्र में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्‍या भी हो  सकती है.

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युवाओं में बढ़ रही है ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या
तनाव के कारण कुछ युवाओं में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या देखी गई है. शहरी महिलाओं में काम और परिवार की देखभाल के चलते ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. नींद की कमी, कम फिजिकल एक्टिविटी और घंटों काम करने आदि से तनाव पैदा होता है. आप ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए प्राकृतिक उपचार का उपयोग कर सकते हैं.

डेली वर्कआउट है जरूरी
जब तनाव कम होता है, तो उसे सामान्य माना जाता है लेकिन तनाव ज्यादा होने पर इसका बॉडी और माइंड पर बुरा प्रभाव पड़ता है. पहला, जब तनाव ज्यादा होता है, तो बॉडी कोर्टिसोल हार्मोन जारी करती है. बॉडी द्वारा कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ने से हड्डी के निर्माण में बाधा होती है.
वास्तव में बॉडी कोर्टिसोल के पीएच संतुलन को प्रभावहीन करने के लिए हड्डियों से कैल्शियम जारी करती है. दूसरा, तनाव ज्यादा होने पर व्यक्ति अपनी स्वस्थ आदतें जैसी पूरी नींद, पर्याप्त भोजन और एक्सरसाइज करना आदि छोड़ देता है. इन सबके कारण भी हड्डि‍यों को नुकसान पहुंचता है.

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रेगुलर चेकअप है बहुत जरूरी
डॉक्टर के अनुसार, अपने डॉक्टर की सलाह के बाद आप कैल्शियम से भरपूर फूड्स और सप्लीमेंट्स लेना शुरू कर सकते हैं. शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों का ख्याल रखें और उन्हें पूरा करने की कोशिश करें. इससे बचने के लिए शारीरिक गतिविधि भी बहुत जरूरी है. आप योग और ध्यान का अभ्यास कर सकते हैं. 35 साल की उम्र के बाद हड्ड‍ियों की नियमित जांच करवाएं.

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