ना शादी, ना बच्चे चाहती हैं मुस्ल‍िम महिलाएं, जानें क्यों...

सेंसस 2011 में मुस्ल‍िम औरतों की शादी और बच्चेे के प्रति सोच को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. जानने के लिए आगे पढ़ें...

Advertisement
Muslim Woman Muslim Woman

मेधा चावला

  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 6:17 PM IST

कुछ दिनों पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ट्रिपल तलाक पर चिंता जताते हुए कहा था कि इससे मुस्ल‍िम महिलाओं में शादी को लेकर डर पैदा हो रहा है. जिस उम्र में गैर-मुस्ल‍िम लड़कियां अपनी शादीशुदा जिंदगी शुरू करती हैं, उस उम्र में अधिकांश मुस्ल‍िम औरतों को तलाक दे दिया जाता है.

अब CENSUS 2011 के आंकड़ों में मुस्ल‍िम औरतों में शादी को लेकर एक नये ट्रेंड का पता चला है. सेंसस के मुताबिक 20 से 39 साल की करीब 33.70 लाख महिलाएं ना तो शादी करना चाहती हैं और ना ही बच्चे पैदा करने में उन्हें इंट्रस्ट है. पिछले एक दशक में ऐसी मुस्ल‍िम औरतों की संख्या लगभग दो गुना बढ़ी है. यह वृद्ध‍ि 94% है. देखा जाए तो यह किसी भी दूसरे धर्म, बौद्ध (72.78%) या हिन्दू (69.13%), सिख (66.21%) से काफी ज्यादा है.

Advertisement

मुस्लिम महिलाओं के पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा- तीन तलाक पर खुले दिमाग से बात की जाए

सेंसस के मुताबिक साल 2001 से 2011 के बीच बच्चे ना पैदा करने की सोच रखने वाली मुस्लिम महिलाओं की संख्या 39 प्रतिशत बढ़ी है. ये महिलाएं ऐसी हैं, जिनके बच्चे नहीं हैं और वो आगे भी बच्चे नहीं चाहतीं. हालांकि इस मामले में बौद्ध महिलाएं (45%) पहले स्थान पर हैं जबकि हिन्दू महिलाएं 29.5% के साथ तीसरे स्थान पर. बता दें कि देश में इस उम्र की करीब 2.1 करोड़ मुस्ल‍िम महिलाएं हैं.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताया, कहा- यह मुस्लिम महिलाओं के हक के ख‍िलाफ

भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की संयोजक नूर जहां साफिया नियाज के मुताबिक, 'सुधरती समाजिक-आर्थिक स्थ‍ितियां मुस्लिम समाज में महिलाओं को मुखर बना रही हैं. पहले के मुकाबले अब काफी हद तक महिलाएं अपने जीवन पर पूरा कंट्रोल रखने लगी हैं. हालांकि ग्रामीण इलाकों की तुलाना में शहरी क्षेत्र में रहने वाली मुस्ल‍िम महिलाओं की स्थिति बेहतर है और वो ज्यादा खुश भी हैं'.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement