बेजुबान पशुओं की जान ले रहा जहरीला प्लास्टिक, हर साल हजारों मौत

प्लास्टिक का जहरीला कचरा जमीन पर रहने वाली प्राणियों के साथ-साथ जलीय जीवों की मौत का भी कारण बनता है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 3:32 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वेटनरी यूनिवर्सिटी में पॉलीथिन खाने से बीमार गाय की लाइव सर्जरी देखने मथुरा पहुंचेंगे. हर साल प्लास्टिक खाने से देश में हजारों गायों की मौत हो जाती है. प्लास्टिक का कचरा जमीन पर रहने वाली प्राणियों के साथ-साथ जलीय जीवों की मौत का भी कारण बनता है. यूनाइटेड नेशंस की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल 500 बिलियन प्लास्टिक बैग इस्तेमाल किए जाते हैं.

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इन राज्यों का सबसे बुरा हाल

प्लास्टिक पॉलिथीन खाने से मरने वाली गायों की मौतों का आंकड़ा काफी बड़ा है. इस लिस्ट में कई राज्यों के नाम है, लेकिन उत्तर प्रदेश और राजस्थान का हाल सबसे बुरा है. साल 2017 में उत्तर प्रदेश के पशु चिकित्सक विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार अकेले लखनऊ में पॉलिथीन खाने से हर साल करीब 1000 गायों की मौत होती है.

राजस्थान में भी पशुओं की स्थिति काफी खराब है. साल 2018 में इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां पिछले चार सालों में प्लास्टिक का कचरा खाने से 1000 पशुओं की मौत हुई है. आए दिन अखबरों में भी हम इस तरह की कई खबरें पढ़ते रहते हैं.

समुद्री जीवों को भी खतरा

यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक समुद्र में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक का कचरा होने का अनुमान लगाया गया है. समुद्र में जमा प्लास्टिक के कचरे से हर साल समुद्री जीवों की करीब 700 से ज्यादा प्रजातियां प्रभावित होती हैं. समुद्री प्रजातियां प्लास्टिक को भोजन समझकर निगल जाती हैं और कुछ समय बाद ही उनकी मौत हो जाती है.

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जानवर कैसे निगलते हैं प्लास्टिक

प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल होने के बाद इंसान उसे कचरे के ढेर में फेंक देते हैं. खाने की तलाश में सड़कों पर घूमने वाले जानवर इसे भोजन समझने की गलती कर देते हैं. प्लास्टिक में मौजूद कई केमिकल्स की सुगंध खाने जैसी होती है, जिसे जानवर खाना समझकर खा जाते है.

प्लास्टिक से कैसे होती है मौत?

जीवों के लिए प्लास्टिक को पचा पाना असंभव है. आतों में जाने वाले प्लास्टिक के रिएक्शन काफी खराब होते हैं. कई बार नुकीला प्लास्टिक गले के नीचे नहीं उतरता है. ऐसे में उनका दम घुटने लगता है. प्लास्टिक में मौजूद केमिकल्स की वजह से उन्हें इंफेक्शन हो जाता है जिसके कारण कुछ समय बाद उनकी मौत हो जाती है.

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