पत्नी में कौन से 3 गुण चाहते थे कथावाचक इन्द्रेश उपाध्याय, शिप्रा में मिले तो की शादी

Indresh Upadhyay Wedding: प्रसिद्ध कथावचक कृष्णचंद शास्त्री ठाकुर के बेटे कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय की शादी 5 दिसंबर को हरियाणा के यमुनानगर की शिप्रा शर्मा के साथ जयपुर में हुई. कुछ समय पहले उन्होंने एक पॉडकास्ट में बताया था कि वो अपनी होने वाली पत्नी में कौन से 3 गुण चाहते हैं.

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इंद्रेश उपाध्याय की शादी शिप्रा शर्मा से हुई है. (Photo; Brijmahima)) इंद्रेश उपाध्याय की शादी शिप्रा शर्मा से हुई है. (Photo; Brijmahima))

आजतक लाइफस्टाइल डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 12 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:30 PM IST

Indresh Upadhyay Wedding: कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय का वैदिक विवाह हरियाणा के यमुनानगर की शिप्रा शर्मा के साथ जयपुर में 5 दिसंबर को हुआ था. उसी दिन फिर रात में आशीर्वाद समारोह हुआ और अगले दिन इंद्रेश महाराज अपनी दुल्हन की विदाई कराकर अपने घर ले आए. शादी की विभिन्न रस्मों के बाद नई दुल्हन शिप्रा शर्मा का ससुराल में जोरदार स्वागत हुआ जिसकी वीडियोज सामने आई हैं.

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अब ऐसे में एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक पॉडकास्ट में इंद्रेश महाराज से पूछा गया था कि आप कौन से 3 गुण चाहते हैं जो आपकी पत्नी में हों. इस सवाल का उन्होंने काफी अच्छा जवाब दिया.

क्या कहा इंद्रेश महाराज ने?

इंद्रेश महाराज ने अपनी पत्नी के बारे में कहा, 'देखो भगवान श्री कृष्ण ने जब रुक्मणि जी से ब्याह किया था तो रुक्मणि जी ने पत्र लिखा था. रुक्मणि जी ने अपने पत्र में सबसे पहली बात लिखी थी, 'श्रुत्वा गुणानभुवन सुंदर शुण वदांते. और भगवान श्री कृष्ण को एक ब्राह्मण पढ़ के सुना रहा है, रुक्मणि जी का पत्र.' 

'पहले श्लोक की पहली पंक्ति सुनते ही ठाकुर जी खड़े हो गए और बोले विवाह तो इन्हीं से ही करेंगे. तो ब्राह्मण बोला, पहले पूरा पत्र तो सुन लीजिए सात श्लोक हैं. कृष्ण जी बोले आगे के सब पत्र सुनते रहेंगे.' 

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'मन में बैठ गयी है, इसी से करना है ब्याह. ब्राह्मण बोला ऐसा क्या है पहले भाव में. वो बोले ये कह रही है कि इसने मुझको देखा नहीं है, इसने मेरी कथा सुनी है और कथा सुन के मुझसे प्रेम किया. इसका मतलब ये कथा की श्रोता है. कथा सुनना इसको प्रिय लगता है तो इसका मतलब है, इसमें सारे गुण होंगे ही होंगे.' 

'तो वही से हमने ये लिया कि जो भी हो उसको कथा से तो प्रेम हो. दूसरा हम बिना ब्याह के ही एक बालक के पिता हैं तो छोटे से हैं वो तो उनका बालक की तरह ध्यान रखना पड़ता है तो उनको स्वीकार करने वाली होनी चाहिए. एकलौता हूं घर में माता पिता प्रसन्न रहे ऐसा भाव रखे बस.'

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