आज कल के समय में वातावरण में कई तरह के वायरस फैले हुए हैं. ऐसे में हर माता पिता को चिंता रहती है कि उनका बच्चा इनके संपर्क में न आए. इसके लिए कई पेरेन्ट्स अपने बच्चे का काफी ख्याल रखते हैं और विटामिन-न्यूट्रीएंट से भरपूर खाना भी खिलाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं खाना खिलाने की अधिकता भी बच्चों की सेहत पर गलत प्रभाव डाल सकती है.
विशेषज्ञों के अनुसार, अपने बच्चों के लिए अच्छा करने की कोशिश में कुछ माता-पिता उन्हें जरूरत से ज्यादा खाना खिला देते हैं. ऐसे में आप अपने बच्चे को अगर खाना ज्यादा खिलाएंगे (चाहे वह पौष्टिक ही क्यों ना हो) तो वह उसके लिए नुकसानदायक हो सकता है.
एक रिसर्च के अनुसार, एक तिहाई से ज्यादा माता-पिता अपने बच्चों को उनकी प्लेट में परोसी गई हर चीज खाने को कहते हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या उन्हें इस पर जोर देना चाहिए? भले ही हेल्दी ईटिंग और पोर्शन साइज के बारे में लगातार चर्चा हो रही हों, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बच्चों में भूख और पेट भरा होने के संकेतों को पहचानने में मुश्किलें आती है. ऐसे में इसी ओवर इटिंग के चलते बच्चों में मोटापा बढ़ने के साथ ही कई गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम्स देखने को मिल रही हैं.
ये सभी बीमारियां बच्चों में ओवर पेरेंटिंग के चलते देखने को मिलती हैं. ऐसे में ये जानना बहुत जरूरी है कि माता-पिता को क्या करना चाहिए. आज हम आपको कुछ सुझाव देंगे, जिनका पालन करके माता-पिता सही में अपने बच्चों को हेल्दी रख सकते हैं.
जब भूख लगे तब और जितनी लगे खाने दें
विशेषज्ञों का मानना है कि आपको अपने बच्चे को उसके पेट के संकेतों को समझने देना चाहिए ताकि वह अपने शरीर के हिसाब से खा सकें. माता-पिता के रूप में, आपको बच्चों को यह बताना चाहिए कि वे तब तक खाएं जब तक कि पेट भरा हुआ न लगे, न कि तब तक जब तक उनकी प्लेट खाली न हो जाए.
खाना खाते वक्त खुशनुमा माहौल बनाएं
जब भी आप बच्चों को खाना खिलाएं तब माहौल स्ट्रेस फ्री और खुशनुमा होना चाहिए. अगर आप बच्चे पर जोर डालेंगे कि वह पूरा खाना खत्म करे तो उसे स्ट्रेस महसूस होगा. स्ट्रेस से ही बाद में खाने-पीने की समस्याएं पैदा होती हैं.
बच्चों को अपनी चॉइस रखने का मौका दें
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आप अपने बच्चों को उनकी मर्जी करने देंगे तो वह उन्हें यह चुनने में मदद करेगा कि उन्हें कितना खाना चाहिए. हालांकि उन्हें शुरू में आपकी गाइडेंस की जरूरत हो सकती है, लेकिन इससे उन्हें हेल्दी इटिंग का पैटर्न बनाने में मदद मिल सकती है.
जिम्मेदारियां बांटे
माता-पिता अपनी समझ में हेल्दी फूड खरीदते और परोसते हैं, जबकि बच्चों और टीनएजर्स को यह तय करना होता है कि उन्हें क्या और कितना खाना है. ऐसे में जिम्मेदारियां बांटे. अगर बच्चा ज्यादा नहीं खाता है, तो नेक्स्ट मील तक इंतजार करें और टीवी और मोबाइल फोन जैसी सभी चीजों को बंद कर दें.
आजतक लाइफस्टाइल डेस्क